पर्यावरण भारतीय संस्कृति में ही निहित है :- प्रो. बालराम पाणि
By: Dilip Kumar
6/1/2025 8:07:07 PM
कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में एक विचार संगोष्ठी का आयोजन भारत विकास परिषद् की पर्यावरण गतिविधि द्वारा राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन के मार्गदर्शन में केंद्रीय कार्यालय, पीतमपुरा में संपन्न हुई । सुरेश जैन जी ने सभी अतिथियों का स्वागत पर्यावरण स्मृति संकल्प प्रतीक तुलसी का पौधा देकर किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेज प्रो. बलराम पाणी ने अपने वक्तव्य में पर्यावरण को भारतीय संस्कृति में निहित बताते हुए समझाया कि "भगवान" शब्द के प्रत्येक अक्षर में पृथ्वी, गगन, वायु, अग्नि और नीर समाहित हैं। उन्होंने कहा कि हमें प्रदूषण को रोकने की अति आवश्यकता है। उन्होंने बरगद, पीपल आदि स्वदेशी वृक्षों और पौधों के महत्व को रेखांकित किया।अंत में उन्होंने कहा कि "हम सभी खाली हाथ आए थे, पर जाते समय दो पेड़ लेकर जाएंगे। इसलिए हमें अवश्य ही पौधे लगाने चाहिए, ताकि धरती का ऋण कुछ हद तक चुका सकें।
कार्यक्रम में पर्यावरण गतिविधियों के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. जे. आर. भट्ट ने विषय प्रवर्तन करते सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान पर प्रकाश डालते हुए इससे मुक्ति के लिए जन-जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया साथ ही उन्होंने “वसुधैव कुटुंबकम्” के सिद्धांत को केंद्र में रखते हुए प्रकृति और समस्त जीवों के प्रति करुणा का संदेश दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ प्लानिंग प्रो. निरंजन कुमार ने अपने व्यक्तव्य में भारतीय व पाश्चात्य दृष्टिकोणों की तुलनात्मक व्याख्या की। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रकृति पूज्य रही है । जबकि पश्चिमी सभ्यता में उपभोग की प्रवृत्ति प्रमुख रही है। उन्होंने दैनिक जीवन में जल व ऊर्जा संरक्षण के सरल लेकिन प्रभावी उपायों जैसे एयर कंडीशनर का तापमान 27°C पर रखने, पानी का अपव्यय रोकने जैसे सामान्य मगर सबसे उपयोगी आदतों को प्रतिदिन के व्यवहार में शामिल करने पर बल दिया।
कार्यक्रम में भारत विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह; क्षेत्रीय महासचिव राकेश शर्मा और दिल्ली विश्वविद्यालय एवं अन्य महाविद्यालयों के प्राध्यापकों के अलावा दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों से आए 200 से अधिक पर्यावरण प्रेमियों एवं कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। पर्यावरण केंद्रित यह संगोष्ठी न केवल ज्ञानवर्धक रही, अपितु इसने उपस्थित लोगों में पर्यावरण संरक्षण हेतु नई चेतना का संचार किया ।