मेदांता के डॉक्टरों ने 79 साल की एक मरीज में लाइफसेविंग गैर-सर्जिकल वाल्व रिपेयर किया

By: Dilip Kumar
9/27/2025 10:31:42 PM
गुरुग्राम

कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। भारत के टॉप मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल मेदांता – द मेडिसिटी के डॉक्टरों ने 79 साल की प्रवीण कुमारी का इलाज किया, जो लंबे समय से बार-बार हार्ट फेलियर से जूझ रही थीं। मरीज डॉ. रजनीश कपूर, चेयरमैन, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, कार्डियक केयर, मेदांता, गुरुग्राम के देखरेख में थीं, और सभी दवाओं के बावजूद लगभग हर महीने अस्पताल में भर्ती होती थीं।आखिरकार उनका इलाज सफलतापूर्वक गैर-सर्जिकल, कैथेटर आधारित वाल्व क्लिपिंग प्रक्रिया के जरिए किया गया।

45 किलो से कम वजन और लगातार कमजोर होती प्रवीण कुमारी अक्सर अस्पताल जाने पर निर्भर थीं। सभी दवाओं के बावजूद, उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ता गया। जाँच में पता चला कि उनका हृदय पंप करने की क्षमता बहुत कम थी, और लेफ्ट वेंट्रिकुलर इजेक्शन फ्रैक्शन (LVEF) सिर्फ 20–25% थी। उनके मिट्रल और ट्राइकसपिड वाल्व में गंभीर रिसाव था, यानी उनके हृदय के दोनों तरफ के वाल्व ठीक से काम नहीं कर रहे थे, जिससे हार्ट फेलियर और जटिल हो गया। उनकी उम्र, सह-रुग्णताएँ और कमजोरी को देखते हुए, डॉक्टरों ने सर्जरी नहीं करने का फैसला किया। इसलिए डॉ. कपूर और उनकी टीम ने कैथेटर से वाल्व रिपेयर करने का प्लान बनाया।

डॉ. रजनीश कपूर ने कहा, “यह केस खास था क्योंकि दोनों वाल्व में रिसाव था और सर्जरी संभव नहीं थी। इसलिए हमने MitraClip और ट्राइकसपिड क्लिपिंग का इस्तेमाल करके वाल्व की रिसाव कम किया, हार्ट की फंक्शन सुधारने की कोशिश की और बार-बार होने वाले हार्ट फेलियर को कंट्रोल किया। यह पूरी प्रक्रिया बहुत ध्यान से की गई और वाल्व का रिसाव काफी कम हो गया।” इसका असर मरीज पर तुरंत और साफ दिखा। प्रक्रिया के बाद पिछले 3–4 महीनों में उन्हें हार्ट फेलियर के लिए अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ी—पहले वे हर महीने अस्पताल जाती थीं। उनकी एनर्जी बढ़ गई और रोज़मर्रा की जिंदगी में स्थिरता वापस आई।

डॉ. कपूर ने कहा, “गैर-सर्जिकल ट्रांसकैथेटर वाल्व रिपेयर उन मरीजों के लिए लाइफलाइन है जो ओपन हार्ट सर्जरी नहीं करवा सकते। ये लोग सिर्फ जिंदा नहीं रहते, बल्कि फिर से पूरी तरह से एक्टिव और स्वस्थ जीवन जीने लगते हैं।” उन्होंने आगे कहा, "हार्ट फेलियर दुनिया की 1–3% आबादी को प्रभावित करता है, ज्यादातर केस बुजुर्गों में होते हैं। भारत में लगभग 1.3 से 4.6 मिलियन लोग हार्ट फेलियर के साथ जी रहे हैं।”

यह केस ये भी दिखाता है कि बुजुर्गों के हार्ट रोगों पर जल्दी ध्यान देने की जरूरत है। जैसे-जैसे लोग उम्रदराज होते हैं, बुजुर्ग मरीज अक्सर कमजोरी और जटिल हार्ट बीमारी जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं, जिससे वे सामान्य सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं रहते। गैर-सर्जिकल हार्ट इंटरवेंशन्स उन्हें नए जीवन और बेहतर क्वालिटी ऑफ लाइफ का मौका देते हैं। बुजुर्गों के हार्ट की अनदेखी न हो और उन्हें जीवन और सम्मान के साथ जीने का मौका मिले, इसके लिए ध्यान, जागरूकता और सहानुभूति जरूरी है।

मरीज के परिवार ने कहा, “हम डॉ. रजनीश कपूर और मेदांता टीम के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने हमारी माँ को नया जीवन दिया। पहले वह बार-बार अस्पताल जाती थीं, अब वह स्थिर हैं और आराम से जी रही हैं। इस प्रक्रिया ने हमें उनके भविष्य के लिए उम्मीद और विश्वास दिया।” यह सफलता मेदांता की उन्नत हार्ट केयर में लीडरशिप को और मजबूत करती है, खासकर जटिल और हाई-रिस्क मरीजों के इलाज में।मल्टी-डिसिप्लिनरी एक्सपर्टीज और एडवांस्ड गैर-सर्जिकल सॉल्यूशंस के साथ, मेदांता हार्ट मरीजों और उनके परिवारों को उम्मीद और राहत देता रहता है।


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