राजपाल सिंह आर्य की रिपोर्ट। मण्डलायुक्त रविन्द्र द्वारा मंगलवार को कलक्ट्रेट के नवीन भवन की गुणवत्ता का आकलन किया गया। मण्डलायुक्त मंगलवार ठीक प्रातः 9ः25 बजे कलक्ट्रेट पहुंचे, जहाँ जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। इस दौरान सीडीओ एवं एडीएम भी उपस्थित रहे। मण्डलायुक्त ने निरीक्षण के दौरान कलक्ट्रेट परिसर में इंटरलॉकिंग पथ, कार्यालय न्यायालय बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी के भवन का सौंदर्यीकरण एवं जीर्णाेद्धार कार्य का लोकार्पण भी किया। जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने मण्डलायुक्त को नवीन सभाकक्ष, कार्यालय कक्ष, न्यायालय कक्ष का निरीक्षण कराते हुए नवनिर्मित छोटे नवीन सभागार के निर्माण एवं उद््देेश्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्य बिना किसी शासकीय बजट के पूरा कराया गया है।
नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय कक्ष एवं न्यायालय कक्ष की दीवार पर आ रही सीलन के बारे में अधिशासी अभियंता आवास विकास सस्मित कटियार से सवाल किया कि दीवार पर सीलन क्यों है। अधिशासी अभियंता कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। मण्डलायुक्त ने सीलन को दूर करने के निर्देश दिए। तदोपरांत एडीएम सिटी, एडीएम प्रशासन, एडीएम वित्त के कार्यालय कक्ष एवं न्यायालय कक्ष का भी अवलोकन किया। जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने बताया कि आवास विकास विभाग द्वारा परिसर में बनाई गई सड़क काफी खराब थी, जिसकी मरम्मत कराते हुए चलने योग्य बनाया गया है। भवन में जगह-जगह एक्सपेंशन जॉइंट खुले हुए थे, जिससे नवीन भवन की सौंदर्यता प्रभावित हो रही थी। उसे भी कार्यदाई संस्था से दुरुस्त कराया गया है।
मण्डलायुक्त ने नवीन भवन में स्थापित जे ए बाबू का कार्यालय, नवनिर्मित संयुक्त कार्यालय (आयुध लिपिक, बिल लिपिक, सामान्य लिपिक, ग्रामीण सीलिंग, इआरके, एमसी प्रथम पटल) का भी निरीक्षण कर पत्रावलियों के रखरखाव एवं साफ सफाई की तारीफ की। गलियारे से होते हुए पुराने भवन की तरफ निकले तो जिलाधिकारी द्वारा मरम्मत एवं सौंदर्यीकरण कर कराये गए गोल पार्क की सुंदरता को काफी देर तक पलक झपकाए बिना देखकर बोले कि कलक्ट्रेट का रख-रखाव वास्तव में काफी बेहतर है। जिलाधिकारी ने बताया कि कुछ स्थानों पर सम्मानित अधिवक्तागण बेतरतीब ढंग से इधर उधर अपने बस्ते लगाए हुए थे। परंतु जब उनसे संवाद और समन्वय किया गया तो वह अपने चैम्बर को उचित स्थान पर ले गए। उनके सहयोग और सकारात्मक दृष्टिकोण से ही यह क्षेत्र इतना आकर्षक हो सका। डीएम ने बताया कि खाली पड़ी भूमि जो अनुपयोगी होने के चलते वहाँ कूड़ा करकट डाला जाने लगा था, उधर किसी का आना-जाना तो दूर कोई देखता भी नही था।
पर्यावरण संरक्षण एवं नारी शक्ति के सम्मान में ’’अमृत शक्ति वाटिका’’ का निर्माण कराते हुए महिला कार्मिकों को वाटिका के रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिसका उनके द्वारा रखरखाव भी किया जा रहा है। तदोपरांत आयुक्त ने सूर्य रथ मन्दिर, एनआईसी मीटिंग हाल, ईडीएम कक्ष, नवनिर्मित शौचालय, अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय, आपूर्ति कार्यालय, पुराना कलक्टर न्यायालय, अभिलेखागार, पटवार फंड, न्यायिक अभिलेखागार का निरीक्षण करते हुए सम्पूर्ण कलक्ट्रेट परिसर की स्वच्छता की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
मंडलायुक्त रविन्द्र ने जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह द्वारा बिना किसी शासकीय बजट से कराए गए मरम्मत एवं सौंदर्यीकरण के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसा कलक्ट्रेट परिसर जल्दी देखने को नहीं मिलता है। इसके लिए जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह की कार्यकुशलता की जितनी प्रसंशा की जाए कम ही है। अभिलेखों के अभिलेखीकरण एवं उचित रख-रखाव पर भी मंडलायुक्त ने संतोष प्रकट करते हुए कहा कि कलेक्ट परिसर की साफ सफाई, पत्रावलियों का उचित रखरखाव, पटल कार्मिकों की सादगी एवं पहनावा, मधुर व्यवहार से समाज के हर व्यक्ति तक शासन की जनकल्याणकारी लाभपरक योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन होता दिखाई दे रहा है।
नवीन परिसर भवन के गुणवत्तापूर्ण निर्माण की जाँच के दौरान अभिलेखों का अवलोकन करते हुए पाया गया कि एस्टिमेट के अनुसार 10 करोड़ 41 लाख की लागत से निर्माण कार्य आरम्भ किया गया था। अधिशासी अभियंता आवास विकास सस्मित कटियार ने बताया कि पुनरीक्षित आगणन में यह बजट 18 करोड़ 36 लाख तक पहुंच गया था। बजट का पुनरीक्षण वर्ष 2015 में किया गया। कलक्ट्रेट परिसर भवन 6 अक्टूबर 2018 को हैंडओवर किया गया। जिलाधिकारी ने बताया की कार्यदायी संस्था आवास विकास द्वारा शौचालय एवं साइकिल स्टैंड का निर्माण नहीं कराया गया था, परंतु वर्तमान में उनके द्वारा निर्माण कार्य पूरा कर दिया गया है। हैंडओवर होना शेष है, जिस पर मंडलायुक्त ने जगह-जगह आ रही सीलन की समस्या को दूर करते हुए नवीन कार्य हैंडओवर करने के निर्देश दिए।
एस्टीमेट के अनुसार कलक्ट्रेट परिसर में फायर फाइटिंग एवं अन्य स्थानों पर जल उपयोग के लिए ओवरहेड टैंक बनाया जाना था, परंतु कार्यदायी संस्था द्वारा 5000-5000 लीटर क्षमता की दो पानी की टंकियां रखा जाना पाया गया। साइड डेवलपमेंट के नाम पर भी कार्य नहीं होना पाया गया। सीमेंट की बेंच भी नहीं लगाई गई। अधिशासी अभियंता द्वारा कैंटीन बनाए जाने के लिए 5256000 की धनराशि सरेंडर किए जाने की भी जानकारी उपलब्ध कराई गई। मंडलायुक्त ने पाया कि कलक्ट्रेट भवन के बरामदों में कहीं अधिक चौड़ाई में खंबे बनाए गए हैं, जबकि भवन में इतना लोड नहीं है।
अभिलेखीय जांच के दौरान थर्ड पार्टी जांच रजिस्टर भी अधिशासी अभियंता नहीं दिखा सके। अंत में उन्होंने जिलाधिकारी एवं अधिशासी अभियंता आवास विकास को निर्देशित किया कि नवीन कार्यों का हैंडओवर जल्द से जल्द लिया जाए, जो कार्य होना शेष हैं उनको पूरा कराया जाए। सीलन की समस्या भी दुरुस्त किया जाए, इससे भवन की आयु कम होती है।
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