जानिए कैसी है 'सोनू के टीटू की स्वीटी...'

By: Dilip Kumar
2/23/2018 10:50:34 PM
नई दिल्ली

दोस्ती और दोस्तों के बीच लड़की। इस थीम पर बॉलीवुड में कई फिल्में बन चुकी हैं। 'सोनू के टीटू की स्वीटी' भी युवा पीढ़ी को ध्यान में रख कर इसी थीम पर बनाई गई फिल्म है। एक ही थीम पर बनी फिल्मों को अगर कोई चीज अलग करती है तो वो है उसका प्रेजेंटेशन। और इसमें कोई शक नहीं कि अपने प्रेजेंटेशन की वजह से 'सोनू के टीटू की स्वीटी' एक अलग जमीन पर खड़ी दिखाई देती है।सोनू (कार्तिक आर्यन) और टीटू (सन्नी सिंह निज्जर) बचपन के दोस्त हैं। उनकी दोस्ती नर्सरी से शुरू होकर जवानी तक जारी है। दोनों एक साथ खाते-पीते हैं, एक साथ काम करते हैं, एक साथ रहते हैं। यूं कहें कि एक जिस्म दो जान हैं। सोनू जब 13 साल का था, तब उसकी मां का देहांत हो गया था। तब से टीटू का परिवार ही उसका परिवार हो गया था। जब भी टीटू किसी मुसीबत में फंसता है, सोनू उसे बाहर निकालता है। और एक दिन टीटू की जिंदगी में स्वीटी (नुसरत भरुचा) आ जाती है। सोनू असुरक्षित महसूस करने लगता है। उसे लगता है, स्वीटी अच्छी लड़की नहीं है। वो उसके दोस्त को छीन लेगी। फिर सोनू और स्वीटी के बीच टीटू को पाने की एक जंग शुरू होती है।

सास-बहू' मार्का इस शह और मात के खेल में दिलचस्प घटनाएं घटती हैं। 'प्यार का पंचनामा' और 'प्यार का पंचनामा 2' की टीम के साथ निर्देशक लव रंजन एक बार फिर पुराना असर पैदा करने में कामयाब रहे हैं। पहली दोनों फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी लव रंजन नयापन लेकर आए हैं। हालांकि ये नयापन विषय के तौर पर तो नहीं है, लेकिन प्रेजेंटेशन के तौर पर जरूर है। लेखक और निर्देशक दोनों रूपों में वो असर छोड़ते हैं। कहानी के नाम पर इस फिल्म में कुछ खास नहीं है। ऐसी स्थिति में जाहिर है, ऐसे में फिल्म का ट्रीटमेंट ही उसे बचा सकता था और इस कोशिश में लेखक और निर्देशक पूरी तरह सफल रहे हैं।स्क्रिप्ट, डायलॉग और एक्टिंग तीनों स्तरों पर फिल्म खरी उतरती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि अगले दृश्य में क्या होगा, ये दिलचस्पी लगातार बनी रहती है। इसमें 'टर्न और ट्विस्ट' लगातार आते रहते हैं। आप पहले से ये सोच कर बैठे हैं कि अब ये हो सकता है, और पता चलता है कि अरे, ये तो कुछ अलग हो गया। इस फिल्म का 'सरप्राइज फैक्टर' है घसीटे (आलोक नाथ) और लालू (वीरेंद्र सक्सेना) की जोड़ी। आलोक नाथ इस फिल्म में अपनी संस्कारी छवि से बिल्कुल उलट अवतार में हैं। और इस किरदार में वे खूब जमे भी हैं। निर्देशक ने आलोक नाथ और वीरेंद्र सक्सेना के किरदार बहुत मजेदार तरीके से गढ़े हैं।

कार्तिक आर्यन सोनू के रूप में प्रभावित करते हैं। उनका एक्टिंग अच्छी है। उनकी कॉमिक टाइमिंग बढ़िया है और इमोशनल सीन में भी उन्होंने प्रभावित किया है। टीटू के रूप में सनी का काम भी अच्छा है। उनके चेहरे पर मासूमियत के भाव बहुत सहज रूप से आते हैं और यही उनके किरदार की जान है। नुसरत भरुचा में एक ताजगी नजर आती है। वो सुंदर लगी हैं और अपना किरदार भी उन्होंने अच्छे-से निभाया है। टीटू की मां के रूप में आयशा रजा का काम भी अच्छा है। दादी की भूमिका में मधुमालती कपूर जमी हैं। बाकी कलाकार भी अपनी भूमिकाओं में जमे हैं।

कलाकार: कार्तिक आर्यन, सन्नी सिंह निज्जर, नुसरत भरुचा, आलोक नाथ, वीरेंद्र सक्सेना, आयशा रजा, ईशिता राज शर्मा, मधुमालती कपूर

निर्देशक: लव रंजन


comments