वे 5 कारण जिनके लिये आपको ‘अलीबाबा दास्‍तान-ए-काबुल’ जरूर देखना चाहिये

By: Dilip Kumar
8/31/2022 4:00:15 PM

नई दिल्ली से कुलवंत कौर की रिपोर्ट। ‘अलीबाबा दास्‍तान-ए-काबुल’ के हाल ही में लॉन्‍च हुए एपिसोड्स बेहद शानदार और भव्‍य होने की दर्शकों की अपेक्षाओं पर बिल्‍कुल खरे उतरे हैं। दर्शक इनका काफी समय से इंतजार कर रहे थे। अपने दादा-दादी से अलीबाबा और चालीस चोरों की कहानी सुनकर बड़े हुए प्रशंसक हर एपिसोड में नये आश्‍चर्यों और ट्विस्‍ट्स के साथ काबुल की प्‍यारी गलियों में घूमने को लेकर रोमांचित हैं। अलीबाबा की भूमिका निभा रहे शेहजान खान के साथ सारे कलाकार अपने बेहतरीन अभिनय से भारतीय टेलीविजन इंडस्‍ट्री में धूम मचा रहे हैं। सारी बुराइयों से लड़कर काबुल की किस्‍मत लिखने निकले अलीबाबा की सहानुभूति, थोड़ी नासमझी और प्‍यार वाले पहलू ने प्रशंसकों के दिलों को काफी जल्‍दी जीत लिया है। हम जानते हैं कि आप सांस थामकर इस शानदार कहानी के नये खुलासों का इंतजार कर रहे हैं और इसलिये हम 5 कारण दे रहे हैं कि क्‍यों हर किसी
को ‘अलीबाबा दास्‍तान-ए-काबुल’ की खूबसूरती में खो जाना चाहिये और यह शो भारतीय टेलीविजन पर जो भव्‍यता लेकर आ रहा है, उसका गवाह बनना चाहिये:-

देखने लायक काबुल

‘अलीबाबा दास्‍तान-ए-काबुल’ का सेट भारतीय टेलीविजन पर देखे गये सबसे बड़े सेट्स में से एक है और लोकेशंस का तो कहना ही क्‍या! यह शो लद्दाख की लुभावनी जगहों के अलावा काबुल की गलियों की सुंदरता को भी असल ढंग से संजोता है, जहाँ मसालों और विचित्र परिधानों की बहार है। सिम सिम द्वारा रक्षित गुफा के बेजोड़ दृश्‍य रोमांच को चरम पर पहुँचा देते हैं। इन जगहों के साथ अलीबाबा की दिलचस्‍प कहानी दर्शकों को निश्चित तौर पर एक जादुई दुनिया में ले जाती है।

सिम सिम के साथ एक ट्विस्‍ट है!

दर्शक पहली बार सिम सिम को एक किरदार के रूप में देखेंगे, इसमें केवल ‘खुल जा सिम सिम’ का पारंपरिक आदेश नहीं होगा। सिम सिम के दमदार डायलॉग्‍स और गुफा की सुरक्षा के लिये उसका समर्पण इस किरदार को बेहद दिलचस्‍प और कई पहलूओं वाला बनाते हैं। वह अच्‍छाई और बुराई की सीमाओं से परे है और यह एक पेचीदा किरदार है, जिसका वर्णन हर खुलासे के बाद बेहतर होता चला जाएगा। ड्रामा, एक्‍शन और हास्‍य का सबसे बढि़या मेल अलीबाबा को अपने अतीत और प्‍यारे पिता की जो यादें आती हैं, वह उसकी किस्‍मत में निर्णायक मोड़ लेकर आएंगी, जिसका खुलासा अभी होना है। अलीबाबा अपने पिता के प्‍यार में ही उनके पदचिन्‍हों पर चलता है। हालांकि, अलीबाबा और उसके भाई के बीच का परेशान करने वाला रिश्‍ता हमें नाटक और भावनाओं की दुनिया में ले जाता है, जो हर बीतते पल के साथ परिपक्‍व होती जाती हैं। आखिरकार, अच्‍छाई और बुराई के बीच एक धुआंधार लड़ाई होती है, इस शो में इंसाफ के लिये दिलचस्‍प लड़ाई दिखाई जाएगी और घटनाक्रम धीरे-धीरे स्‍पष्‍ट होता  जाता है।

प्‍यारा अलर्ट: रिश्‍तों में संपूर्णता!

अलीबाबा और अनाथ बच्‍चों का रिश्‍ता हमारे दिल को छू लेता है। बच्‍चे उसे अपना पालक समझते हैं, जो उन्‍हें आरामदायक जिन्‍दगी देने के लिये हदें पार कर जाता है। इसी तरह, अलीबाबा और उसके दोस्‍तों और उसे मानने वालों के बीच वफादारी वाला रिश्‍ता बहुत कुछ कहता है। चाहे एक-दूसरे का साथ देना हो या मस्‍ती भरे पल बिताना, यह शो दोस्‍ती के रिश्‍ते को संजोने के महत्‍व पर अच्‍छी तरह रोशनी डालता है।

एक आम आदमी का उद्भव

प्रशंसकों को इससे ज्‍यादा सुकून क्‍या दे सकता है कि बहादुर अलीबाबा आम आदमी के अधिकारों के लिये खड़ा होता है? उसके दोस्‍त मामूली सड़क एरिया में रहते हैं, लेकिन वह शाही सड़क के ठाठदारों के खिलाफ खड़ा होने की कोशिश करता है। बड़े लोगों के खिलाफ अलीबाबा का खड़ा होना हर इंसान को बराबरी का आदर देने के लिये है, चाहे उसकी सामाजिक स्थिति कुछ भी हो और इस बात में निश्चित रूप से दम है। इसके अलावा, अलीबाबा काबुल के आम आदमी की ताकत का प्रतिनिधित्‍व करता है, जिसे अपने खानदान पर गर्व है और जो काबुल की किस्‍मत गढ़ना चाहता है! तो अलीबाबा के साथ हिम्‍मत और रहस्‍यों के शानदार सफर पर जाने के लिये इस शो को अपनी टू-वाच लिस्‍ट में डालें!

देखना ना भूलिये ‘अलीबाबा दास्‍तान-ए-काबुल’, सोमवार से शनिवार रात 8 बजे,सिर्फ सोनी सब पर!


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