फ़िरोज़ बख़्त का कॉलम: वरुण गांधी को ऑक्सफोर्ड में व्याख्यान दे भारत और मोदी को बढ़ाना चाहिए था 

By: Dilip Kumar
3/21/2023 8:45:47 PM

जिस प्रकार से राहुल गांधी को पिछले दिनों कैंब्रिज, लंदन में एक व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था, ऐसे ही उनके चचेरे भाई वरुण गांधी को एक अन्य अति सम्मानित संस्थान, ऑक्सफोर्ड यूनियन द्वारा आमंत्रित किया गया था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत को जगत गुरु बनाने के रास्ते पर ले जाने पर अपना व्याख्यान दें। साथ ही यह इशारा भी दे दिया गया था कि उन्हें उसू विचारधारा का अनुसरण करना है जो उनके बड़े चचेरे भाई, राहुल ने अपनाई थी, अर्थात भारत में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, महंगाई व बेरोजगारी अपने चरम पर है, यहां न तो अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं और न ही किसान आदि और यह कि भारत को सही रास्ते पर लाने के लिए अमेरिका और पश्चिमी देशों को यहाँ हस्तक्षेप करना चाहिए आदि। जिस प्रकार का भारत विरोधी व्याख्यान राहुल गांधी ने दिया था, आज भी सोशल मीडिया और संसद में उस पर छीछालीदर हो रही है और लानत भेजी जा रही है। यहां तक कि भारतीय संसद के सत्र तक में काफी हंगामा हुआ और यह तक कह दिया गया कि उनको संसद से निष्कासित कर दिया जाए। हालांकि उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि संसद में बोलने का पूर्ण कानूनी अधिकार है उन्हें।

भले ही ऑक्सफोर्ड यूनियन ने इशारा कर दिया था कि उन्हें भारत और मोदी के विरुद्ध बोलना है, यदि वरुण गांधी चाहते तो इस अवसर को इस प्रकार से ही प्रयुक्त कर सकते थे, जैसे क्रिकेटर, वीरेंद्र सहवाग अपने ऊपर फेंके गए बाउंसर को छकके में तब्दील किया करते थे। वह माईक संभाल कर डंके की चोट पर कहते कि उनको इशारा यह दिया गया था कि वह मोदी और भारत के विरुद्ध बोलें, मगर वह यह पाप नहीं करने वाले क्योंकि आज सदियों के बाद भारत को ऐसा प्रधानमंत्री मिला है कि जिसने देश के सम्मान को सातवें आसमान तक पहुंचा दिया है एयर आज भारत जी-20 अध्यक्ष है और मोदीजी विश्व शांति का प्रतीक आदि। अगर वरुण ने ऐसा व्याख्यान दे दिया होता तो उनके ऊपर मोदी सरकार विरोधी टिप्पणियां करने का धब्बा भी धूल जाता। मगर उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया, यह तो उनका दिल ही जानता है कि क्या दूसरे पाले में जाने लो वह तत्पर हैं। वरुण यह भी जान लें कि नेहरू-गांधी खानदानी विरासत को लेकर भले ही वह और उनकी माताश्री मेंकजी बराबर के हिस्सेदार हैं, मगर सोनिया-राहुल-प्रियंका की तिकड़ी उन्हें इस पर क़ाबिज़ नहीं होने देगी, जैसा कि मौलाना आज़ाद की विरासत को लेकर कोई न कोई आए दिन दावा करता रहता है और उनके मान-सम्मान व आस्था को बट्टा लगाता है। 

वरुण फिरोज गांधी ने शायद राहुल के व्याख्यान पर हुई आपाधापी को देख कर यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि राहुल पर भारत को बदनाम करने के लिए कैसे गाज गिर रही है और कह दिया कि वह विदेश में जाकर भारत पर कोई ऐसी टिप्पणी नहीं करना चाहते कि जिसे देश की आस्था को बट्टा लगे या उसका अपमान हो और यह कि यदि देश में हो रही राजनीतिक घटनाओं पर यदि किसी को आपत्ति है तो देश में ही उसका उपाय खोजा कए न कि विदेशों में अपने देश पर गाज गिराई जाए। यह बिलकुल ठीक है, मगर यही बात उनको ऑक्सफोर्ड में जा कर पुरज़ोर अंदाज़ से कहनी चाहिए थी, क्योंकि वह अच्छे खासे शिक्षित हैं और और अपने स्तम्भ, ब्लॉग आदि भी बनाते हैं। वास्तव में वरुण गांधी के अपने लिए भारत व मोदी के पक्ष में ऐसा व्याख्यान देना चाहिए था जैसा कि उन्होंने स्वयं प्रधानमंत्री मोदी से इन तमाम वर्षों में सीखा है, जिससे उनकी वह छवि साफ होती कि जिस के बारे में कई राजनीतिक पण्डित कहते सुनाई दे रहे हैं कि, वरुण गांधी न तो पूर्ण रूप से भाजपा के खेमे में हैं और न ही कांग्रेस के। वह तो बस हवा में आधार लटक रहे हैं, कभी कांग्रेस की ममता उनके मन में उमड़ पड़ती है, जिसके कारण वह मोदी सरकार के विरोध में टिप्पणियां करते रहते हैं, जिन में कोई खास दम नहीं होता। शायद अब तक वरुण यह फैसला नहीं कर पाए कि इस दोराहे से उनका आगे का रास्ता क्या हो। 

इस में कोई दो राय नहीं कि वरुण एक ऐसे परिवार से संबंध रखते हैं कि जिसकी कई पुश्तों ने भारत की सत्ता पर राज किया है, भले ही मानों पर नहीं किया हो और जिसने देश को तीन प्रधानमंत्री दिए हैं। उनके मन में यह भी आता होगा कि वह एक प्रधानमंत्री (इंदिरा गांधी) के पौत्र हैं और एक के पर नवासे (पंडित जवाहरलाल नेहरू)! उनके मन में यह बात भी शायद आती होगी कि अगर उनके पिता की असमय मृत्यु नहीं होती तो वह भी अपने कज़न, राहुल की तरह एक प्रधानमंत्री के पुत्र होते और कांग्रेस पार्टी की ओर कहीं बड़ी समझ-बूझ वाले प्रधानमंत्री प्रत्याशी होते। दूसरी ओर जब-जब उन्होंने भाजपा के विरिद्ध बीन बजाया तो शायद उनके मन में यह आया होगा कि उनकी मतशरी मेंका संजय गांधी से मंत्रालय “छीन” लिया गया है और अब यह भी सोचते होंगे कि उनकी तरह एक अन्य राजवंशी, ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्लेट में रखकर मंत्रालय प्रदान कर दिया। वास्तव में इंसान की प्रवृत्ति ही ऐसी होती है। 

असल में में जिस प्रकार का भारत विरोधी व्याख्यान राहुल गांधी ने दिया था, आज भी सोशल मीडिया और संसद में उस पर छीछालीदर हो रही है और लानत भेजी जा रही है। यहां तक कि भारतीय संसद के सत्र तक में काफी हंगामा हुआ और यह तक कह दिया गया कि उनको संसद से निष्कासित कर दिया जाए। उधर राहुल फरियाद कर रहे हैं कि उनकी आवाज़ घोंटी जा रही है। मगर प्रश्न यह है कि आखिर विदेश में राहुल भारत को क्यों नीचा दिखते हैं, जबकि देश में विपक्ष को हर प्रकार की आज़ादी है। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने तो यहां तक कह डाला कि परिवारवाद व वंशवाद के कारण कांग्रेस लगभग समाप्ति की ओर है। जब गांधी, मौलाना आज़ाद, पंडित नेहरू, सरदार पटेल आदि ऐसे स्वतन्त्रता सैननियों का रास्ता पार्टी छोड़ देगी तो यही दुर्दशा होगी कांग्रेस की। 

चिंता जताते हुए एक वरिष्ठ पूर्व कांग्रेसी नेता और मंत्री ने रोष जताया कि राहुल गांधी ने लंदन जाकर भारत को बदनाम करने के बारे में जो आरोप लगाए हैं, वे उन्हीं पर बूमरेंग हो गए हैं। कुछ ने तो उन्हें “जयचंद” तक कह दिया। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक पृथ्वीराज चौहान के ख़िलाफ़ जयचंद ने मोहम्मद ग़ौरी का साथ दिया था। क्या यह कहना उचित है, “देश में धुव्रीकरण बढ़ता जा रहा है, बेरोज़गारी अपने चरम पर है, महंगाई बढ़ती जा रही है? बीजेपी ने देश में हर तरफ़ केरोसीन छिड़क दिया है बस एक चिंगारी से हम सब एक बड़ी समस्या के बीच होंगे।” भारत में रहते हुए वे सरकार की निंदा करें, यह बात तो समझ में आती है, क्योंकि वे ऐसा न करें तो विपक्ष का धंधा ही बंद हो जाएगा। भारत का विपक्ष इतना टटपूंजिया हो गया है कि उसके पास निंदा के अलावा कोई धंधा ही नहीं बचा है। उसके पास न कोई विचारधारा है, न सिद्धांत है, न नीति है, न कार्यक्रम है और न जन-आंदोलन के कोई मुद्दे हैं, सिवाए एक घिसी-पिटी पद यात्रा के! उनका यह रवैया नया नहीं है। कांग्रेस के पास कोई दिखावटी नेता भी नहीं हैं और जो नेता हैं उनकी बातें सुनकर लोग हंसने के अलावा क्या कर सकते हैं? जैसे राहुल गांधी का यह कहना हमारे फौजी चीनी सेना से पिट रहे हैं! 

एक अन्य अत्यंत वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने तो यहां तक कह डाला कि भाजपा अपने भाग्य को सराहे कि उसे राहुल-जैसा विरोधी नेता मिल गया है, जिससे उसको कभी कोई खतरा हो ही नहीं सकता। भाजपा को अगर कभी कोई खतरा हुआ तो वह खुद से ही होगा। भाजपा को चाहिए कि वह राहुल को धन्यवाद दे और उनकी पीठ थपथपाए! राहुल गांधी के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा हो रही है। कुछ ने तो उन्हें “जयचंद” तक कह दिया। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक पृथ्वीराज चौहान के ख़िलाफ़ जयचंद ने मोहम्मद ग़ौरी का साथ दिया था।

(लेखक पूर्व कुलाधिपति व भारत रत्न मौलाना आज़ाद के पौत्र हैं)


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