आजकल लड़कियों की तसवीर के साथ फेक आइडी बनाकर सेक्स चैट का निमंत्रण देने वालों की फेसबुक में बाढ़ सी आ गई है. इस तरह के विकृत मानसिकता के लोग पहले लड़की बनकर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं. फिर सेक्स चैट और ऑनलाइन सेक्स का ऑफर देते हैं. ये किस लिंग के हैं पता नहीं. यदि पुरुष हैं तो निश्चित रूप से मैसेंजर और व्हाट्स एप तक सीमित रहेंगे. लेकिन जब वे लाइव सेक्स की बात करते हैं तो इसका सीधा मतलब है कि हैं तो लड़कियां ही मगर फर्जी एकाउंट के जरिए यह काम करती हैं. हो सकता है वे किसी साइबर गैंग का सदस्य हों या बड़े घर की बिगड़ी हुई लड़कियां भी हो सकती हैं. उनकी फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने पर तुरंत मैसेंजर पर हाय-हलो के साथ बात शुरू करती हैं.
यह डिजिटल युग है. आज लगभग हर किसी की हथेली पर, स्मार्ट फोन है. स्मार्ट फोन के अंदर फेसबुक, मैसेंजर और व्हाट्स एप है. मेरे पास भी है. लंबे समय तक मैं अपने टाइमलाइन तक जाता था लेकिन मैसेंजर की ओर कभी झांककर भी नहीं देखता था. कई दोस्तों की शिकायत रहती थी कि उन्होंने मैसेंजर पर मैसेज भेजा था. मैंने जवाब नहीं दिया. इसके बाद मैसेंजर देखने लगा। कुछ को जवाब भी दिया. मैंने देखा कि इसके बाद मेरे पास बड़ी तेज़ी से फ्रेंड रिक्वेस्ट आने लगे. उसमें कुछ साहित्यिक, राजनीतिक लोग थे और कुछ कम उम्र की लड़कियां भी शामिल थीं. लड़कियों की दिलचस्पी का कारण कुछ समझ में नहीं आया. मुझे लगा कि लेखन की किसी विधा में उनकी दिलचस्पी होगी और उन्होंने रचनात्मक चर्चा के लिए फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा होगा. मैंने उनमें से कुछ के आग्रह को स्वीकार कर लिया. कुछ लड़कियों के टाइमलाइन में पोस्ट देखकर और कुछ बिल्कुल नई बनी प्रोफाइल विहीन या लॉक्ट प्रोफाइल वालियों को भी स्वीकार कर लिया. ज्यादा नहीं चार-पांच.
दो दिनों बाद उनमें से एक का मैसेज आया-हलो.
मैंने औपचारिकता का निर्वाह करते हुए हलो का जवाब हलो से दे दिया.
इसके बाद दो चार औपचारिक सवालों का जवाब मांगा. फिर अचानक पूछा कि लाइव सेक्स करोगे. अब मेरी समझ में नहीं आया कि इस 22 साल की बच्ची को क्या जवाब दूं. मैंने बताया कि मेरी उम्र 69 साल है. यदि किसी ज्वलंत मुद्दे पर बात करनी हो तो करें. मेरी पत्नी गुजर चुकी है लेकिन बाल बच्चेदार आदमी हूं. एक जिम्मेदार नागरिक हूं. एक अच्छे समाज के निर्माण के लिए प्रयासरत हूं. इस तरह का काम नहीं कर सकता. मैंने समझाने की कोशिश की तो एक का जवाब आया कि 66 साल वाले के साथ तो और मज़ा आता है. बिल्कुल निरुत्तर कर दिया उसने. अब इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं था. मैंने उसके चैट को इग्नोर करना शुरू कर दिया. कुछ दिनों बाद उसी तसवीर के साथ नए नाम से फ्रेंड रिक्वेस्ट आया. मैंने उसे स्वीकार नहीं किया. ऐसे में मुझे शक हुआ कि कहीं यह किसी सेक्स रैकेट का हिस्सा तो नहीं है. कोई हनी ट्रैप तो नहीं है. लेकिन मेरे जैसे साधारण स्वतंत्र लेखक को कोई हनीट्रैप में क्यों फंसाने की कोशिश करेगा? क्या हासिल होगा उसे. जो भी हो उसके बारे में जानने की जिज्ञाशा तो थी लेकिन यह समय की बर्बादी थी. फेसबुक तो महासमुद्र है. इसमें भांति-भांति के जीव-जंतु मौजूद हैं. अंडरवर्ल्ड के लोग भी हैं. आतंकवादी भी हैं. सेक्स रैकेट वाले भी हैं. मानव तस्करी करने वालों का भी यह पसंदीदा मंच है. इसपर मनचले भी है. गे विरादरी के लोग भी हैं. राजनीतिक दलों के आइटी सेल वाले भी हैं. खुला मंच है. किसी की आवाजाही पर कोई रोक नहीं है.
मैंने गौर किया कि ऐसी लड़कियों ने अपने प्रोफाइल में सिर्फ अपना जन्मदिन और शहर का नाम लिखा है. संभवतः यह मनचले किस्म के लोगों को आकर्षित करने के लिए बताया गया होगा. जन्मदिन के हिसाब में वे 20-22 वर्ष के आसपास की हैं. इस उम्र की लड़कियों में दिलफेंक किस्म के मर्दों की दिलचस्पी हो ही जाती है. हो सकता है यह देह व्यापार में ग्राहकों की ऑनलाइन तलाश का प्रयास हो. सोशल मीडिया में जब सारी ऑनलाइन गतिविधियां तेज़ हो रही हैं तो हो सकता है इसमें भी तेज़ी आई हो. हालांकि दिल्ली,मुंबई जैसे महानगरों में बड़े घरों की बिगड़ी लड़कियों की भी कमी नहीं है. जिगेलो की परंपरा तो शौकीन अमीरजादियों के कारण ही पनप रही है. फिलहाल महानगरों में उनकी मौजूदगी समय-समय पर उजागर होती रही है. कुछ बालीवुड की फिल्में भी इसी विषय को लेकर बनी हैं.
पत्रकार होने के नाते इस मामले की तह में जाने की इच्छा भी होती है लेकिन इस तरह के कितने ही मामलों का पहले ही खुलासा हो चुका है. कुछ नया खुलासा होने की संभावना नहीं है. कुछ वर्ष पहले जब सोशल साइटों का प्रचलन कम था तो साइबर अपराधी मेल के जरिए अपना शिकार फंसाते थे. वे लाखों मेल आइडी जुटा लेते थे और दिनभर अपना शिकार ढूंढते रहते थे. एक सौ मेल भेजने पर एक भी शिकार फंस गया तो उनका काम हो जाता था. एकबार मेरे मेल पर एक अफ्रीकन युवती का मेल आया था. मैंने जवाब दे दिया तो उसने अपनी तसवीर भेजी और इसके बाद बताया कि वह एक रिफ्युजी कैंप में रह रही है. उसके माता-पिता गृहयुद्ध में मारे जा चुके हैं. उसके पिता बैंक ऑफ इंग्लैंड में 10 मिलियन डॉलर रखकर गए हैं. वह उनकी वैध उत्तराधिकारी है लेकिन रिफ्युजी कैंप में होने के कारण उसका क्लेम नहीं कर पा रही है. मैं इसमें मदद करूं तो वह उसमें से आधी रकम मुझे दे देगी. यह बहुत बड़ा ऑफर था. लेकिन मैं इंटरनेट पर नाइजेरियन ठगों की कहानियां पढ़ चुका था. मैं समझ गया कि यह उन्हीं गिरोहों का कोई सदस्य है जो लड़की बनकर जाल बिछा रहा है और 5 मिलियन ड़लर का दाना डाल रहा है. कुछ दिनों तक उससे संवाद का आनंद लेता रहा फिर जवाब देना बंद कर दिया. बाद में बैंक ऑफिसर बनकर, ओटीपी पूछकर, एटीएम का क्लोन बनाकर साइबर ठगी की जाने लगी. भारत में भी इस तरह के गिरोह सक्रिय हो उठे. नई-नई तरकीबें आजमाई जाने लगीं.
डिजिटल युग में बहुत सावधान रहने की जरूरत पड़ती है. बस आंख झपकी और डब्बा गोल. जरा सा मन बहका और बैंक बैलेंस साफ. इंटरनेट के समंदर में उतरने के पहले तैराकी सीख लेनी चाहिए नहीं तो......
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