'मैं राजनीतिक फुटबॉल बन गया हूं'

By: Dilip Kumar
2/23/2017 4:26:38 PM
नई दिल्ली

ऋण नहीं चुकाने के मामले में फंसे शराब कारोबारी विजय माल्या ने गुरुवार (23 फरवरी) को कहा कि वह देश की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के बीच ‘राजनीतिक फुटबॉल’ बन गए हैं। माल्या फिलहाल ब्रिटेन में हैं। उन्होंने बिजनेस न्यूज चैनल बीटीवीआई से कहा, “सब कुछ किंगफिशर एयरलाइंस की विफलता से शुरू हुआ। सरकारी स्वामित्व वाले बैंक भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन की विफलता के लिए मुझे व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार ठहराने और अपने कर्ज वापसी की कोशिश कर रहे हैं। मैंने भी उन पर जवाबी दावा किया है।”

माल्या ने यह भी कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक दीवानी मामले को आपराधिक मामले में बदल दिया और इसके बाद बैंकों के साथ धोखाधड़ी और धन की हेराफेरी के आरोप भी जोड़ दिए गए। माल्या ने कहा, “मैं इन सबसे गंभीरता के साथ कानूनी तौर पर लड़ रहा हूं। मेरा मानना है कि उनके पास मेरे खिलाफ ऐसा कोई मामला नहीं बनता है।” माल्या ने कहा, “लेकिन भारत तो भारत है। मैं देश के दो प्रमुख भारतीय राजनीतिक दोलों के बीच फुटबॉल बन गया हूं, जैसा कि चुनावी भाषणों से साफ परिलक्षित होता है। मैं उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करूंगा।” 

कर्नाटक उच्च न्यायालय से शराब कारोबारी विजय माल्या को बड़ा झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने बंद पड़ी किंगफिशर एयरलाइंस लि. पर बैंकों के बकाये की वसूली के लिये यूबी समूह की मूल कंपनी यूनाइटेड ब्रेवरीज (होल्डिंग) लि. (यूबीएचएल) को परिसमाप्त करने का मंगलवार (7 फरवरी) को आदेश दिया। किंगफिशर एयरलाइंस यूबीएचएल द्वारा प्रवर्तित एयर लाइन है और वित्तीय संकट में फंसने के कारण अब इसका परिचालन बंद पड़ा है। न्यायाधीश विनीत कोठारी ने बैंकों तथा विमान पट्टे पर देने वालों की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए कहा, ‘यह अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि प्रतिवादी कंपनी यूबीएचएल अपना बकाया वित्तीय संस्थानों को उनका बकाया लौटाने के अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में जिस तरह विफल रही है उसे देखते हुए यह परिसमाप्त करने लायक है।’

उच्च न्यायालय की धाड़वाड़ पीठ के न्यायाधीश कोठारी ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये आदेश सुनाया। कर्ज देन वालों में बीएनपी परिबा, स्टेट बैंक आफ इंडिया शामिल हैं। इसके अलावा विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियां, राल्स रायस जैसी इंजन बनाने वाली कंपनियां तथा आईएई ने 146 करोड़ रुपए की बकाये की वसूली के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाया था। न्यायाधीश ने कहा कि प्रतिवादी कंपनियां की परिसंपत्ति यूबीएचएल के जिम्मे नहीं छोड़ा जा सकती है और कानून के तहत परिसमापन प्रक्रिया पूरी करने के लिये उसे परिसमापक को सौंपी जा सकती है।


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