मैथ‍िली के प्रस‍िद्ध गीतकार रवींद्रनाथ ठाकुर का निधन, अभिनव विद्यापति के नाम से थे मशहूर

By: Dilip Kumar
5/19/2022 4:29:37 AM

नई दिल्ली(दिलीप कुमार)। मैथिली के महान गीतकार व कवि रवींद्र नाथ ठाकुर का बुधवार को दिल्ली में इलाज के दौरान निधन हो गया. वे 86 वर्ष के थे और कुछ दिनों से कैंसर से पीड़ित थे. वे मूल रुप से पूर्णिया जिले के धमदाहा के रहने वाले थे. प्रथम मैथिली फिल्म ममता गायब गीत के भी गीतकार रहे रवींद्र नाथ ठाकुर को प्रसिद्ध साहित्यकार बाबा नागार्जुन ने अभिनव विद्यापति का उपनाम दिया था और इस उपनाम से भी वे जाने जाते थे. रविंद्रनाथ ठाकुर का निधन मैथिली साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है. मिथिलांचल के साथ-साथ पूरे देश में मैथिली को उन्होंने अपनी कलम व फिर सुर से नई समृद्धि प्रदान की थी. उनकी पोती मशहूर पार्श्व गायिका परंपरा फिलहाल अलग ही धूम मचा रही है. प्रबोध साहित्य सम्मान, मिथिला रत्न सम्मान व मिथिला विभूति जैसे डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत रवींद्र नाथ ठाकुर के गीत अब भी मिथिला के हर घर में गुनगुनाए जाते हैं।

बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा गठित मैथिली अकादमी के निदेशक सह सचिव के पद पर भी वे रहे थे. मैथिली की पहली फिल्म ‘ममता गाएब गीत’ में बतौर गीतकार उनका लिखा गीत ‘भरी नगरी में शोर, बउआ मामी तोहर गोर, मम्मा चान सन…’ आज भी खूब सुना जाता है. रविंद्रनाथ ठाकुर की लोकप्रियता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि बाबा नागार्जुन ने उन्हें ‘अभिनव विद्यापति’ का उपनाम दिया था. रविंद्रनाथ ठाकुर ‘प्रबोध साहित्य सम्मान’, ‘मिथिला रत्न सम्मान’ और ‘मिथिला विभूति’ जैसे लगभग डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत किए जा चुके थे.

रविंद्रनाथ ठाकुर की कृतियां

मैथिली सिनेमा ‘ममता गाएक गीत’ के गीत आज भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं. रविंद्रनाथ ठाकुर ने हिंदी सिनेमा ‘आयुर्वेद की अमर कहानी’ का लेखन व निर्देशन किया था. इसके अलावा उन्होंने मैथिली फिल्म ‘नाच’ का निर्माण शुरू किया गया था, लेकिन यह फिल्म पूरी नहीं हो पाई. मैथिली साहित्य में रविंद्रनाथ की कृतियों की विशेष जगह है. उनके मैथिली गीतों के संग्रह हैं – ‘चलू चलू बहिना, ‘जहिना छी तहिना’, ‘स्वतंत्रता अमर हो हमर’, ‘प्रगीत’, ‘अतिगीत’, ‘रविंद्र पदावली (मैथिली गीत संग्रह)’. इनके अलावा उन्होंने ‘पञ्चकन्या’ और ‘नरगंगा’ नाम से मैथिली महाकाव्य की भी रचना की थी. उनकी मैथिली कविताओं का संग्रह है ‘चित्र-विचित्र’. उनके मैथिली उपन्यास ‘श्रीमान गोनू झा’ की चर्चा मैथिली साहित्य में खूब हुई है. ‘एक राति’ उनका मैथिली नाटक है जबकि ‘एक मिनट की रानी’ हिंदी नाटक. उनके मैथिली गजल संग्रह ‘लेखनी एक रंग अनेक’ को प्रयोगधर्मी रचनाशीलता के रूप में याद किया जाता है.

भरा-पूरा परिवार

बता दें कि 7 अप्रैल 1936 में जन्मे रविंद्रनाथ ठाकुर मूल रूप से पूर्णिया जिले के धमदाहा के रहने वाले थे. वे अपने पीछे पत्नी के अलावा तीन बेटों और दो बेटियों से भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को हरिद्वार गंगा घाट पर किया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने जताया शोक

रविंद्रनाथ ठाकुर के निधन की खबर से मिथिलांचल में शोक की लहर दौड़ गई है. मैथिली कवि और गीतकार के रूप में याद करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि रविंद्रनाथ ठाकुर मंचीय गायन के लिए मैथिलीभाषियों के बीच काफी लोकप्रिय थे. बिहार सरकार के मंत्री संजय झा ने ट्विटर पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए मैथिली में लिखा. उन्होंने ट्वीट किया ‘जिनकर अमर गीत मिथिलाक गाम-गाम मे गुनगुनाइत अछि, मैथिलीक एहन लोकप्रिय गीतकार आ साहित्यकार श्री रवीन्द्र नाथ ठाकुर जीक निधन मिथिला आ मैथिली लेल अपूरणीय क्षति अछि। परमात्मा दिवंगत आत्मा के शांति आ शोक संतप्त परिवार के दुख सहय के शक्ति देथिन से प्रार्थना। परमात्मा दिवंगत आत्मा के शांति आ शोक संतप्त परिवार के दुख सहय के शक्ति देथिन से प्रार्थना।

उनके बड़े पुत्र अवनिंद्र ठाकुर ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को हरिद्वार गंगा घाट पर किया जाएगा. वे अपने पीछे पत्नी के अलावा तीन पुत्र व दो पुत्रियों से भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं. बिहार सरकार की खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री लेशी सिंह ने उनके निधन को मिथिलांचल समेत पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति बताया है. उन्होंने कहा कि यह मैथिली साहित्य व संगीत के लिए एक दुखद पल है. उन्होंने मृत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है. भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सह पूर्णिया विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य टनटन ठाकुर ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है.


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