NTWS और NIHFW ने विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाया, “रोगियों की आवाज़ बुलंद करें”

By: Dilip Kumar
9/26/2023 3:33:40 PM
नई दिल्ली

कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट।नेशनल थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी (NTWS) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर (NIHFW) ने पेशेंट फॉर पेशेंट सेफ्टी (PFPS) इंडिया के सहयोग को NIFHW मुनिरका दिल्ली में विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाया। सुरक्षित इलाज और देखभाल को बेहतर बनाने में रोगियों, उनके परिवारों और देखभाल करने वालों की मुख्य भूमिका को स्वीकार करते हुए, “रोगियों की सुरक्षा के लिए रोगियों को शामिल करना” को विश्व रोगी सुरक्षा दिवस 2023 के लिए विषय के रूप में चुना गया है, जिसका नारा है “रोगियों की आवाज़ बुलंद करें!”

इस सेमिनार का उद्घाटन स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) डॉ. अतुल गोयल ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में DGHS ने कहा कि रोगी की सुरक्षा न केवल हेल्थकेयर का बल्कि मानव जीवन का भी मूल आधार है। हेल्थकेयर इंडस्ट्री ने इलाज पर खर्च बढ़ा दिया है। 16% जीडीपी का उपयोग हेल्थकेयर पर किया जाता है। यदि मैं रोगी की सुरक्षा के बारे में चिंतित हूं, तो मैं कम से कम दवाएं लिखूंगा। उन्होंने कहा कि रोकथाम रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका है, रोगी सुरक्षा पर दस्तावेज़ तैयार करने के अलावा, उन दस्तावेज़ों को अमल में लाना रोगी सुरक्षा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। रोगी क्लाइंट या ग्राहक नहीं हैं, जब तक हम उन्हें इंसान के रूप में शामिल नहीं करेंगे, हम रोगी की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पाएंगे। विवेकपूर्ण ढंग से रेफर किए जाने से तृतीयक देखभाल अस्पतालों का बोझ कम होगा और रोगी की सुरक्षा बढ़ेगी।

डब्ल्यूएचओ पेशंट्स फॉर पेशंट सेफ्टी प्रोग्राम के सलाहकार, महासचिव एनटीडब्ल्यूएस और संस्थापक पीएफपीएस इंडिया, डॉ. जेएस अरोड़ा ने मेहमानों और आगंतुकों का स्वागत करते हुए रोगी समावेश और सशक्तिकरण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि हेल्थकेयर सिस्टम की योजना बनाने, डिज़ाइन करने से लेकर योजनाओं और नीतियों को क्रियान्वित करने तक में रोगी को शामिल किया जाना चाहिए। डॉ. अरोड़ा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मरीज को इस तरह से पर्याप्त जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वह समझ सके, सवाल पूछ यके और अपने इलाज के लिए साझा निर्णय ले सके। उसे अपनी रिपोर्ट तक पूरी पहुंच होनी चाहिए और किसी दूसरे चिकित्सक से परामर्श लेने का अधिकार होना चाहिए।

रोगी की भागीदारी और सशक्तिकरण से हेल्थकेयर का खर्च और अस्पताल में अनावश्यक रूप से दोबारा भर्ती होने की स्थिति में कमी आती है। इस प्रक्रिया में रोगियों और परिवार के सदस्यों को समान के रूप में शामिल करके हेल्थकेयर कर्मचारी अपने काम को अधिक सहज व आनंददायक बना लेते हैं। NIHFW के निदेशक डॉ. धीरज शाह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नीति, दस्तावेज़ीकरण, संचार और पारदर्शिता रोगी समावेश की मूल बातें हैं। आज हम यहां हेल्थकेयर सिस्टम के सभी हितधारकों के बीच रोगी सुरक्षा का समर्थन करने के लिए आए हैं। कार्यशैली की प्रथा, उत्पादों, प्रक्रियाओं या प्रणाली से संबंधित समस्याओं के कारण प्रतिकूल घटनाएं घटित हो सकती हैं या नुकसान हो सकता है, जिनमें आमतौर पर स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की गलती नहीं होती हैं।

रोगी सुरक्षा एवं गुणवत्ता डब्ल्यूएचओ के राष्ट्रीय कार्यक्रम अधिकारी, डॉ. परमिंदर गौतम ने अपने संबोधन में कहा कि सुरक्षित हेल्थकेयर सभी रोगियों का मौलिक अधिकार है, और हेल्थकेयर में किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। रोगियों और हेल्थकेयर प्रदाताओं के बीच जानकारी में भारी असमानता है जिस वज़ह से मरीजों और उनके परिवारों के बीच संशय, संदेह, विश्वास की कमी और चिंता की स्थितियां पैदा होती हैं। 46 वर्षों के अनुभव वाले, अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवर डॉ. संजीव कुमार ने कहा कि संचार समावेश और रोगी सुरक्षा की कुंजी है। उन्होंने कहा कि केवल रोगी ही नहीं बल्कि देखभालकर्ता, परिवार को भी शामिल किया जाना चाहिए। मेडिक्स और पैरामेडिक्स के छात्रों को अपनी प्रैक्टिस में रोगी सुरक्षा पर ध्यान देने हेतु प्रेरित करने के लिए उनके बीच एक पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गयी


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