धमकाने या चिढ़ाने से बच्चे का संपूर्ण विकास बाधित होता है : डॉ. ज्योति कपूर, फाउंडर और सीनियर साइकेट

By: Dilip Kumar
8/22/2022 1:45:47 PM

नई दिल्ली से बंसी लाल की रिपोर्ट। मॉडर्न पब्लिक स्कूलों मे आज के समय में बच्चों को परेशान करना एक प्रचलित समस्या बन गई है। दुनिया भर के मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट ने इस समस्या पर चिन्ता जताई है क्योंकि उनके ओपीडी में आए दिन इस तरह के बच्चों के केसेस बढ़ रहे हैं। बच्चों को मौखिक रूप से, सामाजिक रूप से और साइबर माध्यम से प्रताड़ित किया जाता है। बच्चों को उनके नाम को गलत तरीक़े से पुकार के, छेड़खानी करके, अफवाह फैला के, उनके सामानों को चुरा के, उन पर सेक्सुअल टिप्पणी करके और इशारे तथा शारीरिक रूप से छेड़ करके ज्यादा तंग किया जाता है।

डॉ. ज्योति कपूर, फाउंडर और सीनियर साइकेट्रिस्ट, मन:स्थली वेलनेस ने कहा कि किसी बच्चा या बच्ची को तंग करने से उसकी पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव तो पड़ता ही है साथ ही साथ उसके संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा भी पहुँचती है । स्कूलों मे जिन बच्चों को नियमित रूप से ज्यादा तंग किया जाता है उनमें पेट दर्द, सिर दर्द, सोने में परेशानी जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इसके अलावा उनका आत्म विश्वास कम हो सकता है, उन्हे समय समय पर डिप्रेशन की समस्या हो सकती है, उनमें आत्महत्या का ख्याल भी आ सकता है और वे कभी कभी हिंसक भी हो सकते हैं।

डॉ ज्योति कपूर ने बताया, "किसी व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बुलिंग (तंग करने) के गंभीर परिणाम होते हैं। जिन बच्चों को स्कूल में धमकाया जाता है, इसका उनके शिक्षा और संपूर्ण विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बचपन मे हुई बुलिंग का मानसिक स्वास्थ्य पर लम्बे समय तक प्रभाव रहता है। ओपीडी में ऐसे कई केस मेरे पास आते रहे हैं। अगर कोई बच्चा बदमाशी का शिकार होता है, तो उसकी पढ़ाई में बदमाशी के शुरुआती लक्षण देखे जा सकते हैं। कम आत्मसम्मान के कारण उनका रिजल्ट अच्छा नही आ सकता है। इन लक्षणों मे यह हो सकता है कि वे स्कूल में कुछ गतिविधियों में भाग लेने के इच्छुक न हों और कुछ बच्चे स्कूल जाने के इच्छुक न हों या स्कूल छोड़ना भी चाहें। वे कुछ स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी समस्याओं को भी प्रदर्शित कर सकते हैं।"

यह जानकर आश्चर्य होता है कि जो छात्र अन्य छात्रों को परेशान करते हैं, वे भी कुछ नकारात्मक साइड इफेक्ट्स का अनुभव करते हैं। यहां तक कि रिसर्च से पता चलता है कि जो छात्र दूसरे छात्रों को परेशान करते हैं, उनका व्यव्हार हिंसक होना, संपत्ति की चोरी या तोड़फोड़ करना, धूम्रपान करना, शराब पीना, उनका ग्रेड ख़राब आना और उनके द्वारा स्कूल मे बंदूक ले जाने की संभावना ज्यादा होती है।

डॉ ज्योति कपूर ने आगे बताया, "जो बच्चा दूसरे बच्चों को परेशान करता हैं, अगर उनमें इस समस्या का समाधान न किया जाए तो बच्चा आगे चलकर कुछ गंभीर अपराध भी कर सकता है। कोई यह पहचान नही कर सकता है कि वह किसी को परेशान कर रहा है या नहीं। जिन बच्चों का रिजल्ट अच्छा आता है या जो पढ़ाई में तेज होते हैं वे भी अन्य बच्चों को परेशान कर सकते हैं। जब बदमाशी की पहचान करना मुश्किल हो, तो स्कूल के लिए बुलिंग (बदमाशी) पर कार्रवाई करना मुश्किल होता है। स्कूल को कार्रवाई में स्कूल की नीतियों का प्रदर्शन करने वालों को प्रोत्साहित करके सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना सुनिश्चित करना चाहिए।"


comments