बुंदेलखंड में चुनावी महासंग्राम, पूर्वांचल के बाद सपा सुप्रीमो का शक्ति प्रदर्शन

By: Dilip Kumar
11/28/2021 8:29:12 PM

पंकज पाराशर छतरपुर.उत्तर प्रदेश में चुनावी रणभेरी बजने के पहले ही दलों का शक्ति प्रदर्शन होने लगा है l समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पूर्वांचल में समाजवादी विजय रथ यात्रा की धमाकेदार परिणति के बाद अब बुंदेलखंड को अपना अगला पड़ाव बनाने जा रहे हैं। बुंदेलखंड में शक्तिप्रदर्शन के जरिये अखिलेश यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि पूर्वांचल की ही तरह बुंदेलखंड में भी भाजपा से सीधे मुकाबले में सपा ही है। सपा की नजर दलित और पिछड़ी जातियों की बहुलता वाले इस क्षेत्र में अपने जनाधार को फिर से हासिल करना है।

अखिलेश अगले महीने पहली दिसंबर से बुंदेलखंड के अति पिछड़े क्षेत्र बांदा से समाजवादी विजय रथ यात्रा का आगाज करेंगे। अखिलेश के संभावित कार्यक्रम के अनुसार वह एक दिसंबर को हेलीकॉप्टर से बांदा पहुंच कर महोबा कुच करेंगे। बुंदेलखंड के दो मंडलों (झांसी और चित्रकूट) में कुल 19 विधानसभा सीट आती हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की सभी 19 सीटें भाजपा ने सभी सीटों पर कब्जा जमाने का करश्मिा कर दिखाया था लेकिन इस बार चित्रकूट मंडल सहित समूचे बुंदेलखंड में भाजपा के लिये पिछले कीर्तिमान को कायम रख पाना आसान नहीं है।

बांदा चित्रकूट मंडल की 10 विधानसभा सीटों में से चार सीट वाले बांदा जिले की सुरक्षित सीट नरैनी पर बसपा के वरिष्ठ नेता गयाचरण दिनकर की सक्रियता ने इस बार मुकाबले को त्रिकोंणीय बना दिया है। वहीं बसपा के कद्दावर नेता रहे बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी का झुकाव इस बार सपा की ओर होने के कारण बांदा सदर सीट पर भी मुकाबला दिलचस्प रहने के आसार हैं। महोबा में दो सीट महोबा और चरखारी है। इनमें से चरखारी सीट पर सपा 2017 से पहले जीत दर्ज करा चुकी है। अखिलेश महोबा से ही हमीरपुर जिले की दो सीट (हमीरपुर और राठ) और बांदा से चित्रकूट की कर्बी एवं मानिकपुर सीट तक सपा के पक्ष में मतदाताओं को लामबंद करने की कोशिश करेंगे।

ललितपुर जिले में दो विधानसभा सीट ललितपुर और महरौनी है। महरौनी में 15 साल बाद भाजपा को कामयाबी मिली थी। इस पर भाजपा के मनोहर लाल ने बसपा के फेरन लाल को हराया था। इस बार बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने के मकसद से ही अखिलेश ललितपुर के साथ महरौनी में भी जायेंगे। झांसी जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों (झांसी सदर, मऊरानीपुर, गरौठा और बबीना) पर भाजपा काबिज है। मुस्लिम और पिछड़े वर्ग की बहुलता वाली दो सीट, बबीना और मऊरानीपुर को सपा इस बार वापस अपने खेमे में लाने की फिराक में है। गरौठा सीट 2007 और 2012 में सपा के पास थी।

बुदेलखंड की सभी 19 सीटों पर 2017 में सपा करारी हार के बाद इस बार अपने जनाधार को वापस पाने की कोशिश में है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर झांसी में आठ दिवस पूर्व रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व का भव्य आयोजन, बुंदेलखंड की राजनीतिक धारा को जाति समीकरणों के बजाय विकास और राष्ट्रवाद की ओर मोड़ने की कोशिश का नतीजा था। यह तो भवष्यि ही बतायेगा कि जनता, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव या भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ में से किसकी पहल को पसंद करती है।


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