रघुराम राजन बोले- सरकार का नौकर नहीं होता रिजर्व बैंक का गवर्नर

By: Dilip Kumar
9/4/2017 5:42:54 PM
नई दिल्ली

पूर्व केन्द्रीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर रघुराम राजन ने अपनी नई किताब 'आई डू वॉट आई डू' (I Do What I Do) में लिखा है कि केन्द्र सरकार के लिए रिजर्व बैंक गवर्नर कोई नौकरशाह नहीं है। और उसे नौकरशाह समझना सरकार की भूल है। उन्होंने लिखा है कि केन्द्र सरकार को रिजर्व बैंक गवर्नर के पद को लेकर अपने रुख में सुधार करने की जरूरत है।
नोटबंदी को लेकर किया खुलासा

अपनी किताब में राजन ने लिखा है कि उनके कार्यकाल के दौरान कभी भी आरबीआई ने नोटबंदी पर फैसला नहीं लिया था। राजन के इस बयान से उन अटकलों पर भी विराम लग गया, जिसमें सरकार द्वारा कहा गया था कि नोटबंदी की योजना कई महीने से की जा रही थी।

किताब के मुताबिक, 2016 में रघुराम राजन ने काले धन को सिस्टम में लाने के लिए सरकार को कई सुझाव भी दिए थे। राजन ने इस बारे में ज़िक्र करते हुए कहा, "मैने फरवरी 2016 में मौखिक तौर पर अपनी सलाह दी थी और बाद में आरबीआई की तरफ से सरकार को एक नोट भी सौंपा था। जिसमें उठाए जानेवाले जरूरी कदमों और समयसीमा क पूरा खाका पेश किया था। लेकिन सरकार ने नोटबंदी को अपनाने का फैसला किया।

बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा

उन्होंने कहा, "इरादा भले ही अच्छा था लेकिन आर्थिक रुप से इसका बहुत बड़ा खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। निश्चित रूप से अब तो कोई किसी सूरत में नहीं कह सकता है कि यह आर्थिक रूप से सफल रहा है।" राजन की यह किताब इसी हफ्ते आने वाली है। जिसमें नोटबंदी के पर उन्होंने खुलकर अपनी बात कही है। राजन ने लिखा कि, "आरबीआई ने इस ओर इशारा किया कि बिना तैयारी के क्या हो सकता है।'

गौरतलब है कि राजन के आरबीआई गवर्नर पद का कार्यकाल तीन सितंबर 2016 को पूरा हो गया था। नोटबंदी के समय वो शिकागो यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पढ़ा रहे थे। राजन ने कहा कि वह एक साल तक भारत से जुड़े विषयों पर नहीं बोले, क्योंकि वह कामकाज में दखल नहीं देना चाहते थे। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से की गई नोटबंदी को इकॉनमी के लिए नुकसानदायक करार दिया था।

अब आरबीआई एक और पूर्व गवर्नर ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा जीएसटी और नोटबंदी से जुड़े सवालों के जवाब में कहा, 'जीएसटी पूरी तरह सही कदम है। हमें इसे जमीन पर सही से लागू होने के लिए डेढ़ से दो साल का वक्त देना होगा। नोटबंदी को लेकर पहले ही काफी चर्चा हो चुकी है। निश्चित तौर पर इसके कुछ सकारात्मक नतीजे आए हैं। बैंकों में अधिक फंड आया है, लेकिन आप जमीन पर देखेंगे तो ब्लैक मनी खत्म नहीं हुई है।'

नोटबंदी को लेकर बिमल जालान ने कहा कि जब सरकार कोई कदम उठाती है तो कुछ वर्गों को उससे होने वाली परेशानियों को दूर करने के बारे में भी सोचा जाता है। जैसे- किसान कैश में ही लेन-देन करते हैं। हमें यह भी देखना होगा कि टैक्सेशन सिस्टम में सुधार के लिए क्या किया जा सकता है। प्रत्यक्ष कर के मामले में हमें लॉन्ग टर्म पॉलिसी बनानी होगी। ब्याज दरों के निर्धारण को लेकर केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक की अलग-अलग राय को लेकर जालान ने कहा कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं और यहां फ्री स्पीच है।

हालांकि किसी भी फैसले को लेकर विभिन्न पक्षों के बीच सहमति बनाने के प्रयास होने चाहिए। केंद्र की मोदी सरकार की ओर से किए गए आर्थिक सुधारों को लेकर बिमल जालान ने कहा कि उठाए गए सारे कदम सकारात्मक हैं और इन्हें जमीन पर उतारा जाना चाहिए। 'मेक इन इंडिया' को प्राथमिकता देना अच्छी पहल है। इसके अलावा डीबीटी और जीएसटी भी सरकार के अच्छे कदमों में से एक हैं। अब हमें जिस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए, वह है नौकरियों के अवसर पैदा करना।


comments