धूम्रपान निषेध दिवस पर विशेष आलेख :धूम्रपान मानव समाज के लिए कलंक

By: Dilip Kumar
5/30/2022 10:46:16 PM

31 मई को विश्व मानव समुदाय विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में की थी। धूम्रपान का इतिहास 5000 ईसा पूर्व से माना जाता है ।बेबीलोनियन ईसाई, भारतीय और चीनी में धार्मिक पर्व पर मनुष्य धुम्रपान करते हैं। अमेरिकन धूम्रपान का आरंभ झाड़-फूंक के समारोह में धूप जलाने से शुरू हुआ बाद में सामाजिक रश्मों के रूप में स्वीकार किया गया । अज्ञानता वश तंबाकू और नशीले पदार्थों का सेवन समाज में जाने तथा आत्माओं की दुनिया से संपर्क करने हेतु भी किया जाता था। तंबाकू से पूर्व भांग का चलन सामाजिक रस्मों में होता था। औद्योगिक पश्चिमी देशों में मुख्यतः धूम्रपान को नकारात्मक रूप में देखा जाने लगा। विश्व स्तर पर धूम्रपान के प्रति संख्या बढ़ने लगी और उससे होने वाले रोगों से अधिक लोग प्रभावित होने लगे।

धूम्रपान निषेध दिवस को मनाने के पीछे मूल उद्देश्य है विश्व मानव समुदाय को तंबाकू के प्रयोग के दुष्प्रभावों से अवगत कराना साथ ही तंबाकू सेवन या प्रयोग करने वाले लोगों में पुरुषों के साथ महिलाओं की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है जिसके कारण तंबाकू प्रयोग से होने वाली बीमारियां भी पनप रही हैं जिनमें कुछ भयानक बीमारियां हैं । जैसे- हार्ड अटैक स्ट्रोक जैसी समस्याओं के कारण बोलने की शक्ति क्षीण सुनने की क्षमता आंशिक अंधापन मुंह का और फेफड़ों का कैंसर दांतों और मसूड़ों की बीमारियां इत्यादि। लंबे समय तक धूम्रपान करने से मुंह, गर्भाशय ,गुर्दे और पाचन तंत्र में कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।

एक शायर ने खूब लिखा है "कौन कमबख्त पीता है मजा लेने के लिए हम तो पीते हैं क्योंकि पीनी पड़ती है।" तंबाकू उत्पादों के सेवन अनेक रूप में करते हैं जैसे बीड़ी, सिगरेट ,गुटखा, जर्दा, खैनी ,हुक्का, चिलम इत्यादि हैं। सिगरेट बीड़ी हुक्का का हरकस गुर्दा को और गुटखा जर्दा खैनी की हर चुटकी हर पल मौत की ओर ले जाती है तंबाकू में मादकता या उत्तेजना देने वाला घटक निकोटीन है निकोटीन मानव समाज को सर्वाधिक घातक होता है। इसमें कैंसर उत्पन्न करने वाले तत्व मिलते हैं जो लोग धूम्रपान करते हैं वह मुंह, गला ,श्वसन नली और फेफड़ों का कैंसर की संभावना में घिरे रहते हैं। दिल की बीमारी उच्च रक्तचाप जैसे रोग भी हो जाते हैं।

मानव जीवन प्रकृति का एक अनमोल उपहार है। जीवन को महत्व देना चाहिए । इसे बेकार में बर्बाद नहीं करना चाहिए। अध्ययन से ज्ञात होता है कि दुनिया भर में 90% फेफड़े का कैंसर तथा 30% अन्य प्रकार के कैंसर , 80% ब्रोकरेज (ब्रेन हेमरेज),20 से 25% ह्रदय रोग धूम्रपान के कारण होते हैं । विश्व में हर साल तंबाकू(धुम्रपान) के प्रयोग करने के कारण विश्व में 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है। संपूर्ण मानव समाज और सरकाऱ और ध्यान देना चाहिए कि "धूम्रपान का अंजाम मौत का पैगाम होता है । धूम्रपान का नशा जीवन की दुर्दशा का कारण बनता है ।" इसके प्रयोग से न केवल आर्थिक बल्कि शारीरिक सामाजिक हानि भी होती है।

भारत में सम्राट अकबर के दरबार में बर्नल पुर्तगाली आया उसने तंबाकू और सुंदर जड़ाऊ चिलम भेंट की सम्राट को चिलम बहुत पसंद आई। पहले सम्राट फिर उसकी प्रजा धूम्रपान शुरू की उन्हें प्रारंभ में ऐसा करना बहुत अच्छा लगा इसे साने शौकत का प्रतीक माना गया किंतु जब इसकी लत पड़ जाती है तो वह नाश की जड़ साबित होती है। 1609 में धूम्रपान सार्वजनिक रूप से शुरू हुआ। भारत में तंबाकू का पौधा पुर्तगालीयों के द्वारा 1608 में लाया गया था। भारत विश्व में कुल उत्पादन का 7.8% तंबाकू उत्पादन करता है। अन्य रोचक तथ्य हैं-

विश्व मानव समुदाय से तंबाकू सेवन करने से हर साल 70 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती हैं। दुनिया के 125 देशों में तंबाकू का उत्पादन होता है । विश्व में 5.5 खराब सिगरेट का उत्पादन होता है। दुनिया भर में 80% पुरुष तंबाकू का सेवन करते हैं। दुनिया भर के धूम्रपान करने वाले लोगों में 10% लोग भारत के हैं ।भारत में 10 अरब सिगरेट और 72 करोड़ पचास लाख किलोग्राम तंबाकू का उत्पादन हर वर्ष होता है । भारत तंबाकू उत्पादन में ब्राजील चीन अमेरिका मालाया और इटली के बाद छठे स्थान पर आता है। विकासशील देशों में 8000 बच्चों की मौत शिरफ अभिभावकों द्वारा किए जाने वाले धूम्रपान के कारण मोत हो जाती हैं । भारत में तंबाकू सेवन से मौतों की संख्या दुनिया के मुकाबले तेजी से बढ़ रही है। फेफड़ों का कैंसर ब्रेन हेमरेज आघात का मुख्य कारण भी तंबाकू का सेवन है। सिगरेट तंबाकू मुंह ,मेरुदंड, कंठ ,मूत्राशय के कैंसर के रूप में प्रभावी होता है।

सिगरेट और तंबाकू में मौजूद कैंसर जननीय (जन्य)पदार्थ शरीर की कोशिकाओं के विकास को रोककर उनके नष्ट होने और कैंसर के बनने में मदद करता हैं। लंबे समय तक धूम्रपान करने वाले लोगों से मुंह गुर्दे गर्भाशय और पाचन ग्रंथियों में कैंसर होने की अत्याधिक संभावना बन जाती है ।धूम्रपान का सेवन और न चाहते हुए भी उसके धुएं का सामना करने पर ह्रदय और मस्तिष्क की बीमारियों का मुख्य कारण है। धूम्रपान के धुए में मौजूद निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे पदार्थ मानव ग्रंथियों और धमनियों से संबंधित रोगों के कारण बनते हैं। भारत में सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने पर पाबंदी है किंतु सरकार की लचर नीतियों के चलते सार्वजनिक स्थलों पर भी आज धूम्रपान करते हुए लोग देखे जाते हैं।

आज आवश्यकता है धूम्रपान के प्रति लोगों को जागरूक करने की सरकार को नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने संबंधित नियमों का व्यवहारिक तौर पर शक्ति से पालन करना चाहिए । सभी के प्रति समानता का व्यवहार किया जाए तब ही धूम्रपान पर रोक लगाई जा सकती है ‌। अतः भारत सरकार, राज्यों की सरकारें और मानव समुदाय मिलकर धूम्रपान निषेध के प्रति सकारात्मक व्यावहारिक मानव हित में नीतियों को अपनाएं तब ही असमय धुम्रपान करने के कारण होने वाली मौतों से समाज को मुक्ति दिलाई जा सकती है। ध्यान देना होगा कि धूम्रपान का सेवन किसी भी रूप में किसी भी उम्र में किया जाए नुकसानदायक ही होता है यहां तक की धूम्रपान करने वालों में बीमारियां भी अपना बसेरा शीघ्र कर लेती हैं। इसलिए धूम्रपान का त्याग करके ही मानव जीवन को मानव समाज को और राष्ट्र को सुखद संपन्न और प्रभावशाली बनाया जा सकता है । आज 31 मई संकल्प लेने का दिन है कि हम न धूम्रपान करेंगे न करने देंगे और सरकार को भी ऐसी नीति अपनानी चाहिए कि न धुम्रपान संबंधित पदार्थों को बनने (उत्पन्न) होने देंगे, न बिकने देंगे और मानव समुदाय को इसका सेवन करने की इजाजत दे।,तब ही हमारा समाज धूम्रपान जैसी समाज को कलंकित करने वाली बुराई से मुक्ति पा सकता है।

लेखक
सत्य प्रकाश
प्राचार्य
डॉ बी आर अंबेडकर जन्मशताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़


comments