टाटा सन्स के खिलाफ मिस्त्री की अर्जी खारिज

By: Dilip Kumar
7/9/2018 2:00:40 PM
नई दिल्ली

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने टाटा सन्स के खिलाफ सायरस मिस्त्री की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। मिस्त्री ने दो साल पहले उन्हें टाटा के चेयरमैन पद से हटाए जाने के तरीके पर सवाल उठाते हुए यह याचिका दायर की थी। ट्रिब्यूनल ने कहा, ‘‘टाटा सन्स के बोर्ड के फैसले में कोई गड़बड़ी नहीं है। सायरस 24 अक्टूबर 2016 को चेयरमैन पद से इसलिए हटाए गए क्योंकि वे बोर्ड मेंबर्स का भरोसा खो चुके थे।’’ मिस्त्री इस फैसले को नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में चुनौती देंगे।

ट्रिब्यूनल की मुंबई स्थित मुख्य बेंच ने फैसले में कहा, ‘‘मिस्त्री के इस दावे का कोई आधार नहीं है कि उन्हें टाटा सन्स बोर्ड के गलत प्रबंधन और अल्पसंख्यक शेयरधारकों की अनदेखी करते हुए हटाया गया। मिस्त्री को इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने कंपनी से जुड़ी अहम सूचनाएं आयकर विभाग को भेज दीं। उन्होंने मीडिया में जानकारी लीक की और कंपनी के शेयरधारकों और बोर्ड के खिलाफ खुलकर सामने आ गए। टाटा सन्स बोर्ड के ज्यादातर सदस्यों का उन पर भरोसा खत्म हो चुका था।'’

मिस्त्री ने दिसंबर 2016 में ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि टाटा ट्रस्ट के प्रमुख रतन टाटा के दखल की वजह से ग्रुप में गलत फैसले लिए गए। अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों की अनदेखी की गई। मिस्त्री ने खुद को निकाले जाने के बाद नियमों में बदलाव का आरोप लगाया और कहा कि बदलावों की वजह से वे अपने शेयर नहीं बेच पाए। सायरस, पालोनजी मिस्त्री के बेटे हैं। शापूरजी पालोनजी ग्रुप के एमडी सायरस ही थे।

इसके साथ ही 2006 से टाटा के बोर्ड में डायरेक्‍टर थे। तीन साल की खोज के बाद 28 दिसंबर 2012 को सायरस को रतन टाटा की जगह टाटा ग्रुप का छठा चेयरमैन बनाया गया था। 2014-15 में टाटा ग्रुप का टर्न ओवर 108 अरब डॉलर था, जो 2015-16 में घटकर 103 अरब डॉलर रह गया। इसे भी मिस्त्री को हटाए जाने की बड़ी वजह माना गया था। यह भी कहा जा रहा था कि टाटा संस अपने ग्रुप की नॉन-प्रॉफिट बिजनेस वाली कंपनियों से ध्यान हटाने की मिस्त्री की सोच से नाखुश थी।


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