NIA करेगी 'लव जिहाद' मामले की जांच, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

By: Dilip Kumar
8/17/2017 2:02:44 AM
नई दिल्ली

उच्चतम न्यायालय ने केरल के कथित ‘लव जिहाद’ मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को आज सौंप दी, जिसकी निगरानी शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश आर वी रवीन्द्रन करेंगे। केरल की 24 वर्षीया युवती अखिला अशोकन उर्फ हादिया ने धर्म परिवर्तन करके 26 वर्षीय मुस्लिम युवक शेफीन जहां से शादी की थी, जिसे केरल उच्च न्यायालय ने गत 24 मई को निरस्त कर दिया था। एनआईए की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिन्दर सिंह ने मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि जांच एजेंसी का प्रथमदृष्टया यह मानना है कि अखिला का धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम युवक से निकाह करना कथित ‘लव जिहाद’ से अलग घटना नहीं है। 

रिपोर्ट के बाद ही लिया जाएगा फैसला

एएसजी ने दलील दी कि ‘लव जिहाद’ के अन्य मामलों में भी यही लोग शामिल थे, जिन्होंने उन हिन्दू लड़कियों के धर्म परिवर्तन कराये जिनके अपने अभिभावकों से मतभेद थे। केरल सरकार के वकील ने कहा कि यदि शीर्ष अदालत इस मामले की जांच एनआईए से कराना चाहती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद न्यायालय ने इस मामले में कथित ‘लव जिहाद’ के पहलुओं और शेफीन के आरोपों की जांच का आदेश एनआईए को दिया।

पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह इस मामले में कोई भी फैसला एनआईए की रिपोर्ट पर विचार करने, केरल पुलिस का पक्ष जानने तथा अखिला (धर्म परिवर्तन के बाद हादिया) से बात करने के बाद ही करेगी। पीठ शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश के एस राधाकृष्णन को एनआईए जांच की निगरानी का जिम्मा सौंपना चाहती थी लेकिन शेफिन जहां की ओर से जिरह कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह की आपत्तियों के बाद उसने न्यायमूर्ति आर वी रवीन्द्रन को निगरानी का जिम्मा सौंपा।

इन दोनों वकीलों ने आपत्ति जताते हुए दलील दी थी कि यह दो अलग-अलग धर्मों से जुड़ा मामला है और न्यायालय को जांच की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए। गौरतलब है कि अखिला और शेफीन जहां ने निकाह किया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने युवती के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए निकाह को निरस्त कर दिया था। जिसके खिलाफ मुस्लिम युवक ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

 


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