हाल ही में हैदराबाद के शमीरपेट स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइज (IPE) में एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी द्वारा कक्षा के दौरान हिंदू देवी-देवताओं पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने का मामला एक बार फिर देश में शैक्षणिक परिसरों के भीतर धार्मिक आस्थाओं के सम्मान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अका ...Read More
मध्यप्रदेश भाजपा के लोकप्रिय राजनेताओं की कतार में अग्रणी डा मोहन यादव ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्य काल के दो वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। इन दो वर्षों में मोहन यादव की सरकार द्वारा किए गए उल्लेखनीय फैसलों की लंबी फेहरिस्त निसंदेह उन्हें सराहना का हकदार बनाती है लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव किस ...Read More
भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका सर्वोच्च संस्था मानी जाती है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की किसी भी टिप्पणी को गंभीरता से देखा जाता है, क्योंकि उसका असर केवल कानून तक सीमित नहीं रहता, बल्कि समाज की संवेदनाओं और विश्वासों पर भी पड़ता है। हाल ही में भगवान विष्णु से जुड़ी टिप्पणी ने अनेक ...Read More
वृंदावन में हर गली, हर घाट, हर मंदिर राधा-कृष्ण के नाम से गूंजता है। भजन-कीर्तन की धुनें वातावरण को सुगंधित करती हैं और यमुना के तट पर श्रद्धा की लहरें निरंतर बहती हैं। क्या उस पवित्र भूमि पर शराब जैसी अपवित्र चीज़ की कोई जगह हो सकती है? यह नगर केवल एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों के ...Read More
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। शिक्षा मानव को मानवता व इन्सानियत के मार्ग पर ले जाने का सशक्त माध्यम है । साक्षरता और शिक्षा व्यवस्था किसी भी राष्ट्र की आधारशिला होती है। देश में प्राथमिक शिक्षा के भविष्य के लिए गंभीर संकेत मिलते रहे हैं। समग्र साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए समग्र औ ...Read More
सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी की किताब का टाइटल ‘लहू बोलता भी है’ पढ़कर शुरू में अटपटा सा लगा, क्योंकि लहू खौलता है, लहू बहता है, लहू के निशान है, वगैरहा-वगैरहा के जुमले, अक्सर सुनने और पढ़ने को मिलते रहे है मगर लहू बोलता भी है पहली बार पढ़ने को मिला। 477 पन्ने की इस किताब ...Read More
भारत के लोकतंत्र की नींव चार मजबूत स्तंभों पर टिकी है—विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया। इनका दायित्व केवल शासन को संतुलित रखना ही नहीं, बल्कि समाज के सम्मान और संविधान की मर्यादा की रक्षा करना भी है। लेकिन आज जब देश के गौरवशाली इतिहास, उसके महापुरुषों और एक संप्रदाय विशेष के खि ...Read More
सावन का महीना आते ही उत्तर भारत की सड़कों पर भगवा रंग का एक सैलाब उमड़ पड़ता है। ये कोई राजनीतिक रैली नहीं, बल्कि करोड़ों शिवभक्तों की आस्था का उत्सव है—कांवड़ यात्रा। हर वर्ष यह यात्रा न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी एक अद्भुत आयोजन बन चुकी है। लेकिन दुर्भाग्य की बात ...Read More
उनके इंतकाल की खबर से बेहद तकलीफ हुई।। हमारे वक्त का यह फनकार केवल बेजोड़ कलाकार ही नहीं विनम्रता, तहजीब, अदब में भी दिखावटी नहीं हकीकत में था। तकरीबन 50 साल पहले दिल्ली के कमायनी हाल में किसी कलाकार की संगत कर रहे जाकिर को पहली बार देखा तो देखता ही रह गया। जिस्मानी खूबसूरती तथा सादगी से अपना तब ...Read More
आर्य और अनार्य का विमर्श केवल एक ऐतिहासिक प्रश्न नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, समाज और पहचान से जुड़ा एक गहन विमर्श है। औपनिवेशिक इतिहासकारों ने लंबे समय तक यह थ्योरी प्रचारित की कि आर्य मध्य एशिया से आए आक्रमणकारी थे जिन्होंने मूल ‘द्रविड़’ या ‘अनार्य’ सभ्यता को पीछे धकेल ...Read More
भारत में प० जवाहरलाल नेहरू को आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भारत को एक आधुनिक लोकतांत्रिक, धर्मनिर्पेक्ष, समाजवादी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण देते हुये सशक्त राष्ट्र बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महात्मा गाँधी के विचारों से ओत-प्रोत प० नेहरू ने भारतीय स्मृतन्त्र ...Read More
मोदी सरकार ने अचानक जाति जनगणना की घोषणा कर सभी को चौंका दिया। यह निर्णय कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति में लिया गया। उसे ‘सुपर कैबिनेट’ करार दिया जाता है, क्योंकि उसकी बैठक कभी-कभार ही होती है। बहरहाल इस बार जब भी जनगणना होगी, तब सरकार घर-घर जाकर ‘जाति’ भी पूछेगी, ल ...Read More
नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म की कोशिश से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाकर न्याय की संवेदनशीलता को संबल दिया है, इससे जहां न्याय की निष्पक्षता, गहनता एवं प्रासंगिकता को जीवंत किया है, वहीं महिला अस्मिता एवं अस्तित्व को कुचलने की कोशिशों को गंभीरता से लिया ग ...Read More
देश ही नहीं, दुनिया में वृद्धों के साथ उपेक्षा, दुर्व्यवहार, प्रताड़ना, हिंसा तो बढ़ती ही जा रही है, लेकिन अब बुजुर्ग माता-पिता से प्रॉपर्टी अपने नाम कराने या फिर उनसे गिफ्ट हासिल करने के बाद उन्हें यूं ही छोड़ देने, वृद्धाश्रम के हवाले कर देने, उनके जीवनयापन में सहयोगी न बनने की बढ़ती सोच आधुनिक सम ...Read More
गंगे तव दर्शनात मुक्ति, यह संबोधन जब कानों में पड़ता है तो एक विश्वास के साथ निर्णय हो जाता है कि यह अर्थ धर्म काम में अंतिम मोक्ष के लिए है क्योंकि सभी संसार बंधन से मुक्ति चाहते हैं। ऐसी मान्यता भारतीय दर्शन शास्त्रों में अनेकों साधकों उपासकों तपस्वियों ऋषियों मुनियों गुरुओं अपितु अनेकों दृष्ट ...Read More
कुरुक्षेत्र में दिव्य रहस्यवादी प्रवचन के दौरान (महाभारत के 'नाभ्य पृथिव्या' से तुलना करें) सनातन वैदिक धर्म के मौलिक विचार को भगवान कृष्ण ने भगवत गीता में स्पष्ट रूप से समझाया है। उनके अनुसार ज्ञान, कर्म और भक्ति सनातन वैदिक धर्म के तीन महान स्तंभ हैं जो आज भी सूर्य और आकाश में विद्यमान हैं। इस ...Read More
इस बार महाकुंभ का रुझान भारत देश ही नहीं सम्पूर्ण संसार बना हुआ है। संगमनगरी तीर्थराज प्रयागराज इस समय विश्व में किसी भी पहचान का मोहताज नहीं, विदेशी मीडिया में भारत का यह महाकुंभ अपना ट्रेंड बनाए हुए है। आस्था की बात करे तो भारत में हर आयु वर्ग के लोग महाकुंभ में एक डुबकी लगाने को आतुर है। अब त ...Read More
जो दो रोटी और एक दर्द निवारक गोली के लिए तड़पता था दिन-रात, उसके मरने पर हुआ देसी घी का भोज। उसकी अस्थियों का पाप नाशिनी गंगा में कर विसर्जन और कुछ कर्मकांडों के उपरांत मान लिया कि बुजुर्ग पहुंच गए बैकुंठ धाम। आज सामाजिक परिवेश बड़ी तेजी से बदल रहा है। वयोवृद्ध अति वरिष्ठ लोगों की पग पग पर अवहेल ...Read More
2024 में बैंकों में 20000 से ज्यादा अप्रेंटिस की भर्ती अगले वर्ष बैंकों के लिए सिरदर्द बन सकती है। सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के 2023-24 के अप्रेंटिस ने एक वर्ष के बाद स्थाई न करने पर कोर्ट में चले गए हैं। इस वर्ष भी विभिन्न बैंकों द्वारा जो अप्रेंटिस की भर्ती की जा रही है उनको बैंक अपने यहां स्थाई ...Read More
सम्पूर्ण भारत में 1953 से 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों महसूस हुई और आज इस दिवस की अधिक प्रासंगिकता क्यों उभर रही है? क्योंकि हमारे देश में दिन-प्रतिदिन हिंदी की उपेक्षा होती जा रही है। राजनीतिक कारणों से हिन्दी को विवादों एवं सं ...Read More