सीबीएसई  फैसले से भाषा विषयों के अस्तित्व पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा: हरमीत सिंह कालका

By: Dilip Kumar
1/23/2023 9:58:13 PM

नई दिल्ली से कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अपील करते हुए कहा है कि सीबीएसई द्वारा भाषा के विषय को 7वें स्थान पर करने के निर्णय से स्कूलों और कॉलेजों में पंजाबी भाषा सहित अन्य भाषा विषयों के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न होे गया है। इसलिए वह हस्तक्षेप करते हुए इस नीतिगत फैसले के मामले को हल करवाएं। दिल्ली कमेटी अध्यक्ष ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर मामले को उनके संज्ञान में लाया है कि सी.बी.एस.ई ने वर्ष 2023-24 के लिए एक स्किल सर्कुलर जारी किया है. जिसके तहत कौशल पाठ्यक्रम को छठे विषय के रूप में मान्यता दी गई है जबकि भाषा विषय को 7वें वैकल्पिक विषय के रूप में मान्यता दी गई है। सरदार कालका ने कहा कि इस फैसले से छात्र अपनी मातृभाषा को सीखने से वंचित रह जाएंगे क्योंकि सीबीएसई ने विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, गणित, हिंदी और अंग्रेजी विषयों को भी इसके समान आंका है, जिससे यह स्थिति बनेगी कि छात्र भाषा विषय को चुनने का अतिरिक्त बोझ नहीं लेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार की नई शिक्षा नीति 2020 के तहत क्षेत्रीय भाषाओं को ऐसी स्थिति में धकेल दिया गया है, जहां उनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. उन्होंने कहा कि वैकल्पिक विषय को 7वें स्थान पर करने से पंजाबी, उर्दू, बंगाली, तमिल, संस्कृत, मराठी, गुजराती और ऐसी अन्य भाषाओं का महत्व और आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे इन भाषाओं के हजारों छात्रों का भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा क्योंकि छात्र भाषा विषय को सातवें वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ने से गुरेज़ करेंगे। स्कूलों में क्षेत्रीय भाषाओं को पढ़ाने की मौजूदा स्थिति को देखते हुए पंजाबी सिख विद्वान पंजाबी भाषा के भविष्य को लेकर चिंतित हैं. उन्हें आशा थी कि स्थिति सुधरेगी लेकिन यह और भी खराब हो गई है।

उन्होंने अमित शाह से अपील करते हुए कहा कि वह इस मसले को हल करने के लिए तुरंत कदम उठाएं क्योंकि इससे पंजाबी पर सबसे अधिक असर पड़ेगा जबकि राजधानी दिल्ली में पंजाबी दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। स. कालका ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी इस मामले से परिचित करवाया और उन्हें अपील करते हुए कहा है कि इस नीति की तत्काल समीक्षा की जाए ताकि स्कूलों में भाषा विषय के अस्तित्व को बचाया जा सके.


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