संतोषी माता पूजा, कथा और उद्यापन कि विधि

By: Dilip Kumar
8/4/2017 3:51:47 AM

संतोषी माता के पिता गणेश, माता रिद्धी-सिध्दि धन, धान्य, सोना, चांदी, मूंगा, रत्नों से भरा परिवार, गणपति माता की लाड भरी, गणपति पिता की दुलार, गणपति देव की कमाई, धंधे में बरकत, दरिद्रता दूर, कलह-क्लेश का नाश, सुख-शान्ति का प्रकाश, बालकों की फुलवारी, धंधे में मुनाफे की कमाई भारी, मनोकामना पूर्ण, शोक विपत्ति चिंता सब चूर्ण, संतोषी माता का लो नाम, जिससे बन जाए सब काम, बोलो... संतोषी माता की जय।

पूजा और कथा

व्रत-पूजा के लिए माँ संतोषी के चित्र के सामने जल से भरे पात्र के ऊपर एक कटोरी में गुड और भुने हुए चने रखें। गुड-चने की मात्रा अपनी सहूलियत के अनुसार कुछ भी रख सकतें हैं, कम-ज्यादा का कोई विचार न करें। जितना बन पड़े श्रद्धा और प्रेम से प्रसन्न-मन व्रत करना चाहिए, क्यों कि माता तो भावना कि भूखी है। इस व्रत को करने वाला कथा कहते समय हाथों में गुड और भुने हुए चने रखे। सुनने वाले 'संतोषी माता की जय' मुख से बोलते जायें। सुनने वाला कोई न मिले तो दीपक जला कर उसके आगे या जल के पात्र को सामने रख कर कथा कहें। कथा पूरी होने पर आरती, भोग लगाने के समय की विनती और चालीसा का पाठ करें। कथा समाप्त होने पर हाथ का गुड और चना गौमाता को खिलावें। कलश पर रखा गुड-चना सबको प्रसाद के रूप में बाटें। कलश के जल को घर में सब जगहों पर छिडकें, बचा हुआ जल तुलसी की क्यारी में सींच देवें।

उद्यापन

व्रत के उद्यापन में ढाई सेर खाजा, मोयमदार पुरी, चने कि सब्जी और खीर का भोग लगाना चाहिए। इस दिन कथा के समय नैवेद्य रखे घी का दीपक जला संतोषी माता कि जय जय कार बोल नारियल फोड़ना चाहिए । इस दिन खटाई न खावें, खट्टी वस्तु खाने से माता का कोप होता है। इसलिए उद्यापन के दिन भोग कि किसी सामग्री में खटाई न डालें। न आप खाएं, न किसी दुसरे को खानें दें। इस दिन आठ लड़कों को भोजन करावें। देवर-जेठ घर कुटुंब का मिलता हो पहले उन्हें बुलावें। न मिलें तो रिश्तेदारों, ब्राह्मणों या पड़ोसियों के लड़के बुलावें। भोजन कराने के बाद उन्हें यथा-शक्ति दक्षिणा देवें। नगद पैसे या खटाई कि कि कोई वस्तु न देवें। व्रत करने वाला कथा सुन एक समय भोजन-प्रसाद ले। इस प्रकार माता अत्यन्त प्रसन्न होंगी। दुख दरिद्रता दूर होकर चाही मुराद पूरी होगी।


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