भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र है सरस 

By: Dilip Kumar
11/17/2022 9:58:14 PM

नई दिल्ली से बंसी लाल की रिपोर्ट। भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले मेंसरस आजीविका मेला जो कि प्रगति मैदान के बीचो बीचप्रवेश करते हीहॉल नंबर- 7 (ए,बी,सी) में है दर्शकों की पहली पसंद बन गया है। इसलिए दर्शकों की पहली पसंद सरस का भ्रमण होता है। 24राज्यों की स्वयं सहायता समूहों की 300 महिलाएँ150 के करीब स्टॉलों पर देश भर के ग्रामीण उत्पादों से मेले की रौनक़ बनाए हुए हैं। राजस्थान के उदयपुर जिले के भुआना गांव से आईं हुईं प्रिया बताती हैं कि वह जय श्री कृष्णा स्वयं सहायता समूह से हैं यहां पर16 महिलाओं का समूह है। प्रिया के स्टॉल नंबर 49पर आप कोब्लॉक प्रिंट एवं हेंड एंब्रोडरी के बने हुए सामान उपलब्ध हैं। यहां से आप महिलाओं के लिए कुर्ता, टॉप, स्कर्ट, प्लाजो, दुपट्टा ये सभी अलग अलग स्टाइल में बने हुए यहां से खरीद सकते हैं।साथ ही हेंड ब्लाक पेंट में शर्ट, शॉर्ट्स भी पुरुषों के लिए उपलब्ध हैं। यहां पर आप को350 रुपये से लेकर 2500तक के सामान उपलब्ध हैं। वहीं वेस्ट हुए कपड़ों के फैबरिक ज्वेलरी भी यहां पर हैं। वहीं, राजस्थान के ही राजसमन जिले के खेड़ी गांव से आईं ममता ने भी अपना स्टॉल इस मेले में लगाया है। वहमीनाकारी वर्क किए हुए ज्वेलड़ी में चूड़ी, पाटला, पेंडल सेट, कान के टॉप्स, साथ ही पूजा की चौकी, पूजा थाली, पूजा के पाटले, ड्राइ फ्रूट बॉक्स के आइटम लेकर आईं हुई हैं। यहां आप को 100 रुपये से लेकर 2500 तक के सामान उपलब्ध हैं।

हिमाचली हेंडलूम के पोशाक,एप्रीकॉट के तेल, बिच्छु बुट्टी समेत राजस्थानी पोशाक व पूजा समग्री भी लोगों को कर रहा आकर्षित

वहीं, आज मेले में हिमाचल प्रदेश की एचपीएसआरएलएम कीडिप्टी सीईओ व प्रोजेक्ट डायरेक्टर, कल्याणी गुप्ता ने भी आज सरस मेले का मुआयना किया। साथ ही इस दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश से इस मेले में चार स्टॉल लगाए गए हैं। सुश्री गुप्ता ने बताया कि यहां आगाज सेल्फ हेल्प ग्रुप से एप्रीकॉट के तेल जो कि स्टॉल नंबर103 पर हैं यह तेलपेन रिलीफ में काम आता है। उन्होंने बताया कि सर्दियों में जोड़ों में पेन ज्यादा होता है इसलिए इस तेल का इस्तेमाल आप कर सकतेहैं। साथ ही इसका इस्तेमाल फेस ग्लो के लिए भी किया जाता है। वहीं, सुश्री गुप्ता ने बताय कि पहाड़ों में मिलने वालेबिच्छु बुट्टी का भी एक स्टॉल हिमाचल से लगाया गया है, जो कि ओमेगा-6 ओमेडा-9 से भरपूर होता है। यह इम्युनिटी बुस्टर होता है। वहीं, खुद की इजाद की हुई रॉ हनी,पपाया बर्फी, कद्दू बर्फी के भी स्टॉल लगाए गए हैं। इसके साथ ही हिमाचली हेंडलूम के भी स्टॉल यहां लगाए गए हैं जहां आपको हिमाचल के फेमस पोसाक मिल जाएंगे।कल्याणी गुप्ताने बताया कि एचपीएसआरएलएम में कुल 40 हजार स्वयं सहायता समूह हैं, जिससे कि साढ़े तीन लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं। वहीं, बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश एसआरएलएम द्वारा हिमइरा एक ब्रांड डेवलप किया गया है जो किहरेक ब्लॉक लेवल पर बनाया गया है। वहीं, आखिरी में उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश के उत्पादों को एक अच्छा मार्केट मिले इसलिए हम यह योजना बना रहे हैं कि दिल्ली एनसीआर में कोई ऐसा जगह लेकर ऐसे ही एक मेले का आयोजन किया जाय़। 

ज्ञात हो कि दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 41वें विश्व व्यापार मेले में एक बार फिर परंपरा, क्राफ्ट,कला एवं संस्कृति से सराबोर “वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल” थीम के साथ, 14 नवंबर से 27 नवंबर तक प्रसिद्ध सरस आजीविका मेला 2022 का आयोजन किया जा रहा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) द्वारा आयोजित इस सरस आजीविका मेला 2022 में ग्रामीण भारत की शिल्पकलाओं का मुख्यरूप से प्रदर्शन किया जा रहा है। 14 नवंबर से27 नवंबर तक चलने वाले इस उत्सव में 300 के करीब महिला शिल्पकलाकार, 150 के करीबस्टॉलों पर अपनी अपनी उत्कृष्ट प्रदर्शनी का प्रदर्शन करेंगे।  

सरस आजीविका मेला 2022 में कुछ उत्कृष्ट प्रदर्शन जो विभिन्न राज्यों से हैं वो इस प्रकार हैं - अंडमान एंड निकोबार से बैंबू प्रोडक्ट, अरुणाचल प्रदेश से पारंपरिक कपड़े, बैंबू प्रोडक्ट्स, आसाम से असामीज कपड़े के मेटेरियल, वाटर हायसिन्थ प्रोडक्ट्स, केन एंड बैंबू प्रोडक्ट्स, आंध्रप्रदेश से साउथ इंडियन पिकल, तेल, हर्बल हनी, वुडेन हेंडीक्राफ्ट, साड़ी और सॉफ्ट खिलौने आदि रहेंगे।बिहार से मधुबनी पेंटिंग, सिल्क साड़ी, सोलर टार्च, लाह की चूड़ियां और प्राकृतिक शहद रहेंगे। छत्तीसगढ़ से कॉटन सूट, फुलकारी सूट, सिल्क साड़ी, मेटल आर्ट, बेल मेटल, ड्राई फ्रूट्स और स्नैक्स, पापड़, आम के अचार और हल्दी पाउडर वहीं, गुजरात से मिस्लेनियस हेंडलूम आइटम, सिल्क साड़ी, दुपट्टा, बेल मेटल, गारलेंड्स, वुडेन हेंडीक्राफ्ट, पैटचित्रा के साथ साथ बेड डेकोरेटिव आइटम रहेंगे। जबकि गोवा से कुची हेंडीक्राफ्ट्स और स्नैक्स रहेंगे। हरियाणा से कॉटन सूट, साड़ी, दुपट्टा, टेराकोटा आइटम, क्लाउथ मेटेरियल, ड्रेस मेटेरियल, ज्वेलड़ी, स्नैक्स में मशहूर महुआ लड्डू। हिमाचल प्रदेश से मिस्लेनियस हेंडलुम आइटम, साक्स, हेंडबैग, साबुन वहीं, जम्मु कश्मीर से गोल्डन ग्रास प्रोडक्ट, कुची हेंडीक्राफ्ट, क्लाउथ मेटेरियल आदि।

झारखंड से ट्राइबल ज्वेलरी, हनी, मिक्स अचार, दाल, आम के अचार, फ्लोर, आर्गेनिक वेजीटेबल और मशाले, चावल, दाल, साबुन के साथ ही स्नैक्स में हाथ के बनाए हुए चॉकलेट मशहूर रहेंगे। कर्नाटका से वुडेन खिलौने, पेपर, कॉफी पाउडर, कार्डामॉम क्लाउथ मेटेरियल, हनी,मिक्सड पीकल, जैगरी, पेंटिंग, वुडेन हेंडीक्राफ्ट. साथ ही केरला से कोकोनट ऑयल, कार्डामॉम,पेपर, मिस्लेनियस हेंडलुम आइटम, बनाना चिप्स, स्नैक्स, हेडमेड चॉकलेट, मशाले, क्ले डेकोरेटिव आइटम। लद्दाख से ड्राई फ्रूट्स, हेंड एमब्रोडरी वर्क, कार्पेट, लेदर पर्स और तेल। मध्य प्रदेश से मिस्लेनियस हेंडलुम आइटम, चंधेरी साड़ी, जैगरी, बैंबू प्रोडक्ट, दुपट्टा, गोंद, डेकोरेटिव आइटम। महाराष्ट्र से एमब्रोडरी ड्रेस, वुडेन खिलौने, लेमन पिकल। मणीपुर से वाटर हायसिन्थ प्रोडक्ट, मिजोरम से कड़ी पाउडर, ब्लैक पेपड़, नागालैंड से बासकेट, सैंडल, ट्राइबल ज्वेलरी, ओडिशा से सबाई हेंडीक्राफ्ट, काश ग्रास, तासर साड़ी, पंजाब से जूट बैग, कुशा मैट्स, कुची हेंडीक्राफ्ट, वुलेन जैकट। पुडुचेड़ी से बेड्स ज्वेलड़ी, इमीटेशन ज्वेलड़ी। 

राजस्थान से ब्लॉक प्रिंटेड बेडसीट, आर्टीफैक्ट्स और आयरन टुल्स प्रोडक्ट, तमिलनाडु के पारंपरिक कपड़े और स्पेशल साड़ी आदि। तेलंगाना से स्पेशल साड़ी, त्रिपुड़ा के पारंपरिक कपड़े। उत्तराखंड के आर्गेनिक दालें, ग्रास बॉक्स, टेराकोटा आइटम, ब्लॉक प्रिंटेड बेडशीट, आयरन टुल्स प्रोडक्ट। उत्तर प्रदेश से हेंड एमब्रोडरी वर्क, पॉटरी वर्क, स्टोल, डिजायनर बेडशीट, शिल्क साड़ी, मेटल डेकोरेटिव आयटम। वेस्ट बंगाल से होम डेकोर प्रोडक्ट, बैंगल, ज्वेलड़ी, कांथा स्टीच आदि हैं। इसके साथ ही प्राकृतिक खाद्य पदार्थ भी फूड स्टाल पर मौजूद हैं, प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के रूप में अदरक, चाय, दाल,कॉफी, पापड़, एपलजैम और अचार आदि उपलब्ध रहेंगे।

 

सरस आजीविका मेला के दौरान देश भर के 24 राज्यों के हजारों उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री होगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा यह एक मुहिम की शुरुआत की गई है जिससे कि हमारे देश केहस्तशिल्पियों और हस्तकारों को कोरोना के बाद एक बार फिर से अपनी रोजगार शुरु करने का मौका मिल सके।


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