देश में बिछेगा पासपोर्ट केन्द्रों का जाल, 149 और डाकघरों में बनेंगे पासपोर्ट

By: Dilip Kumar
6/18/2017 11:57:31 AM
नई दिल्ली

पासपोर्ट अब आपके घर के पास ही बनेगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हर नागरिक को उसके आवास के 50 किलोमीटर के दायरे में पासपोर्ट सुविधा केंद्र (पासपोर्ट सेवा केंद्र यानी पीएसके) स्थापित करने की घोषणा की है। उन्होंने देश में 149 नए पासपोर्ट केंद्र स्थापित करने की घोषणा करने के समय अपनी मंशा बताई। ये केंद्र देश के विभिन्न डाकघरों में खोले जाएंगे। सरकार पहले ही 86 डाकघरों में पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके) स्थापित करने का एलान कर चुकी है। स्वराज ने बताया कि मई 2014 में एनडीए सरकार के आने बाद अभी तक 251 पीएसके और पीओपीएसके खोले जा चुके हैं। जबकि 77 पीएसके पहले से हैं।

स्वराज ने बताया कि देश के डाकघरों का अध्ययन किया जा रहा है। तीसरे चरण में और डाकघरों में पासपोर्ट बनाने की सुविधा दी जाएगी। अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पासपोर्ट बनाने की राह में सबसे बड़ी दिक्कत सुविधा केंद्रों का बहुत दूर होना है। इसलिए सरकार की कोशिश है कि हर व्यक्ति को उसके घर के 50 किलोमीटर के दायरे में पासपोर्ट सेवा केंद्र मिल सके।

केआइपी पोर्टल लांच इसके साथ ही स्वराज ने 'नो इंडिया प्रोग्र्राम' (भारत को जानो यानी केआइपी) नाम से एक पोर्टल को भी लांच किया है। यह विदेश में रहने वाले भारतवंशियों के लिए है जिन्हें उनकी जड़ों और मौजूदा भारत के बारे में जानकारी मिलेगी। वैसे केआइपी प्रोग्र्राम को वर्ष 2004 में ही लांच किया गया था जो विदेश में बसे भारतीय मूल के युवाओं को भारत आने और उन्हें यहां की संस्कृति, माहौल और लोगों से रूबरू करवाता है। इस योजना के 40 संस्करणों के तहत 1,293 प्रवासी युवाओं ने भारत का दौरा किया है।

पिछले वर्ष से हर वर्ष इस प्रोग्र्राम के तहत छह टीमों को भारत लाया जा रहा है। इसके तहत भारत में प्रवास की अवधि 21 से बढ़ाकर 25 दिन कर दी गई और एक या दो राज्यों के भ्रमण के लिए 10 दिनों का समय दिया गया है। इस कार्यक्रम के तहत गिरमिटिया देशों को तरजीह दी गई। गिरमिटिया देशों का जिक्र करते हुए स्वराज ने कहा कि ब्रिटिश शासक अच्छी नौकरी बहाने से एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करा कर बहुत सारे भारतीयों को अपने उपनिवेशों में ले गए थे। इनमें अफ्रीकी और कैरिबियाई उपनिवेश प्रमुख हैं। एग्रीमेंट को लेकर ही इन देशों को गिरमिटिया कहा जाने लगा।

 


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