मैथिली साहित्य महासभा (मैसाम) के तत्वावधान में रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित संस्कार भारती सभागार में तीसरे वार्षिक कथा गोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार देवशंकर नवीन की अध्यक्षता एवं विशिष्ट अतिथि धीरेन्द्र कुमार झा धीरेन्द्र की उपस्थिति में आयोजित कथा गोष्ठी में नये एवं पुराने कथाकारों ने अलग-अलग विधा में सृजित अपनी कथा से गोष्ठी को जीवंत बनाया। गोष्ठी का कुशल संचालन मैसाम कोषाध्यक्ष आशीष नीरज ने बखूबी किया। कथागोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। मौके पर मैसाम परिवार के साथ मिलकर सभागारमे उपस्थित मातृभाषा अनुरागियों ने कवि कोकिल बाबा विद्यापति रचित गोसाउनि गीत ' जय जय भैरवि...' का सामूहिक गायन किया। अतिथियों का भव्य स्वागत मैसाम अध्यक्ष राहुल झा ने मिथिला की गौरवशाली परंपरा किया। मौके पर मैसाम महासचिव सोनी चौधरी ने बताया कि विगत 11 वर्ष के कार्यकाल में मैसाम प्रतिवर्ष एकल व्यख्यानमाला, कविगोष्ठी, युवा सम्मान, सुदीर्घ साहित्य साधना के लिए मैसाम सम्मान और विगत तीन वर्षों से कथा गोष्ठी का उत्कृष्ट आयोजन करता आ रहा है। कथागोष्ठी में कवि धीरेन्द्र कुमार 'धीरेन्द्र' की चार पुस्तकों क्रमशः समदिया, वैदिक सुक्ति संचिका, अमृतवाणी, जीवन और दर्शन सूत्र का विमोचन विशेष आकर्षण के केंद्र में रहा।
मैथिली के युवा और प्रौढ़ कथाकार के जुटान से खचाखच भरे सभागार में देवशंकर नवीन ने कहा कि मैथिली साहित्य के समुचित श्रीवृद्धि के लिए कथा के सृजन में पाठक से वैयक्तिक संवेदना और संस्पर्श अपेक्षित है। किसी उत्कृष्ट कथाकार के लिए अपने सृजन कर्म के साथ सीधा संवाद रखना और कथा के सभी विधाओं में रचना करने की कला से संपन्न होना, पाठक के पास अपनी कथा जीवंत रूप में पहुंचाने के लिए अत्यन्त जरूरी और एकमात्र सार्थक उपाय है। उन्होंने कहा कि आधुनिक कथा में इस संदर्भ में काफी भिन्नता आई है। इसे देखने से यह स्पष्ट होता है कि आधुनिक कथा सृजन मे 'आधिदैविक या दैविक' अभिप्राय के स्थान पर 'मानवीय अभिप्राय' की विशेष प्रधानता हुई है।
अपने संबोधन में कवि धीरेन्द्र कुमार झा 'धीरेन्द्र' ने कहा कि आज की दुनिया में बहुत सारी परिवर्तनकारी घटनाएं घटित हो रही है। इस बदलती दुनिया का प्रभाव विभिन्न रूप से समाज और आम लोक जीवन पर पड़ा है। आज लोग विश्व नागरिक अधिक बन रहे हैं। चाहे किसी देश के लोग हों, वे भले किसी देश के सुदूर पिछ़ड़े इलाके में रहते हों, डिजिटल क्रांति के कारण विश्व की सभी गतिविधियों से स्वयं को सहजता पूर्वक सीधे जुड़ा अनुभव करते हैं। इसलिए आज कोई भी क्षेत्र, देश की समस्या से कम, विश्व की समस्या से अधिक संवेदनशील दिखता है।
वैश्वीकरण के कारण किसी भी समस्या का समाधान वैश्विक अधिक होता जा रहा है। साथ ही, व्यक्ति, घर-परिवार और समाज पर विभिन्न दबाव भी अधिकतर वैश्विक हो रहा है। ऐसी स्थिति में वर्तमान समय में मैथिली कथा को भी अपने अन्तर्वस्तु, कथ्य और भाषा-शिल्प-शैली में, दृष्टिकोण में सम्पूर्ण मानव समुदाय को सम्बोधित किया जाना मैथिली कथा के विकास के लिए जरूरी है। मैसाम महासचिव सूर्यनारायण यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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