ढांचा विध्वंस पर विशेष अदालत का फैसला उच्चतम के न्यायालय के निर्णय के प्रतिकूल : कांग्रेस

By: Dilip Kumar
9/30/2020 4:24:41 PM
नई दिल्ली

कांग्रेस ने ढांचा विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को पिछले साल आए उच्चतम न्यायालय के फैसले के प्रतिकूल बताया है। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि संविधान, सामाजिक सौहार्द और भाईचारे में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति उम्मीद करता है कि इस "तर्कविहीन निर्णय" के विरुद्ध प्रांतीय और केंद्र सरकार उच्च अदालत में अपील दायर करेगी।


पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ढांचा विध्वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और संविधान की परिपाटी से परे है। उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर, 2019 के निर्णय के मुताबिक ढांचे को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था लेकिन विशेष अदालत ने सभी दोषियों को बरी कर दिया।
विशेष अदालत का निर्णय साफ तौर से उच्चतम न्यायालय के निर्णय के भी प्रतिकूल है। उन्होंने आरोप लगाया और कहा कि पूरा देश जानता है कि भाजपा-आरएसएस और उनके नेताओं ने राजनैतिक फायदे के लिए देश और समाज के सांप्रदायिक सौहार्द्र को तोड़ने का एक घिनौना षडयंत्र किया था।

उस समय की उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार भी सांप्रदायिक सौहार्द्र भंग करने की इस साजिश में शामिल थी। सुरजेवाला ने कहा कि यहां तक कि उस समय झूठा शपथ पत्र देकर उच्चतम न्यायालय तक को बरगलाया गया। इन सब पहलुओं, तथ्यों और साक्ष्यों को परखने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को गिराया जाना गैरकानूनी अपराध ठहराया था।

उन्होंने कहा कि संविधान, सामाजिक सौहार्द्र और भाईचारे में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति उम्मीद और अपेक्षा करता है कि विशेष अदालत के इस तर्कविहीन निर्णय के विरुद्ध प्रांतीय और केंद्रीय सरकार उच्च अदालत में अपील दायर करेगी और बगैर किसी पक्षपात या पूर्वाग्रह के देश के संविधान और कानून की अनुपालना करेगी। 

गौरतलब है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में ढांचे विध्वंस मामले में बुधवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ढांचा विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।


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