केरल में कत्लेआम पर कठघरे में सीपीएम सरकार, संघ ने साधा निशाना

By: Dilip Kumar
8/5/2017 2:54:35 AM
नई दिल्ली

केरल में कुछ दिन पहले हुई आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या पर भाजपा और संघ के तेवर तल्ख होते दिख रहे हैं। संघ के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबोले इस मसले पर आज केरल सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने केरल की सीपीएम सरकार पर हत्या का सीधा आरोप लगाया है। दत्तात्रेय ने कहा कि जब भी केरल में कम्युनिस्ट सरकार आती है आरएसएस कार्यकर्ताओं पर हमले बढ़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता की हत्या भी सीपीएम के लोगों ने की है। दत्तात्रेय ने कहा केरल में हत्याओं का सिलसिला थम नहीं रहा, हमने राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा, गृह मंत्री से भी मिले। हम राज्य सरकार से अपील करते हैं कि वह इस तरह की हत्याओं में कमी लाने के लिए सख्त कार्रवाई करे। दत्तात्रेय ने सवाल किया कि केरल में क्या राष्ट्रवादी संगठनों के लोगों को काम करने का अधिकार नहीं है? क्या देश की जनता यह देखकर चुप रहेगी?

उन्होंने अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल केरल में सीपीएम कैडर के हमलों के संबंध में संकल्प पारित किया। होसबोले ने कहा कि पिछले 13 महीने में 14 आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्या की गई है। उन्होंने मामले में राज्य सरकार पर आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने पर सवाल उठाया है। उन्होंने आरएसएस नेताओं की हत्या केे पीछे सीपीएम का हाथ का दावा किया है। भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि वे आगामी रविवार को केरल जाकर मारे गए आरएसएस और अन्य सगंठन के कार्यकर्ताओं के परिजनों से मिलेंगे।

संघ-भाजपा के एजेंडे में केरल बना नंबर वन

संघ-भाजपा के एजेंडे में केरल का मामला नंबर वन पर आ गया है। केरल में संघ कार्यकर्ताओं की हो रही हत्या के खिलाफ भाजपा, संघ और केंद्र सरकार तीनों ही एकजूट होकर वहां की वाम सरकार के विरूद्ध सियासी हमला बोलेंगे। केरल की लडाई को भगवा परिवार वाम विचारधारा के साथ अपनी अंतिम लडाई के रूप में देख रहा है। इस अंतिम लडाई को जीतने के मकसद से भाजपा और संघ के शीर्ष नेतृत्व ने साझा अभियान चलाने का निर्णय लिया है। 

सूत्र बताते हैं कि मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्या जी जोशी, सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल और दत्तात्रेय होसबोले ने बैठक कर केरल में चल रहे घटनाक्रमों को लेकर वामदलों के खिलाफ साझा अभियान चलाने की रणनीति पर मंत्रणा की थी। जिसका असर देखने को भी मिल रहा है। गुरूवार को संसद में केरल में हो रही हत्याओं को लेकर भाजपा और वाम दलों के बीच हुई न सिर्फ तीखी गहमा-गहमी हुई बल्कि इसके वजह से लोकसभा की कार्यवाही में बार-बार व्यवधान उत्पन्न हुआ और कार्यवाही संक्षिप्त रूप से स्थगित करनी पड़ी। 

इसके अलावा संघ ने अपने सबसे तेजतर्रार अधिकारी मानेें जाने वाले सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले को मीडिया के समझा मोर्चे पर उतारा है। वे शुक्रवार को राष्ट्रीय मीडिया से केरल के मामले को लेकर मुलाकात करेंगे। तो दूसरी ओर सरकार ने तार्किक क्षमता से लैस अपने सबसे तेजतर्रार मंत्री अरूण जेटली को रविवार को केरल भेजने का निर्णय लिया है। रविवार को केरल पहुंचकर जेटली प्रदेश की वाम सरकार के खिलाफ कडा हमला बोलेंगे। तो केंद्रीय गृहमंत्रालय को भी मामले में सक्रियता दिखाने के निर्देश दिए गए हैं।

केरल की जंग भगवा परिवार के लिए इसलिए अहम बन गई है कि शुरू से ही उसका वैचारिक मुकाबला वामपंथ से ही रहा है। कांग्रेस पार्टी के साथ मुकाबले को संघ परिवार वैचारिक मुकाबले के रूप में नहीं देखता है। बल्कि कांग्रेस का उससे मुकाबला राजनैतिक है। यही वजह है कि भगवा परिवार वैचारिक जंग में वाम को मात देना चाहता है। लोकसभा में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाकर भगवा परिवार ने राजनैतिक जंग तो जीत ली है। लेकिन वैचारिक जंग के रूप में वामपंथ से उसका आर-पार का मुकाबला अभी बाकी है। 

यही वजह है कि सरकार और भाजपा को साथ लेकर संघ अब केरल की वामपंथी सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई छेड़ रहा है। भगवा परिवार को मालूम है कि पूरे देश में कहीं मजबूत पकड़ है तो वह केरल में ही है। इसलिए भगवा परिवार केरल में हो रही राजनीतिक कार्यकर्ताओं के हत्या के मामले को देशभर में उभारकर वामपंथ को पटकनी देने के मूड में है। यदि केरल में वह वामपंथ को वैचारिक मात देने में सफल रहा तो उसकी सामने बची अंतिम चुनौती भी खत्म हो जाएगी।

देश में धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के मामले को लेकर उठने वाली असहिष्णुता, बीफ, गौहत्या और मॉब लिंचिंग सरीखे आवाजों को संघ परिवार वामपंथ की उपज मानता है। यही वजह है कि इन आवाजों को संघ परिवार और उससे जुडे संगठन हमेसा एकतरफा मानते हैं। संघ का तर्क है कि मोदी सरकार के खिलाफ उठने वाली ये आवाजें वामबुद्धिजिवियों की कवायद का नतीजा है। संघ के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि वामपंथ उनके खिलाफ सीधी लडाई नहीं जीत सकता है। 

इसलिए बौद्ध्कि जगत में व्यापत अपने लोगों के जरिए वह समय-समय पर असहिष्णुता, बीफ, गौहत्या और मॉब लिंचिंग सरीखे मुद्दों को हवा देता रहता है। वामपंथ को बौद्धिक स्तर पर टक्कर देने के लिए संघ ने तगड़ा होमवर्क किया है। केंद्र में सरकार बनने के बाद बीते दो वार्षों में संघ ने समाज के हर क्षेत्र में अपने बौद्धिक योद्दा तैयार किए हैं। जोकि अपने-अपने क्षेत्रों में संघ की आवाज को आगे बढ़ाएंगे। इसके रणनीतिकार खुद सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले हैं। तो फ्रंट पर इस कवायद को अंजाम देने के लिए संघ ने अपने एकऔर तेजतर्रार प्रचारक जे नंद कुमार को काम में जुटा रखा है। बीते वर्ष संघ इस मामले पर एक प्रस्ताव भी पारित कर चुका है।

केरल में राजनैतिक कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले को वाम दलों ने खारिज किया है। बल्कि उसने उल्टा आरोप संघ परिवार पर ही मढ दिया है। वाम सांसद के करुणाकरन ने कहा है कि केरल में माकपा कार्यकर्ताओं पर भी बड़ी संख्या में हमले किए जा रहे हैं।

 


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