विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष आलेख : पर्यावरण सुरक्षित तो मानव जीवन सुरक्षित

By: Dilip Kumar
6/4/2022 1:08:28 PM

पर्यावरण हमारी जिंदगी में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चाहे बात खाने के अनाज की हो ,रहने के मकान की हो, पहनने के कपड़े की हो ,पीने के पानी की हो ,सूर्य की रोशनी की हो, शुद्ध हवा की हो या फिर शुद्ध वातावरण बनाए रखने की हो सभी कुछ तो इसी पर्यावरण पर निर्भर रहता है। यदि पर्यावरण बेहतर व सुरक्षित है तब ही धरती सुरक्षित होगी और मानव ,जीव जंतुओं व पादपो के जीवन की कल्पना की जा सकती है ।इसलिए जब पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है तो उसका कहीं ना कहीं प्रभाव मानव , जीव जंतु और पादपों पर पड़ता है । औद्योगिक विकास की रफ्तार ने पर्यावरण को खतरा ही नहीं वरन समाप्त करने का काम किया है। हम कह सकते हैं कि विकास की अंधी दौड़ में मानव के कुकृत्य पर्यावरण को अत्यंत खतरा उत्पन्न कर रहे है ।

वर्तमान में ऊर्जा को बचाने क्लाइमेट चेंज शुद्ध पानी की समस्या, अत्यधिक वनों का कटाव ,भूमि का कटाव इत्यादि मानव के कुकृतियों का परिणाम है और जो विकास की अंधी दौड़ में आज मनुष्य जिस तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है वह किसी से छुपा नहीं है। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से लेकर ग्लेशियर के पिघलने या फिर पर्यावरण प्रदूषण इत्यादि मानव के कुकृत्यो का ही परिणाम है । पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ है परि + आवरण अर्थात परि का अर्थ है चारों ओर और आवरण का अर्थ है ढका हुआ अर्थात चारों ओर से ढका हुआ।

विश्व स्तर पर पर्यावरण के प्रति गहरी संवेदनशीलता दिखाते हुए पहली बार 5 जून सन 1972 को स्कॉटहोम में पहली बार विश्व के प्रमुख देशों की बैठक हुई जिसमें पर्यावरण सुरक्षित रखने के संदर्भ में अनेक बातें अनेक देशों के द्वारा कही गई । जिसमें कहा गया कि हम एक दिन विश्व स्तर पर पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए रखेंगे। जिसे हम पर्यावरण दिवस के रूप में हर वर्ष 5 जून को मनाया करेंगे। 1974 से विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा । जब से लेकर आज तक विश्व के लगभग सभी देश और उनकी सरकारें तमाम एनजीओ पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए तरह-तरह के उपाय् अपनाते हैं। पर्यावरण प्रदूषण का सबसे महत्वपूर्ण कारण तीव्र गति से विश्व विश्व स्तर पर बढ़ रही जनसंख्या ,औद्योगीकरण की प्रक्रिया, शहरीकरण तथा जंगलों का नष्ट होना प्रमुख हैं । पर्यावरण को सुरक्षित रखने से संबंधित अनेक उपाय बताए जाते हैं।

भारत मे औसत वन क्षेत्र से भी कम क्षेत्र पर वन पाए जाते हैं, जिसके कारण वातावरण में तापमान बढ़ रहा है। अकाल की आवृत्ति का बढ़ना, कृषि योग्य जमीन में गिरावट आना ,संसाधनों की कमी होना ,शुद्ध जल का अभाव होना ,भू जल स्तर का नीचे गिरना, समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं का आना, वायु का प्रदूषित होना ,हरित गृह गैसों का बढ़ना इत्यादि कारणों के कारण से पर्यावरण असुरक्षित होता जा रहा है । संपूर्ण मानव समुदाय को सरकार के साथ मिलकर इस बात पर मंथन और विचार करना चाहिए कि किस प्रकार से हम सब लोग मिलकर पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं या बना सकते हैं। ध्यान रहे मानव की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के कारण भूमि, वायु, जल और निवास करने वाले जीवो के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है।

मानव स्वास्थ्य व सामाजिक कल्याण के लिए भी गंभीर खतरा पैदा हो गया है। भारत में भोजन, जल, हवा में रोवान होने के कारण उत्पन्न जैविक संदूषण स्वास्थ्य के लिए भारी समस्या बन चुकी है । पर्यावरण प्रदूषण से बचाव के लिए मानव समुदाय को इस ओर ध्यान देना होगा कि मानव को अत्यधिक पेड़ लगाने होंगे। प्रकृति में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करने से बचना होगा। प्लास्टिक की चीजों के प्रयोग करने से बचना होगा। सरकार को भी यदि प्लास्टिक का प्रयोग करवाना है तो सिंगल यूज़ प्लास्टिक इस्तेमाल होनी चाहिए अन्यथा नहीं। कूड़ा कूड़ेदान में ही नियत स्थान पर डालें। अवशिष्ट पदार्थों को खुले में नहीं फैंके । वर्षा जल को संचित करें। पेट्रोल डीजल, बिजली के अलावा हमें अन्य विकल्प ढूंढने भी ढूढने होंगे। जैसे सौर्य ऊर्जा और पवन ऊर्जा के प्रयोग पर मानव को बल देना होगा। अनावश्यक और अनुपयोगी ध्वनियों पर भी हमें रोक लगानी होगी ।

मानव को अपनी पृथ्वी और पर्यावरण को बचाने के लिए उसकी हिफाजत या देखभाल रखना उसकी जिम्मेदारी बनती है। मानव समाज और सरकार पर्यावरण के प्रति व्यवहारिक और सकारात्मक सोच अख्तियार करें तब ही पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। इंसान को निस्वार्थ भाव से पर्यावरण प्रदूषण से बचने हेतु पर्यावरणविद और कार्यकर्ताओं को ध्यान देना होगा कि हम स्वयं अपने आपको अपने परिवार समाज और अपने देश को बचाने के लिए प्रभावी एवं ठोस कदम उठायेगे । तब ही पृथ्वी को सुरक्षित व संरक्षित रख सकते हैं। विख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का सोचना था कि आज हमारे सामने आ रही तमाम समस्याओं का समाधान प्रकृति और मानव के बीच संबंधों में छिपा है । इस संबंध को बेहतर बनाने के लिए हमें विकास की नीतिगत वैधानिक और उचित संबंध को समझना होगा। एक आंकड़े के अनुसार 550लीटर शुद्ध ऑक्सीजन जरूरी है एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन। औसत आकार की के पेड़ की पत्तियां 117 लीटर ऑक्सीजन हर साल बनाती है। बांस का पौधा अन्य वनस्पतियों के मुकाबले 30% अधिक आक्सीजन छोड़ता है।

हमारे पर्यावरण में पीपल का पौधा ऐसा है जो 100% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है जबकि बरगद और नीम का पौधा 80 और 75कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेता है। इसलिए हमें ऐसे पौधे ज्यादा लगाने पर विशेष बल देना चाहिए जो हमें 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं। जैसे पीपल और तुलसी इसके अलावा बांस बरगद के पौधे भी हमें अपने पर्यावरण में लगाने और सुरक्षित रखने चाहिए। मानव समाज और सरकार को गौर करना होगा की जब जंगल नहीं होगा तो खाद्य श्रंखला और ऑक्सीजन भी नहीं होगी । इसलिए जंगलों का होना अत्यंत आवश्यक है जिनमें पीपल तुलसी बांस बरगद नीम इमली बेल जामुन बेर गूलर खैर शहतूत शरीफा खिन्नी जैसे उपयोगी वृक्ष लगाने चाहिए । अशोक अर्जुन शीशम कदम के पौधे भी लगाने चाहिए क्योंकि पेड़ पौधे ही हमारे प्राण वायु हैं जीवन का आधार है पेड़ पौधों से निकलने वाली ऑक्सीजन मानव जीवन को बचाती है और बनाती हैपेड़ों की जड़ें मिट्टी के क्षरण को रोकती है जिससे वातावरण में धूल कण बनाती है। पेड़ भूजल स्तर को बढ़ाने मेंं सबसे ज्यादा उपयोगी होते हैं ब शीशम पीपल आम बेहद सहायक होते हैं वृक्ष वायुमंडल के तापमान को कम करते हैं । पेड़ों की पत्तियों से घिरी जगह पर दूसरी जगहों की अपेक्षा 3 से 4 डिग्री तापमान कम होता है।

पेड़ पौधे अमूल्य संपदा हैं जो हमें ग्लोबल वार्मिंग, सूखा ,बाढ़ जैसे कई प्राकृतिक आपदाओं से बचाती है। जब पर्यावरण सुरक्षित होगा तब सही मायने में धरती पर मानव जीव जंतु और पादपों का जीवन सुरक्षित होगा इसलिए पर्यावरण दिवस के अवसर पर समस्त देशों की सरकारों को लोगों के साथ मिलकर पर्यावरण प्रदूषण को रोकना होगा इसके लिए ठोस एवं प्रभावी कदम उठाने होंगे तब ही पर्यावरण प्रदूषण से बचा जा सकता है और तब ही जीवन सुरक्षित रह सकता है।

लेखक
सत्य प्रकाश
(प्राचार्य )
डॉ बी आर अंबेडकर
जन्मशताब्दी महाविद्यालय
धनसारी अलीगढ़


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