न वो महफिल है और न कद्रदान, सिर्फ़ और सिर्फ़ जिस्मफरोशी का धंधा
By: Dilip Kumar
6/2/2017 4:53:15 PM
कभी कला के कद्रदानों की महफ़िल सजा करती थी, आज वहां सजता है ’जिस्म का बाज़ार’। कल तक जिन आंखों का दीदार करना, जिनके नृत्य-संगीत का दीदार करना कला के कद्रदान अपनी शान माना करते थे, आज उन्हीं आंखों के दीदार से हमारी शान गिरने लगी है। आज न वो महफिल है और न कद्रदान। वहां कुछ है तो सिर्फ़ और सिर्फ़ जिस्मफरोशी का धंधा। इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे पर आज हम आपको कुछ एेसी ही इलाकों के बारे में बताने जा रहे है जो देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है।
बिहार चतुर्भुज स्थान, मुजफ्फरपुर
वैसे तो बिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले के ‘चतुर्भुज स्थान’ नामक जगह पर स्थित वेश्यालय का इतिहास मुग़लकालीन समय का बताया जाता है। यह जगह भारत-नेपाल सीमा के करीब है। पुराने समय में यहां पर ढोलक, घुंघरुओं और हारमोनियम की आवाज़ ही पहचान हुआ करती थी क्योंकि पहले यह कला, संगीत और नृत्य का केंद्र हुआ करता था। लेकिन अब यहां जिस्म का बाज़ार लगता है। सबसे खास बात यह है कि वेश्यावृत्ति यहां पर पारिवारिक व पारंपरिक पेशा माना जाता है। परिवार का लालन–पालन करने के लिए मां के बाद उसकी बेटी को यहां अपने जिस्म का सौदा करना पड़ता है।
अगर यहां के इतिहास पर नजर डालें तो पन्नाबाई, भ्रमर, गौहरखान और चंदाबाई जैसे नगीने मुजफ्फरपुर के इस बाजार में आकर लोगों को नृत्य दिखाकर मनोरंजन किया करते थे, लेकिन अब यहां मुजरा बीते कल की बात हो गई और नए गानों की धुन पर नाचने वाली वो तवायफ़ अब प्रॉस्टीट्यूट बन गईं। इस बाजार में कला, कला न रही बल्कि एक बाजारू वस्तु बनकर रह गई। यह जगह काफी ऐतिहासिक भी है। शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की पारो के रूप में सरस्वती से भी यहीं मुलाकात हुई थी। और यहां से लौटने के बाद ही उन्होंने ‘देवदास’ की रचना की थी। यूं तो चतुर्भुज स्थान का नामकरण चतुर्भुज भगवान के मंदिर के कारण हुआ था, लेकिन लोकमानस में इसकी पहचान वहां की तंग, बंद और बदनाम गलियों के कारण है। पुराने समय में यहां काम करने वाले महिलाओं को शिवदासी कहा जाता था। यहां पर कुछ मंदिर भी हैं और उसके आसपास के घरों में सैक्सवर्कर्स रहती हैं। कुछ साल पहले यहां की एक वर्कर रानी बेगम ने मुजफ्फरपुर के म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में काउंसलर का चुनाव जीत था।
सोनागाछी, कोलकाता
यह एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया के रूप में मशहूर है। एक अनुमान के मुताबिक, यहां करीब 14 हजार महिलाएं इस प्रोफेशन में हैं। भारतीयों के अलावा काफी संख्या में नेपाली, बांग्लादेशी महिलाएं भी इसमें शामिल हैं।
जीबी रोड, दिल्ली
दिल्ली में स्थित यह रेड लाइट एरिया काफी चर्चा में रहता है। जीबी रोड में काफी संख्या में हार्डवेयर की दुकानें हैं और इन दुकानों के ऊपर बने कमरों में सैक्स वर्कर्स रहती हैं। कुछ जगहों पर इन वर्कर्स के साथ गाना-गाने वाले भी रहते हैं जो विजिटर्स का मनोरंजन करते हैं।
रेड लाइट एरिया मुंबई, कमाठीपुरा
देह व्यापार वैसे तो गैर कानूनी है लेकिन मुंबई सहित तमाम शहरों में यह कारोबार चलता है। कमाठीपुरा को मुंबई को सबसे पुराना और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया कहा जाता है। पहले जहां इसे लाल बाजार कहा जाता था। बाद में यहां रहने वाले वर्कर्स की वजह से इसे कमाठीपुरा कहा जाने लगा। 1992 में यहां काम करने वाले सैक्स वर्कर्स की संख्या करीब 50 हजार थी। 2009 में यह आंकड़ा करीब 1600 पर पहुंच गया। इनकी बढ़ रही संख्या और जगह की कमी के कारण यह अन्य इलाकों में चले गए।
मीरगंज, इलाहाबाद
यह रेड लाइट एरिया अवैध खरीद-ब्रिकी के लिए काफी बदनाम है। यहां लूट-पाट की घटनाएं होती रहती हैं। इन अवैध धंधे के बारे में कई किस्से सुनने को मिले है।
बुधवार पेठ, पुणे
मराठी में पेठ का तात्पर्य बाजार से होता है। पुणे में अगर आपको इलेक्ट्रानिक्स, किताबें या इससे जुड़ी हुई कुछ अन्य चीजें खरीदनी हो तो लोग आपको बुधवार पेठ का नाम सुझाएंगे। खरीदारी के लिहाज से यह व्यस्ततम इलाका है। यहां भगवान गणपति का एक प्रसिद्ध मंदिर भी है। और यहीं वेश्यावृत्ति का अड्डा भी। संभवतः इसके हाईटेक सिटी होने की एक वजह यह भी हो सकती है।
गंगा जमुना, नागपुर
गंगा जमुना महाराष्ट्र का एक कुख्यात रेड लाइट इलाका है। नाम से लग रहा होगा कि यह इलाका बेहद शांत और सुरम्य होगा। लेकिन है इसके ठीक उलट। शहर का यह गंगा जमुना इलाका न केवल अवैध वेश्यावृत्ति के लिए कुख्यात है, बल्कि यहां अन्य आपराधिक गतिविधियां भी धड़ल्ले से होती हैं।
शिवदासपुर, वाराणसी
वाराणसी तवायफ संस्कृति के लिए कुख्यात रहा है। यहां वेश्यावृत्ति के कई छोटे-बडे ठिकाने सदियों से चल रहे हैं। शहर का शिवदासपुर इलाका वाराणसी रेलवे स्टेशन से सिर्फ 10 मिनट की दूरी पर है और यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा रेड लाइट क्षेत्र है, जहां जिस्म का सौदा होता है। यहां बच्चियों को जिस्म के सौदागरों से बचाने के लिए एक संस्थान कार्यरत है। नाम है गुड़िया। इस एनजीओ का काम उल्लेखनीय है।