1 जून: नेपाल का खूनी दिन, जानें खास बातें

By: Dilip Kumar
6/1/2020 9:41:19 AM
नई दिल्ली

नेपाल के राजमहल में राजपरिवार के सामूहिक हत्याकांड में रहस्य छुपे हुए हैं. सच क्या था? क्या प्रिंस दीपेंद्र और सिंधिया परिवार की देवयानी के प्रेम संबंध के कारण बढ़ी मां—बेटे की कलह थी इस नरसंहार की वजह? नेपाल के इतिहास में 1 जून 2001 को काला दिन करार दिया जाता है. 17 साल पहले इस रात काठमांडू स्थित नारायणहिति राजमहल में राजपरिवार के 9 सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इस हत्याकांड में सबसे चर्चित कहानी यही रही है कि प्रिंस दीपेंद्र ने गोलियों की बौछार कर सबको मार डाला था. हालांकि इस तरह की खबरें भी रहीं कि नेपाल में बड़ी संख्या में लोग इस कहानी पर विश्वास नहीं करते. समय के साथ इस मामले में कई कहानियां सामने आईं और यह हत्याकांड एक पहेली बनकर रह गया.

Theory 1 : प्रिंस दीपेंद्र को मां यानी नेपाल की रानी ऐश्वर्या ने शादी के बारे में बात करने के लिए बुलाया. रानी ऐश्वर्या ने कहा कि वह चाहती हैं कि प्रिंस की शादी हो जाए और इसके लिए वह दुल्हन का चुनाव कर रही हैं. इस पर प्रिंस दीपेंद्र ने कहा कि वह अपनी मर्ज़ी की लड़की से शादी करना चाहता है तो एक पल के लिए रानी ऐश्वर्या का माथा ठनका. रानी ऐश्वर्या ने उस लड़की के बारे में जब पूछा तो प्रिंस के जवाब से नाराज़ होकर साफ शब्दों में इस शादी से इनकार करते हुए चली गईं.

प्रिंस को ऐसा आभास तो था कि उनकी मर्ज़ी पर ऐतराज़ होगा लेकिन इतना सख़्त होगा, यह उम्मीद नहीं थी. प्रिंस ने अपनी मां को मनाने का निश्चय किया और दोबारा बात करने की कोशिश के लिए खुद को तैयार किया. एक दिन फिर प्रिंस अपनी मां के पास पहुंचा और उसने कहा कि वह शादी के बारे में बात करना चाहता है तो रानी ऐश्वर्या ने फिर इनकार करते हुए कहा कि उसके लिए दुल्हन उन्होंने चुन ली है. इस बार प्रिंस दीपेंद्र नाराज़ हो गया और यह बोलकर वहां से चला गया कि वह शादी करेगा तो देवयानी से ही.

मां-बेटे के बीच इस बात को लेकर एक जंग जैसी छिड़ चुकी थी. कुछ वक्त के बाद प्रिंस और मां की बातचीत हुई तो रानी ऐश्वर्या ने कहा कि उन्होंने जो लड़की प्रिंस के लिए चुनी है वह राजमाता रत्ना की बहन के खानदान की है यानी राजघराने की. एक राजघराने में अगर दुल्हन आएगी तो प्रतिष्ठित राजघराने से ही आएगी. दीपेंद्र ने कहा कि देवयानी भी राजघराने की है लेकिन इस पर रानी ऐश्वर्या बिगड़ गईं और उन्होंने कहा कि उनके घराने की आन बान शान में वह लड़की फिट नहीं होती और दीपेंद्र उसका खयाल मन से निकाल दें.

 इधर, दीपेंद्र जब भी देवयानी से बातचीत करता तो कहता कि वह मां को मनाने की कोशिश कर रहा है. दोनों का प्रेम प्रसंग ठीक चल रहा था और दोनों को उम्मीद थी कि शादी होने की संभावना खत्म नहीं हुई है. इस बीच दीपेंद्र ने अपने देश नेपाल के सुरक्षा विभाग के लिए हथियारों और अन्य उपकरणों की एक डील का प्रस्ताव रखा और अपना सुझाव भी. दीपेंद्र के इस प्रस्ताव को दीपेंद्र के पिता और नेपाल के राजा बीरेंद्र ने दरकिनार करते हुए इससे उलट अपने फैसले को तरजीह दी.

दीपेंद्र को यहां भी मायूसी हाथ लगी. दीपेंद्र और देवयानी का रिश्ता कायम था लेकिन दोनों चिंता में रहने लगे थे कि आगे क्या होगा. दीपेंद्र ने भरोसा दिला रखा था कि वह शादी उसी से करेगा. एक दिन फिर दीपेंद्र ने देवयानी से शादी की बात छेड़ी तो रानी ऐश्वर्या ने कह दिया कि वह जिस सिंधिया खानदान से है, वो पुणे के पेशवाओं की नौकरी करते थे इसलिए वो शाही खानदान के मुकाबले कुछ नहीं हैं. दीपेंद्र ने कहा कि प्रिंस निरंजन की शादी जिस खानदान में तय हुई, तब तो यह नहीं सोचा गया. रानी ऐश्वर्या बिगड़ गईं और दीपेंद्र को तमीज़ से बात करने के लिए कहा.

रानी ऐश्वर्या और प्रिंस दीपेंद्र के बीच कभी अकेले में या कभी परिवार के लोगों के सामने जब भी बात होती तो रानी कहतीं कि शादी जब भी होगी तो उसी से होगी जिसे दुल्हन के रूप में उन्होंने चुना है. दूसरी तरफ, प्रिंस दीपेंद्र भी साफ शब्दों में कह देता कि वह उन्हीं का बेटा है और उन्हीं की तरह ज़िद्दी है, इसलिए शादी तो वह देवयानी से ही करेगा. इसी बीच, दीपेंद्र का राजनीतिक दखल और उसके पिता के फैसले भी एक-दूसरे के उलट ही साबित हो रहे थे.

साल 2001 में जून के महीने का पहला दिन था. दीपेंद्र हर तरफ से मायूस था और जल्द ही कोई फैसला करना चाहता था. इसी दिन राजमहल में फैमिली डिनर का आयोजन था. आज मौका था सबके सामने किसी नतीजे पर पहुंचने का. लेकिन नतीजा निकला कुछ और ही. दीपेंद्र ने शाम से ही नशा करना शुरू कर दिया था और बेकाबू हो गया था. सबकी मौजूदगी में अपनी मां और पिता पर चीखा-चिल्लाया तो कुछ रिश्तेदार उसके कमरे में छोड़ आए.

अपने कमरे में पहुंचने के बाद दीपेंद्र ने देवयानी से फोन पर बात की और उसे कोई इशारा नहीं दिया, बस यही कहा कि अब वह सोने जा रहा है. इसके बाद दीपेंद्र कमरे से निकला तो आर्मी के जवान की तरह और घातक हथियारों से लैस होकर. फिर गैदरिंग हॉल में पहुंचकर धड़ाधड़ गोलियां बरसाते हुए दीपेंद्र ने अपने माता-पिता समेत राजपरिवार के नौ लोगों को मौत के घाट उतार दिया और खुद को भी गोली मार ली. नेपाल के एक प्रतिष्ठित घराने के पशुपति शमशेर जंग बहादुर राणा और उषाराजे सिंधिया की बेटी देवयानी को यह खबर मिली तो उसके पैरों तले से ज़मीन खिसक गई. इस नरसंहार के अगले ही दिन देवयानी ने नेपाल छोड़ दिया और भारत चली आई.

Theory 2 : राजमहल में हुए नरसंहार के 8 साल बाद यानी 2009 में तुल बहादुर शेरचन सामने आया और उसने कहा कि उस हत्याकांड का ज़िम्मेदार वह था. एक रिपोर्टर के साथ मुलाकात में नाटकीय और संदेहास्पद ढंग से शेरचन ने यह खुलासा किया.
Theory 3 : हत्याकांड के समय के दौरान नेपाल के विदेश मंत्री रहे चक्र बासटोला का कहना था कि हत्याकांड के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोईराला को भी मारने की साज़िश थी. चक्र के मुताबिक कोईराला की कार पर हमला हुआ था. चक्र ने इसे एक बड़ी साज़िश करार दिया था.

Theory 4 : पेशे से पत्रकार रहे कृष्णा अबिरल ने रक्तकुंड उपन्यास लिखा. कृष्णा ने राजमहल की एक महिला कर्मचारी के साथ इंटरव्यू किए जो रानी की सेविका थी. इस उपन्यास में लिखा गया कि दीपेंद्र के भेस में दो नकाबपोश आदमियों ने गोलियां बरसाईं. ये दो नकाबपोश कौन थे? यह रहस्य अब तक सुलझा नहीं है.

Theory 5 : नेपाल के तत्कालीन राजा बीरेंद्र के छोटे भाई ज्ञानेंद्र उस रात महल में मौजूद नहीं थे. हत्याकांड में बीरेंद्र की तरफ के रिश्तेदार मारे गए लेकिन ज्ञानेंद्र की तरफ के रिश्तेदार बच गए. इसके बाद आरोप लगाया गया कि ज्ञानेंद्र राजा बनना चाहते थे और गद्दी हथियाने के लिए हो सकता है कि षडयंत्र उन्होंने ही रचा हो.
Theory 6 : नेपाल नरेश बीरेंद्र की हत्या के नौ साल बाद नेपाल के पूर्व पैलेस मिलिट्री सेक्रेट्री जनरल बिबेक शाह ने एक किताब लिखी 'माइले देखेको दरबार' (राजमहल, जैसा मैंने देखा) और दावा किया कि निर्मम हत्याकांड के पीछे संभवतः भारत का हाथ था. शाह के अलावा नेपाली नेता पुष्प कमल दहाल ने भी दावा किया था कि इस हत्याकांड की साज़िश रॉ ने रची.
Theory 7 : नारायणहिति राजमहल के परिसर में खतरनाक हथियारों से लैस सुरक्षा गार्ड बड़ी संख्या में मौजूद रहते थे. थ्योरी रही कि उनमें से कोई हत्याकांड के पीछे हो सकता था. इसके अलावा डॉक्टरों पर शक किया गया. सिर में गोली लगने के बाद प्रिंस दीपेंद्र 1 जून 2001 की रात से अस्पताल में तीन दिन कोमा में रहा. 3 दिन बाद मौत हुई लेकिन पोस्टमार्टम नहीं किया गया.

Theory 8 : शाही परिवार की हत्या के वक्त नेपाल राजपरिवार के प्रिंस पारस की भूमिका पर उंगली उठी थी. जब हादसा हुआ राजकुमार पारस शाही महल में मौजूद था लेकिन उसे खरोंच तक नहीं आई. पहले भी कई मामलों में बदनाम पारस के मिज़ाज, करतूतों और अतीत को देखकर पारस पर शक किया गया.

इनके अलावा एक और थ्योरी कुछ वक्त के लिए चर्चा में रही थी, सेल्फ बॉम्बिंग. कहा गया था कि इस हत्याकांड के पीछे मानव बम का धमाका भी हो सकता है. इन तमाम थ्योरीज़ के चलते सच का खुलासा अब तक नहीं हुआ. अलबत्ता कुछ सवाल ज़रूर खड़े होते रहे जैसे इस घटना के बाद भारत ने यह बयान क्यों दिया कि इस घटना में भारत की कोई साज़िश नहीं है? पूरी घटना के दौरान राजमहल के एडीसी अपने कमरे से बाहर क्यों नहीं निकले? नेपाल के राजमहल के सुरक्षाकर्मी गोलियां चलने की आवाज़ों के बावजूद वहां क्यों नहीं पहुंचे? और तमाम थ्योरीज़ पर क्या जांच हुई, क्या नतीजे निकले?


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