उतराखंड ऊर्जा निगम यूपीसीएल में भरी भ्रष्टाचार,घपला प्रशासन मौन
By: Dilip Kumar
5/29/2024 9:50:55 AM
कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। देव भूमि उत्तराखंड में के विकास और प्रगति में भ्रष्टाचार और घोटालों की काली कमाई की दीमक किस तरह जन-धन को चट कर रही है उसका ज्वलंत उदाहरण ऊर्जा प्रदेश कहलाने वाली देवभूमि उत्तराखंड के एक ऊर्जा निगम यूपीसीएल में देखने को मिलता है। किस तरह ये जिम्मेदार पदों को नियम विरुद्ध धोखेबाजी और छल से हथियाए बैठे इसके एमडी और निदेशक (परियोजना) के पद पर बैठे ये दोनों वरिष्ठ अधिकारी कई वर्षो से एक ही पदो पर कई कई साल बैठ कर घोटालों एवं भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त हैं व इनके विरुद्ध शासन स्तर से जांचों के बाद भी होने वाली दंडात्मक कार्यवाही आज एक लम्बे समय से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं।
इससे इनकी दबंगई और ताकत का अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है कि इन्हे किसी भी प्रकार के कानूनों का डर नहीं। इन सभी बड़े पैमाने पर हो रहे घपलों का खुलासा एक प्रेस वार्ता में लेबर वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी अधिवक्ता सुनील गुप्ता ने किया,उन्होंने बताया कि यूपीसीएल (उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड) के वर्तमान एमडी की हैं जो उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद में वर्ष 1987-88 में सहायक अभियन्ता के पद पर सरकारी सेवा में आए और तत्पश्चात उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद से अब तक यूपीसीएल और पिटकुल में मुख्य अभियंता स्तर-1 तक सेवारत हैं तथा तीन चार माह में सेवा निवृत्त होने वाले हैं। उनकी चल-अचल सम्पत्ति चार से पांच करोड़ की ही होनी चाहिए परंतु यहां फिर इस भ्रष्टाचारी महाबली यादव ने लगभग डेढ़ सौ करोड़ की सम्पत्तियां जो अभी तक सामने आईं है कहां से और कैसे जुटाली। इसके अभिन्न साथी सहायक अजय अग्रवाल की भी कमोवेश यही स्थिति है अर्थात इन दोनों ने लगभग दो सौ करोड़ से अधिक सम्पत्तियां कहां से और कैसे जुटा ली। इनकी अकूत सम्पत्तियों में अपने परिजनों के नाम का तो प्रयोग मनमाने ढंग से किया ही गया है इसके अतिरिक्त काली कमाई के अपार धन को किसी अपने व साझे के व्यवसाय में भी जिस तरह से इन्वेस्ट किया गया है वह तरीका भी आश्चर्य करने वाला है। उल्लेखनीय तो यहां यह तथ्य भी है दोनों महाशयों के द्वारा सेवा नियमावली का भी जम कर उल्लंघन ही नहीं किया बल्कि अपनी घोषित आए से भी ज्यादा अकूत संपत्ति उत्तराखंड के बाद अन्य शहरों में भी बेनामी संपतिया बनाई है। जबकि वहीं वेटा यशराज वर्ष 2015-16 में पिटकुल के ही एक कान्ट्रैक्टर कम्पनी मैसर्स आशीष ट्रांसपावर में नौकरी करके 40-45 हजार रुपये की सैलरी हासिल कर रहा था।
सुनील गुप्ता अधिवक्ता ने बताया की किस प्रकार लगातार कई वर्षो से प्रशासन में रह करअकूत संपत्ति अर्जित ही नही कि आज भी करोड़ो रुपए की काली कमाई केवल रिश्वत के द्वारा बनाई जा रही है,जिसमे फर्जी टेंडर जारी कर,अपने चाहते को टेंडर देना, वही कई परियोजना तो केवल कागजों में बन कर तैयार दिखा रखी है। गुप्ता ने बताया की जांच के नाम पर कई अन्य राज्यो में चल रही योजनाओं के निरक्षण करने में भी इन्होंने भरी घपला किया है,बिना गए फंड जारी किया वही काले धन को सफेद करने के लिए ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर सरकार को कई करोड़ो रुपयों का चूना लगाया, भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ दी है। यूपीसीएल के चर्चित पावर परचेज प्रकरण पर पूर्व सीएम के एफआईआर के आदेशों की अनदेखी व 20-22 करोड़ की बकाया की क्रियेट पावर से वसूली किए जाने पर भी इनकी संलिप्त पाईं गई हैं। उत्तराखंड में व्यापक बिजली का निर्माण होता है फिर भी इन भ्रष्ट अधिकारियों के कारण आम उपभोक्ता महंगी बिजली के बिलों से परेशान है।जल्दी प्रशासन, ईडी, सीबीआई कोई कार्यवाही नहीं करता है तो इनके विरुद्ध व्यापक आंदोलन चलाकर आम जनता तक भी इनके भ्रष्टाचार को उजागर किया जाएगा।