पैगंबर मोहम्‍मद के बयान को लेकर संस्कारी मुस्लिम जमात मोदी-योगी सरकार के साथ!

By: Dilip Kumar
6/14/2022 10:14:13 PM

लगातार देश के विरुद्ध ज़हर उगलने और भारत में आग लगाने वाले ओवेसी, मदनी आदि के खिलाफ फतवा जारी किया जाएगा। पिछले दिनों दिल्ली के कौंस्टीट्यूशन क्लब में एक राष्ट्रवादी व सांसकारवादी मुस्लिम संगठन, जमात उलमा-ए-हिन्द जिसका कि मदनी ग्रुप के जमियत-ए-उलमा-ए-हिन्द से कोई संबंध नहीं है, ने एक ऐतिहासिक संगोष्ठी पैगंबर मोहम्‍मद (सल्लo) के बारे में नूपुर शर्मा के विवादित बयान को लेकर की जिस में बड़ी ईमानदारी व सफाई के साथ देश में हिन्दू-मुस्लिम दंगा उकसाने वालों की न केवल भर्तसना की गई बल्कि उन्हें चिन्हित भी किया गया और कहा गया कि आम मुस्लिम इनके भड़कावे में न आए और इनके खिलाफ फतवा दिया जाएगा। यह भी बताया गया कि मुस्लिमों के लिए भारत से अच्छा देश और हिन्दू से बेहतर दोस्त कोई नहीं!

पैगंबर मोहम्‍मद (सल्लo) के बारे में नूपुर शर्मा के विवादित बयान को लेकर भारत ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्व में हल्‍ला मचा हुआ है। कई देशों ने उनके बयान पर नाराजगी जताई थी। इसके बाद उन्‍हें बीजेपी ने निलंबित कर दिया था। अब नूपुर की गिरफ्तारी की मांग तेज हो गई है। इसे लेकर देशभर में प्रदर्शन देखने को मिले हैं। इस मसले को लेकर न्‍यूज चैनलों में भी खूब चर्चा हो रही है। इस संगोष्ठी में इस संस्कारी जमात, जमात उलमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सुहैब कासमी ने जहां नूपुर द्वारा हज़रत मुहम्मद पर की गई भद्दी टिप्पणी की निंदा की, उसी प्रकार नूपुरको दी गई बलात्कार और सर तन से जुड़ा करने की धमकियों की भी घोर निंदा हुई कि इन सबका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है और जो कि वास्ताव में सच भी है। वैसे भी क़ुरान और हदिसोन में बहुत स्तनों पर कहा गया है, “उफ्फ़ू अन्नहू”, अर्थात “क्षमा करदो” अल्लाह के नजदीक भी माफ करदेना अफ़जल और बेहतर होता है और यह माफी किसी के दिल दुखाने कि, किसी के साथ मार-पीट की अथवा किसी का माल दबाने की भी हो सकती है और रहम अर्थात दया को बहुत ऊंचा आँका गया है अल्लाह और स्वयं हज़रत मुहम्मद द्वारा, अतः बावजूद अपनी भद्दी टिप्पणी के, नूपुर को माफ करना बेहतर होगा न कि “गुस्ताख़-ए-रसूल की एक ही सज़ा/ सर तन से जुदा”, के नारे लगा कर इस्लाम को बदनाम करना।

मौलाना सुहैब ने पूछा कि नूपुर के बयान के बाद दो जुमे आए। इस दौरान क्‍यों खामोशी थी। कैसी तैयारियां चल रही थीं। चर्चा के दौरान उन्‍होंने अरब मुल्‍कों के साथ हमदर्दी दिखा रहे लोगों की भी क्‍लास लगाई और कहा कि भारत में कुछ विघटनकारी लोग हैं जो भारत के बदनाम होने से खुश होते हैं। उनके कहने का अर्थ था कि जो लोग इस आपत्तिजनक बयान के 10-15 दिन तक खामोश रहे, वे अंदरखाने दंगों की तैयारी कर रहे थे और वातवर्ण को गरमा रहे थे जिसका अंजाम जुमों की नमाजों के बाद देखने में आया, जहां दो नौजवान मुस्लिम युवक मारे गए। वे दोनों अत्यंत निर्धन थे और अपने घर का खर्च मुश्किल से चलते थे। यह बात भी पुरज़ोर शब्दों में सुहैब क़समी के ज़रिए कही गई कि मुसलमान अपने कथित नेताओं जैसे असदुद्दीन और अकबरुद्दीन ओवेसी, मदनी परिवार और कानपुर शहर-ए-क़ाज़ी, हाजी मौलाना अब्दुल कुद्दूस की बातों में हरगिज़ भी न आएं, जिसने कहा था कि अगर घरों पर बुलडोज़र चले तो मुसलमान सर पर कफन बांध कर सड़कों पर आ जाएंगे।

जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुस्लिमों के एक हाथ में क़ुरान और एक हाथ में कम्प्युटर देने की बात कहते चले आए हैं और देश को जोड़ने की बात कर रहे हैं, वहीं ऐसे लोग देश को तोड़ने की बात कर रहे हैं। कानपुर या प्रयागराज हिंसा का सबसे दुखदाई पहलू यह है कि छोटे-छोटे बच्चों, जिनके हाथ में कलम, कुरान और लैपटॉप होने चाहिएं, उनके हाथ में पत्थर दे दिए गए। यही उन्मादी व देश को बांटने वाले पृथकतावादी व अतिवादी लोगों ने कश्मीर के युवाओं के हाथों में 500 रुपए थमा कर सालों तक पत्थरबाजी कराए, जो 370 लगने के बाद ही क़ाबू में आई।

सवाल इस पर भी उठा कि जिन अरबों के बारे में असदुद्दीन और अकबरुद्दीन ओवेसी, मदनी व उनके चेले कह रहे हैं कि उन्होंने भारत पर दबाव बना दिया, भारत को दबा लिया और मोदी को डरा दिया, उन मुल्कों को ये दो महीने पहले यहूदियों के एजेंट, अमेरिका के गुलाम और मोदी के पिट्ठू कह रहे थे। ये बेपेंदी के लोटे हैं और इंका हिसाब इसी पुरानी कहावत के अनुसार है कि जहां देखी बारात, वहीं बिछाई परात। इनका स्टैंड क्या है? क्या ये कथित मुस्लिम नेता जवाब देंगे कि कभी तो ये एजेंट बन जाते हैं बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी के, कभी अयोध्या कमेटी के, अगले दिन बन जाते हैं, तो कभी सीएए आंदोलन के सर्वेसर्वा बन जाते हैं, उसके बाद (अनुच्छेद) 370 के डिफेंस में आ जाते हैं, कभी ये ज्ञानवापी के डिफेंस में आ जाते हैं, ट्रिपल तलाक को हराम और नजायज भी कहते हैं और उसे बचाने के लिए भी आ जाते हैं कि यह तो शरीअत में मुदाखिलत है। वास्तव में ये सभी देश को तोड़ना चाहते हैं। इंका मात्र मक़सद केवल हिन्दू-मुस्लिम टैंशन व कोहराम पैदा कर हलवे-मांडे व मक्खन-मलाई खाना है और ये हिंदुस्तान को ज्वालामुखी बनाने के इछाधारी हैं।

पिछले दो जुमों को देखकर ऐसा लगता है कि पूरे भारत में पहले इसका प्लान बनाया गया और फिर पत्थरबाजी व आगजनी कराई गई इस प्रकार की देशविरोधी गतिविधिओं व धमकियां देने से न केवल वातवर्ण में नफ़रतों का बाज़ार गरम होता है बल्कि इन नेताओं द्वारा ज़हर उगलने और आग लगाने के बाद उन्मादित किए गए युवा जब आगजनी और पत्थरबाजी पर उतरते हैं तो पुलिस की गोलियां वे खाते हैं। अगर ओवेसी और मदनी को इस्लाम की इतनी फिक्र है तो वे खुद सामने आएँ और पुलिस व फौज की गोलियां खाएं। जिनको शौक है सर पर कफन बांध कर निकालने का, वे ऐसा करके देख लें कि इसका नतीजा या तो जाईल होगा या जहन्नुम।

इस प्रकार के अतिवादी और आतंकवादी लोगों के कारण आज मस्जिदों में होने वाली जुमे की नमाज़ को शक की नज़र से देखा जाने लगा है कि आखिर मस्जिद में क्या बयान दिया जाता है कि नमाज़ी और यहां तक कि 114 साल के बच्चे भी हाथों में पत्थर उठा लेते हैं। जबकि सच्चाई तो यह है कि हर जुमे की नमाज़ के बाद जब दुआ की जाती है तो इमाम द्वारा यही कहा जाता है कि हिंदुस्तान प्रगति के तेजगाम रास्ते पर चले और देश में सुख-शांति का दौर-दौरा हो। जय हिन्द! जय भारत! भारत माता की जय!

फ़िरोज़ बख़्त अहमद

(पौत्र भारत रत्न मौलाना आज़ाद व पूर्व कुलाधिपति और वरिष्ठ स्तंभकार)

981093050

 


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