ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में “न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: अधिकार, संस्थाएँ और नागरिक—तुलनात्मक दृष्टिकोण” का उद्घाटन भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्या कांत और कानून एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया। कार्यक्रम के दौरान विश्व के सबसे बड़े मूट कोर्ट—न्यायाभ्यास मंडपम्—को राष्ट्र को समर्पित किया गया तथा ईमानदार (IMAANDAAR – International Mooting Academy for Advocacy, Negotiation, Dispute Adjudication, Arbitration and Resolution) का औपचारिक लोकार्पण किया गया।
यह विशिष्ट आयोजन कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय न्यायविदों तथा विधि-विशेषज्ञों की उपस्थिति का साक्षी बना, जिसमें सम्मिलित थे:
भारत के 17 मुख्य न्यायाधीश एवं सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश
10 पूर्व मुख्य न्यायाधीश/पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश
10 उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश एवं पूर्व न्यायाधीश
14 अंतरराष्ट्रीय न्यायाधीश और विधिवेत्ता
6 मंत्री एवं सांसद
61 वरिष्ठ अधिवक्ता
91 शिक्षाविद, वकील और पत्रकार
दो दिवसीय यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका की स्वतंत्रता की केंद्रीय भूमिका पर केंद्रित है। स्वतंत्रता के बाद, जब भारत एक नवोदित लोकतंत्र था, तब संविधान निर्माताओं ने सुनिश्चित किया कि न्यायपालिका बाहरी या आंतरिक दबावों से मुक्त रहकर कार्य करे। यह सिद्धांत भारतीय संविधान की मूल संरचना का आधार है, जो कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के संतुलन तथा विधि के शासन की रक्षा करता है। सम्मेलन में ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामला और उसके भारतीय संवैधानिक इतिहास पर गहरे प्रभाव का नाट्य-प्रस्तुतीकरण किया गया। इस प्रस्तुति में महान्यायवादी आर. वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक एम. सिंघवी और वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा शामिल थे।
इस प्रस्तुति के उपरांत 13-न्यायाधीशों की पीठ के बीच एक अभूतपूर्व संवाद हुआ, जिसमें न्यायपालिका की स्वतंत्रता और केशवानंद भारती फैसले पर उनके दृष्टिकोण साझा किए गए। 24 अप्रैल 1973 के इस ऐतिहासिक निर्णय ने भारतीय संविधान के मूल संरचना सिद्धांत को स्थापित किया, जिसके अनुसार लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और विधि का शासन जैसी मूलभूत विशेषताओं में संसद संशोधन नहीं कर सकती। साथ ही न्यायिक पुनरावलोकन को संविधान की मूल संरचना का आवश्यक तत्व माना गया।
इस चर्चा में भाग लेने वाले न्यायाधीश थे: सूर्या कांत, बी.वी. नागरत्ना, एम.एम. सुंदरेश, पी.एस. नरसिम्हा, दीपांकर दत्ता, संजय करोल, राजेश बिंदल, अरविंद कुमार, प्रशांत कुमार मिश्रा, ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह, एन. कोटिस्वर सिंह, आर. महादेवन और जॉयमाल्या बागची।
कार्यक्रम के समापन पर जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल का परिचय कार्यकारी डीन प्रो. (डॉ.) दीपिका जैन ने प्रस्तुत किया और धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. डबीरु श्रीधर पटनायक ने दिया।
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