'हमें पूजा का अधिकार, लेकिन मंदिर को अपवित्र करने का नहीं'
By: Dilip Kumar
10/23/2018 5:45:46 PM
केरल में सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को "यंग थिंकर्स" कॉन्फ्रेंस में कहा, 'मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करती हूं, लेकिन मेरी निजी राय है कि पूजा करने के अधिकार का मतलब यह नहीं है कि आपको अपवित्र करने का भी अधिकार प्राप्त है.' हालांकि स्मृति ईरानी ने बाद में अपनी सफाई देते हुए एक ट्वीट किया और कहा कि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर को मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शनों के चलते महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में जाने से रोक दिया गया. ईरानी ने कहा, ‘एक केंद्रीय मंत्री होने के नाते मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ नहीं बोल सकती, लेकिन यह साधारण-सी बात है क्या आप खून से सना नैपकिन लेकर चलेंगे और किसी दोस्त के घर में जाएंगे. आप ऐसा नहीं करेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘क्या आपको लगता है कि भगवान के घर ऐसे जाना सम्मानजनक है? यही फर्क है. मुझे पूजा करने का अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का अधिकार नहीं है.
यही फर्क है कि हमें इसे पहचानने तथा सम्मान करने की जरूरत है.’ स्मृति यहां ब्रिटिश हाई कमीशन और आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित "यंग थिंकर्स" कान्फ्रेंस में बोल रही थी. मीडिया में इस मुद्दे पर खबर आने के बाद स्मृति ने इसे फेक न्यूज बताया और कहा कि वह अपना वीडियो पोस्ट करेंगीं. उन्होंने कहा, ‘मैं हिंदू धर्म को मानती हूं और मैंने एक पारसी व्यक्ति से शादी की. मैंने यह सुनिश्चित किया कि मेरे दोनों बच्चे पारसी धर्म को माने, जो आतिश बेहराम जा सकते हैं.’
आतिश बेहराम पारसियों का प्रार्थना स्थल होता है. ईरानी ने याद किया जब उनके बच्चे आतिश बेहराम के अंदर जाते थे तो उन्हें सड़क पर या कार में बैठना पड़ता था. उन्होंने कहा, ‘जब मैं अपने नवजात बेटे को आतिश बेहराम लेकर गई तो मैंने उसे मंदिर के द्वार पर अपने पति को सौंप दिया और बाहर इंतजार किया क्योंकि मुझे दूर रहने और वहां खड़े ना रहने के लिए कहा गया.’
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