पहली बार विराट कोहली ने कही मन की बात

By: Dilip Kumar
7/24/2019 4:25:29 PM
नई दिल्ली

वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से मिली हार को लेकर ढेर सारी आलोचनाओं को झेलने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) एक बार फिर क्रिकेट के लिए तैयार हो गए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए विशेष साक्षात्कार में विराट कोहली ने अपनी जिंदगी, क्रिकेट, टीम, व्यक्तित्व और अपने सपनों को लेकर बात की. इस बातचीत के दौरान कोहली ने साफ-साफ लफ्जों में कहा कि उन्होंने अपने जीवन में आए हार और हताशा की परिस्थितियों से बहुत कुछ सीखा है. वे हार को देखकर जहाज छोड़कर भागने वाले कप्तानों में से नहीं हैं. इन स्थितियों ने न सिर्फ कोहली को एक बेहतरीन क्रिकेटर बनने में मदद की, बल्कि एक सफल इंसान के रूप में भी दुनिया से उनका परिचय कराया. आइए इस इंटरव्यू के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर नजर डालते हैं और देखते हैं कि टीम इंडिया का यह जुझारू कप्तान अपनी आगे की जिंदगी के बारे में क्या सोच रखता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में विराट कोहली ने विश्व कप में हार को लेकर हुई आलोचनाओं और प्रतिक्रियाओं पर स्पष्ट जवाब दिया. कोहली ने कहा- मैंने अपने जीवन में आई परेशानियों और निराश कर देने वाली परिस्थितियों से बहुत कुछ सीखा है. जिंदगी के सबसे खराब दिन भी देखे हैं, लेकिन उससे मुझे अपने आप में सुधार लाने की प्रेरणा मिली. इन विफलताओं से मुझे सफल होने का मंत्र मिला. ये विफलताएं आपको अपने बारे में सोचने का समय देती हैं, ताकि आप आने वाले दिनों के लिए नया रास्ता बना सकें. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे आपको अपने व्यक्तित्व में सुधार लाने का मौका मिलता है. और एक बार जब आप इस विश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं, तो रास्ते खुद-ब-खुद तय होते जाते हैं और मंजिल का सफर आसान हो जाता है. विराट कोहली ने कहा- जब आप ऐसी परिस्थितियों से जूझते हैं उस समय आपको अंदाजा लगता है कि कठिन समय में कौन आपके साथ है और किसने साथ छोड़ दिया.

किसी मैच में जीत या हार के बाद टीम पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी विराट कोहली ने बात की. उन्होंने कहा- जीवन में संतुलन बेहद जरूरी है. आप अपनी टीम के सदस्यों के साथ कैसे बोलते हैं या उनके साथ आपका व्यवहार कैसा है, इससे पहले आपको खुद में झांकना होगा. बेवजह का दबाव आपकी क्षमता को प्रभावित करता है. इसलिए बिना खुद पर अतिरिक्त दबाव बनाए हुए टीम के सभी सदस्यों के साथ बातचीत से यह संतुलन बैठाया जा सकता है. जैसे टीम में आने वाले नए और युवा खिलाड़ियों को ही लें. उनमें गजब की प्रतिभा और आत्मविश्वास है. वे हमसे कहीं आगे की सोच रखते हैं. हमें सिर्फ उनकी प्रतिभा को सही दिशा देने और उन्हें पर्याप्त मौके देने की जरूरत होती है. उनके साथ बातचीत करते वक्त हम सीनियर खिलाड़ी बिल्कुल स्पष्ट रूप से कहते हैं कि मैंने ये गलतियां की हैं, तुम मत करना. किसी सीनियर खिलाड़ी को अपनी गलतियां मानते देखते हुए नए खिलाड़ियों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है. साथ ही खेल के दौरान गलती कम करें, इसकी भी उन्हें सीख मिलती है.

विराट कोहली के कप्तान बनने के बाद एक बात सबकी समझ में आ चुकी है कि अब भारतीय क्रिकेट टीम में वही जा सकता है, जिसकी फिटनेस सही हो. ढीले-ढाले चाल वाले खिलाड़ियों का जमाना लद चुका है. यह उनकी जिद है या अनुशासन, इस पर भी विराट कोहली ने अपनी बात स्पष्ट की. टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में उन्होंने कहा- टीम के फिट रहने की बात मैंने ऑस्ट्रेलिया में 2012 में खेली गई सीरीज के दौरान गौर की. वे हमसे ज्यादा फिट थे और ज्यादा बेहतर तरीके से क्रिकेट खेल रहे थे. बैटिंग हो या बॉलिंग, टेस्ट मैच हो या वनडे, उनके मुकाबले हम ज्यादा देर तक खेलने के लिए तैयार नहीं थे. उसी समय मेरे मन में यह बात घर कर गई कि बगैर फिट रहे, आगे बढ़ना मुमकिन नहीं है. मैं इसके लिए अपने ट्रेनर को भी धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने मुझे समय से पहले यह समझाया कि खुद को फिट रखकर हम दूसरों से आगे निकल सकते हैं. जिम में पसीना बहाना या देर तक प्रैक्टिस करना, ये दोनों बातें आज मेरी रूटीन का हिस्सा है.

मैं फिटनेस बनाए रखने के लिए किसी पर दबाव नहीं बनाता. मैं अपना काम करता हूं. मैं जिम में कड़ी मेहनत करता हूं, प्रैक्टिस के दौरान पसीना बहाता हूं. अपना 120 प्रतिशत देने की कोशिश करता हूं. इसलिए जब नए खिलाड़ी टीम में आते हैं तो वे इन बातों पर गौर करते हैं. वे कहते भी हैं कि अगर 11 साल से खेलने वाला विराट कोहली मैदान में हर समय पूरी ऊर्जा के साथ खड़ा रह सकता है, तो वे क्यों नहीं. इसलिए फिटनेस को अनुशासन का हिस्सा बनाना मेरी जिद नहीं है, यह क्रिकेट के बदलते स्वरूप को लेकर सबसे जरूरी चीज है.

 

 


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