एनआरसी ड्रॉफ्ट के विरोध में पश्चिम बंगाल में ‘रेल रोको आंदोलन’
By: Dilip Kumar
8/1/2018 12:19:02 PM
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के कारण लाखों लोगों के बेघर होने का दावा करते हुए पिछड़े वर्ग के संगठन ऑल इंडिया मटुआ महासंघ ने आज विरोधस्वरूप सियादह रेलवे स्टेशन पर आज रेल यातायात बाधित किया है. असम में एनआरसी में करीब 40 लाख लोगों को जगह नहीं मिलने के विरोध में ऑल इंडिया मटुआ महासंघ ने आज रेल रोको प्रदर्शन का आयोजन किया है.
पूर्वी रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि सियालदह उत्तर स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों ने सुबह साढ़े आठ बजे ट्रेन रोक दी. इससे सियालदह-हसनाबाद, सियालदह-नैहाटी मार्ग पर रेल यातायात प्रभावित हुआ. प्रवक्ता आर. एन. महापात्र ने बताया, रेलवे से असंबंधित मुद्दे को लेकर आयोजित ‘रेल रोको' के कारण ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई है.
हम प्रदर्शनकारियों से अवरोध समाप्त करने का अनुरोध कर रहे हैं, उन्हें समझाने का भी प्रयास कर रहे हैं. ठाकुरनगर, संदालिया, पाल्टा और कुछ अन्य स्टेशनों पर भी अवरोधक लगे होने की भी सूचना है. असम में एनआरसी का पूरा मसौदा 30 जुलाई को प्रकाशित होने वाला है.
असम में क्या है एनआरसी मसौदा?
असम में आज नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन जारी कर दिया गया है. नये मसौदे में असम में बसे सभी भारतीय नागरिकों के नाम पते और फोटो हैं. कुल 3.29 करोड़ आवेदन में 2.89 करोड़ लोगों के नाम नेशनल रजिस्टर में शामिल किए जाने के योग्य पाए गए हैं. वहीं 40 लाख लोग वैध नागरिक नहीं पाए गए. हालांकि यह फाइनल लिस्ट नहीं है बल्कि ड्राफ्ट है. जिनका नाम इस ड्राफ्ट में शामिल नहीं है वो इसके लिए दावा कर सकते हैं. यह पहला मौका है जब राज्य में अवैध रूप से रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी मिल सकेगी. देश में लागू नागरिकता कानून से थोड़े अलग रूप में राज्य में असम समझौता 1985 लागू है. इसके मुताबिक 24 मार्च 1971 की आधी रात तक सूबे में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा.
असम में आज नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन जारी कर दिया गया है. नये मसौदे में असम में बसे सभी भारतीय नागरिकों के नाम पते और फोटो हैं. कुल 3.29 करोड़ आवेदन में 2.89 करोड़ लोगों के नाम नेशनल रजिस्टर में शामिल किए जाने के योग्य पाए गए हैं. वहीं 40 लाख लोग वैध नागरिक नहीं पाए गए. हालांकि यह फाइनल लिस्ट नहीं है बल्कि ड्राफ्ट है. जिनका नाम इस ड्राफ्ट में शामिल नहीं है वो इसके लिए दावा कर सकते हैं. यह पहला मौका है जब राज्य में अवैध रूप से रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी मिल सकेगी. देश में लागू नागरिकता कानून से थोड़े अलग रूप में राज्य में असम समझौता 1985 लागू है. इसके मुताबिक 24 मार्च 1971 की आधी रात तक सूबे में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा.