बच्चों में बेहतर श्वसन देखभाल को बढ़ावा देने के लिए सिप्ला ने लॉन्च किया 'टफीज'

By: Dilip Kumar
5/24/2023 10:58:34 AM

कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। इस विश्व अस्थमा जागरूकता महीने (वर्ल्‍ड अस्‍थमा अवेयरनेस मंथ) में सिप्ला ने ‘टफीज़’ नामक अपने सामान्य मरीज़ एवं सार्वजनिक जागरूकता कार्यक्रम की शुरूआत की है जिसका उद्देश्य बच्चों, विशेष रूप से जो अस्थमा जैसी बीमारी से पीड़ित हैं, पर ध्यान केंद्रित करते हुए श्वसन संबंधी देखभाल में सुधार लाने के लिए जागरूकता बढ़ाना है। एक व्यापक गैर-संक्रामक रोग अस्थमा बच्चों में सबसे सामान्य दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्या है जो करीब 7.9% भारतीय बच्चों को प्रभावित करती है और अस्थमा से पीड़ित बच्चों में से 80% को उनके जीवन के पहले छह वर्षों के दौरान ही इसके लक्षणों का अनुभव होने लगता है।

इस रोग के बारे में अपर्याप्त जागरूकता और इसके बुनियादी उपचार यानी इन्हेलेशन थेरेपी से जुड़ी हुई गलत धारणाएं और मिथकों के कारण अस्थमा के कई मामलों का निदान नहीं हो पाता और इसका उपचार ही नहीं कराया जाता है। इन सबका नतीजा यह होता है कि अस्थमा नियंत्रण के बाहर हो जाता है और जीवन की गुणवत्ता पर बहुत खराब असर पड़ता है जिसमें शामिल है अस्पताल में बार-बार भर्ती करने की आवश्यकता और स्कूल में अनुपस्थित रहने की नौबत आना। अस्थमा जैसे पुराने श्वसन संबंधी रोगों और इसके उपचार से जुड़ी झूठी बातों और कलंक पर बात करने के लिए टफीज़ अभियान की शुरूआत की गई है जिसका लक्ष्य है 5 से 10 साल के बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों को आपस में जोड़ना। जबकि इस अभियान की शुरूआत कॉमिक किताब के साथ हुई है लेकिन कुछ समय बाद एक एनिमेटेड वीडियो सीरीज़ भी लाई जाएगी।

‘टफीज़’ जैसे अभियान के माध्यम से बच्चों से जुड़े अस्थमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर ज़ोर देते हुए डॉ. मनदीप वालिया, कंसल्टेंट पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजिस्ट, दिल्ली, ने कहा, “बच्चों में अस्थमा जैसी बीमारी का होना बच्चे और उसके परिवार दोनों के लिए तकलीफदेह हो सकता है। यह एक दीर्घकालिक बीमारी है जिसके लक्षणों को नियंत्रण में रखने के लिए अक्सर लगातार और गहन प्रबंधन की आवश्यकता होती है। यदि इस बीमारी का निदान प्रारंभिक अवस्था में हो और उचित उपचार किया जाए तो इस बीमारी के बार बार होने और इसकी तीव्रता को कम करने में सहायता मिल सकती है।

हालांकि, इस बीमारी और व्यापक तौर पर उपयोग की जाने वाली और सामाजिक कारणों सहित सबसे ज़्यादा अनुशंसित इन्हेलेशन थेरेपी के बारे में गलतफहमी के कारण माता-पिता अक्सर इस बीमारी से पीड़ित होने की बात छिपाते हैं और तब तक उपचार करवाना टालते हैं जब तक लक्षण बहुत अधिक बिगड़ न जाएं2। इस वजह से अंत में नतीजा यह होता है कि बीमारी का प्रबंधन पर्याप्त रूप से नहीं हो पाता और साथ ही जीवन की गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है जिसमें बार बार अस्पताल में भर्ती करना और स्कूल में अनुपस्थित[6] रहने की नौबत आने जैसी परेशानियाँ शामिल हैं। इस बीमारी से जुड़े कलंक से लड़ने के लिए ‘टफीज़’ जैसे अभियान महत्वपूर्ण हैं ताकि अस्थमा से पीड़ित बच्चों को सशक्त बनाने के लिए एक अधिक सहायक माहौल का निर्माण किया जा सके। ” 

उसने जोड़ा, “माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए अपने बच्चों के हेल्‍थकेयर प्रदाताओं के साथ मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबसे योग्य अस्थमा प्रबंधन रणनीतियों का पालन करने के लिए उनके पास आवश्यक जानकारी और साधन उपलब्ध हैं। बच्चों के जीवन पर अस्थमा के असली प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इस बीमारी और इसके साथ ही इसके अनुशंसित उपचार तरीकों से जुड़ी गलफहमियों, मिथकों या गलत धारणाओं को दूर करना बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसा करके हम परिवारों को सक्षम बना सकते हैं ताकि वे आवश्यक देखभाल की सुविधा ढूंढ सकें और उनके बच्चों को अपनी पूरी क्षमता के अनुसार बढ़ने में सहायता कर सकें।” 

इस अभियान की शुरूआत टफीज़ कॉमिक बुक के विमोचन के साथ हुई जिसमें टफीज़ टीम का परिचय कराया गया जो जुड़ सकने योग्य, युवा, साहसी किरदारों का एक समूह हैं जिन्हें अस्थमा से पीड़ित बच्चों को प्रेरित करने के लिए बनाया गया है ताकि वे बीमारी की वजह से खुद को सीमित न रखें। इस कॉमिक बुक में दर्शाए गए पात्र हैं- विकी, एक जासूस बननने की महत्वाकांक्षा रखने वाला बच्चा जो अस्थमा से पीड़ित है लेकिन इससे उसके हौसले में कोई कमी नहीं आती, और इसके अलावा अन्य पात्र हैं उसकी बहन मिनी, जिगरी दोस्त गुल्लू और विकी का भरोसेमंद साथी मि. पफी। ‘टफीज़ टीम’ की प्रत्येक कहानी में दिखाया जाएगा किस तरह वे चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करते हैं और अपने घरेलू शहर में रहस्यों को सुलझाते हैं। और इस दौरान मि. पफी अपने मंत्र के ज़रिए उनका मार्गदर्शन और प्रोत्साहन करता है। मंत्र है ‘सांस भीतर खींचो और दस तक गिनती गिनो, सांस बाहर छोड़ो और शक को दूर भगाओ’।

पिछले कुछ वर्षों में सिप्ला ने अपने #BerokZindagi अभियान के माध्यम से अस्थमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम किया है और इसके लिए विभिन्न प्रकार के रचनात्मक फॉर्मेट और प्लैटफॉर्म्स का उपयोग किया है ताकि पूरे देश में अस्थमा से पीड़ित मरीज़ों के लिए सामाजिक चर्चा शुरू हो, लोगों से जुड़ाव बनाया जाए और बदलाव के लिए प्रेरित किया जा सके। टफीज़ अभियान के साथ, सिप्ला बच्चों जैसे विशिष्ट मरीज़ों के लिए अधिक गहराई में जाकर यह संदेश फैलाने की कोशिश कर रही है कि अस्थमा किसी भी बच्चे के लिए अपने वास्तविक क्षमता को हासिल करने की राह में बाधा नहीं बननी चाहिए और इसके साथ ही माता-पिता का सशक्तीकरण कर रही हैं ताकि उन्हें ऐसा कर पाने में सहायता की जा सके।


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