जीवन में आए परेशानियां,करें उनका सामना

By: Dilip Kumar
4/18/2017 12:50:59 PM
नई दिल्ली

जीवन में आने वाली हर चुनौती को युद्ध की तरह नहीं, खेल की तरह लिया जाए। युद्ध हो या खेल, किसी एक पक्ष की जीत और दूसरे की हार होनी ही है। हारने वाला पूरी तरह टूट जाता है और जीतने वाला यदि संयम न रखे तो अहंकार में डूब जाता है। जीवन में जब भी चुनौती आए, उसे खेल की तरह लें। इसे समझना हो तो लंका कांड के उस प्रसंग में चलते हैं जहां वानरों से कहा जा रहा है ‘राम चरन पंकज उर धरहू। कौतुक एक भालु कपि करहू।।’ श्रीराम के चरणों को हृदय में धारण कर सब एक खेल कीजिए।

आगे तुलसीदासजी ने लिखा है, ‘लिलहिं लेही उठाई’ यह बड़ा प्यारा शब्द है। कोई भी बड़ा काम करें, खेल-खेल में निपटाएं। युद्ध और प्रतिस्पर्द्धा में हमारे साथ एक बात हो जाती है। हम यह मानने लगते हैं कि जो हम जानते हैं वही सही है और दूसरा जो जानता है वह गलत है। इसीलिए हम विरोध का स्वर मुखर करने लगते हैं। हम सामने वाले पर प्रभुत्व चाहते हैं इसीलिए प्रतिस्पर्द्धा में पड़ते हैं। खेल में मामला थोड़ा अलग है। यहां दोनों पक्ष एक ही नियम के तहत आमने-सामने होते हैं जबकि युद्ध में सब अपने-अपने नियम से चलते हैं।
उस समय आपका विवेक, आपकी निर्णय क्षमता यह सब बड़े काम आते हैं। युद्ध में हम किसी भी तरह से सामने वाले को समाप्त ही करना चाहते हैं, जबकि खेल में जीत के लिए उसका उपयोग करते हैं। हम उसे हराने में उतनी ऊर्जा नहीं लगाते, जितनी ताकत खुद जीतने में लगाते हैं। इसलिए जब भी कोई चुनौती आए, तो यह मानकर चलिए कि दूसरे भी उस पर काम कर रहे होंगे और ऐसे समय आप किसी भी चुनौती को खेल के रूप में लेंगे तो जीत तो सुनिश्चित होगी, पर यदि हार भी हो जाती है तो आप बिखरेंगे नहीं, टूटेंगे नहीं।

 पं. विजयशंकर मेहता
humarehanuman@gmail.com


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