IOM ने सुरक्षित प्रवास (सेफ माइग्रेशन) के विषय पर चर्चा का आयोजन किया

By: Dilip Kumar
4/3/2022 7:17:35 PM

नई दिल्ली(बंसी लाल)। इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM), UN माइग्रेशन ने माइग्रेशन के मुख्य क्षेत्रों, उनके योगदान और एक सम्पूर्ण एनालिसिस का सहयोग करने के लिए, भारत सरकार के थिंक-टैंक, निति आयोग के साथ मिलकर, नई दिल्ली के चाणक्यपुरी के होटल ताज पैलेस में एक नेशनल कॉन्क्लेव का आयोजन किया। जैसे-जैसे माइग्रेशन की प्रवृत्ति विकसित हो रही है, अभूतपूर्व चुनौतियों के साथ,हमें हर स्थिति में माइग्रेशन के एक स्थायी, सुरक्षित, और व्यवस्थित मॉडल की दिशा में सहयोग और प्रयासों को समेकित करने की क्षमता को पहचानने की आवश्यकता है।

पूरा कॉन्क्लेव मुख्य तौर से इन बातों पर केंद्रित था

i) कोविड -19 महामारी में महत्वपूर्ण चरणों के दौरान विभिन्न राज्यों द्वारा सीखी गई अच्छी प्रथाओं और सबक की पहचान करना और उन्हें सबसे साझा करना।

ii) प्रवासी श्रमिकों की जिम्मेदार भर्ती के लिए प्राइवेट सेक्टर के साथ साझेदारी करने, जैसे बहु-हितधारक पार्टनरशिप अप्रोच की अमूल्य प्रकृति की समझ विकसित करना।

iii) नीति आयोग के मसौदे 'प्रवासी श्रम पर राष्ट्रीय नीति ढांचे' द्वारा प्रदान किए गए संदर्भ से उत्साहित प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा के लिए मूल राज्यों (जिस राज्य में श्रमिक रहते हैं ) और गंतव्य राज्यों (जिस राज्य में श्रमिक जा रहे हो ) द्वारा संयुक्त कार्रवाई की दिशा में काम करना; तथा,

iv) गारमेंट इंडस्ट्री की सप्लाई चैन में महिला माइग्रेंट्स की जरूरतों, चुनौतियों की बेहतर समझ और प्रतिक्रिया को बढ़ावा देना।

कॉन्क्लेव के उद्घाटन समारोह की शुरुआत आईओएम मिशन इन इंडिया के, कार्यालय प्रमुख, श्री संजय अवस्थी जी के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद श्रीलंका और मालदीव के मिशन प्रमुख श्री शरत दास और भारत और भूटान में आईओएम के महानिदेशक के विशेष दूत ने विशेष संबोधन किया।

नीति आयोग के उप सलाहकार डॉ. मुनिराजू एस बी ने, "एविडेंस-बेस्ड पालिसी फार्मूलेशन और जेंडर सेंसिटिव तरीके से मुआवजे के पैकेजों के डिजाइन और वितरण के साथ-साथ साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण की आवश्यकता के बारे में बात की। उद्घाटन भाषणों ने कॉन्क्लेव के इरादे को लोगो तक पहुंचाया है, जहां प्रतीत होता है कि भिन्न समूह, संवाद, विचार-विमर्श और निर्णय लेने में संलग्न होने के लिए प्राइमरी स्टेकहोल्डर्स के रूप में इकठ्ठा हुए थे, जो माइग्रेशन मैनेजमेंट एफर्ट्स का प्रतीक बन गया है। इसके अलावा पूरे समाज के दृष्टिकोण की पहचान होने के नाते, श्री संजय अवस्थी ने भारत के भीतर और बाहर माइग्रेशन डेटा मैनेजमेंट में भारत सरकार की कठोरता को स्पष्ट किया।

महामारी के कारण हुई आर्थिक उथल-पुथल पर विचार करते हुए, जिसके परिणामस्वरूप 2020 में वैश्विक प्रेषण में 2.2% की गिरावट आई, श्री शरत दास , "उनके योगदान पर गर्व है" ने माइग्रेंट श्रमिकों के लचीलेपन के बारे में बात की, "अपनी सामाजिक आर्थिक स्थिति के कारण कमजोरियों, पात्रता या स्वास्थ्य सेवाओं जैसी सेवाओं तक पहुंच, उनके सांस्कृतिक या भाषाई बाधाओं के कारण, माइग्रेंट श्रमिकों ने 2019 में 718 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में अभी भी 702 बिलियन अमरीकी डालर का योगदान दिया।" डॉ. मुनिराजू ने सरकार की कई पहलों पर प्रकाश डाला, जैसे आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत कई समितियों का गठन हुआ, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और गैर सरकारी संगठनों (NGOs) के साथ सहयोगात्मक प्रयास, और आर्थिक रूप से तंग राज्यों में समितियों की सहायता के लिए लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये की मदद की गयी ।

एक दिन में तीन सत्र हुए, कई क्षेत्रों के हितधारकों को एक साथ लाया गया। पहले सत्र में महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, झारखंड, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और हरियाणा के राज्य लेबर विभागों के प्रतिनिधियों द्वारा विस्तृत प्रस्तुतियां दी गयी । प्रत्येक राज्य ने 'लॉकडाउन' लागू किये जाने के वक़्त कड़ी चुनौतियों को स्वीकार किया था और अनिश्चितताओं के बीच माइग्रेंट श्रमिकों को सुरक्षा उपलब्ध कराने हेतु , एवं उनके लिए संसाधन जुटाने के लिए इनोवेटिव तरीके अपने गए थे। विशेष रेलगाड़ियों और बसों को चलाने के लिए मूल राज्यों और गंतव्य राज्यों के बीच संयुक्त कार्रवाई, अस्थायी आश्रय और भोजन के प्रावधान, लबोर एंड लॉ एनफोर्समेंट कंट्रोल रूम्स में तालमेल, विभिन्न विभागों से नोडल अधिकारियों की नियुक्ति और मोनेटरी सहायता, कुछ प्रभावित करने वाले प्रयासों में से थे। डॉ. मुनिराजू ने "इंट्रा-स्टेट एवं विभिन्न जरूरतों के कारण इंट्रा-स्टेट" और "फर्जी समाचार के प्रसार के माध्यम से नुकसान को कम करने के लिए सूचना प्रबंधन और संचार नियंत्रण" के बीच अंतर करने के महत्व के बारे में बताया।

दूसरे सत्र में एक्सपोर्ट हाउसेस, ग्लोबल ब्रांड्स, सप्लाई चैन, लेबर रिक्रूटमेंट एजेंट्स और एजेंसीज, गैर सरकारी संगठनों (NGOs) और सीएसओ(CSOs) सहित प्राइवेट सेक्टर के साथ साझेदारी और उनसे मिले सहयोग के बारे में बताया गया। इंडिया सेंटर फॉर माइग्रेशन, MEA , सत्र के अध्यक्ष के रूप में, डॉ. सुरभि सिंह ने सार्वजनिक और निजी संगठनों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि, "अभी रणनीतियों को समन्वित करने की आवश्यकता है, न कि अलग-अलग प्रयासों की।"

तीसरे सत्र , "प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा और कल्याण के लिए एक राष्ट्रीय नीति", पर एक पैनल चर्चा ने बताया की प्रवासी श्रमिकों के लाभ के लिए कैसे हितधारकों का समाधान-चाहने और स्थायी क्षमता के माध्यम से, इन संसाधनों को उचित और समय अनुसार जुटा सकते है। मुख्य बातों में से एक यह था कि आपदा को अवसर में बदला जा सकता है, और माइग्रेशन, अवसर का पर्याय है। पैनलिस्टों ने क्रमशः मूल और गंतव्य राज्यों में विशिष्ट नीतियों के बारे में बात की जैसे, लेबर माइग्रेशन की बहु-क्षेत्रीय नेचर को पहचानकर, माइग्रेशन से संबंधित बदलावों के कारण पर्याप्त समाधान तैयार करने के लिए क्षेत्रों के जनसांख्यिकीय प्रारूप को समझना।

इस प्रकार गुमराह करने वाली शब्दावली में फंसे बिना "माइग्रेशन" और "प्रवासी श्रमिकों" के बारे में स्पष्ट होना महत्वपूर्ण है, इसका प्रवासी समुदायों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। अंत में, बच्चों की सुरक्षा के लिए कार्यक्रमों और साझेदारी के माध्यम से मजबूत नीतियों के लिए सिफारिशें की गईं, विशेष रूप से कोविड -19 के समय में जिसने बाल संरक्षण नेटवर्क को बुरी तरह से बाधित कर दिया था। कार्यक्रम का समापन करते हुए, श्री संजय अवस्थी ने कहा, “माइग्रेशन एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है और महामारी के साथ संकट कई गुना तेज हो गया है। इस कॉन्क्लेव के माध्यम से, IOM का उद्देश्य प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता पैदा करना और हितधारकों की मदद से, श्रमिकों की सुरक्षा और कल्याण के लिए अपनाए जाने वाले सर्वोत्तम प्रथाओं को विकसित करना है।”

इस कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य अनुभवों, एक्सपेर्टीज़ और बेस्ट प्रैक्टिसेज को एक दूसरे से साझा करके माइग्रेशन के समावेशी, व्यापक और प्रभावी अधिकार को प्राप्त करना। इसके आलावा, IOM मानव माइग्रेशन और गतिशीलता में शामिल सभी हितधारकों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण विकसित करने में सार्वजनिक और निजी संस्थाओं की क्षमता का समर्थन और निर्माण करने के लिए तैयार है। सुरक्षित प्रवास को बढ़ावा देने के लिए बहुपक्षीय सहयोग और सहयोग के साथ एक बेहतर माइग्रेशन मैनेजमेंट स्ट्रक्चर बनाना समय की मांग है। इसके आलावा, चूंकि देश और दुनिया भर के बाजार COVID-19 से प्रभावित है, इसलिए अच्छी प्रथाओं का पता लगाना और साक्ष्य-आधारित प्रथाओं को तैयार करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।


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