उडुपी श्रीकृष्ण मठ में चल रहे विश्व गीता पर्याय के अंतर्गत श्री पुत्तिगे श्रीकृष्ण मठ एवं इस्कॉन बेंगलुरु के संयुक्त तत्वावधान में रविवार, 21 दिसंबर 2025 को उडुपी के राजांगण में श्रीकृष्ण समर्पणोत्सव का गरिमामय आयोजन किया गया, जिसमें महाकुंभ मेला में इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य श्रील ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद को प्रदत्त ‘विश्वगुरु’ सम्मान को उडुपी श्रीकृष्ण के पावन चरणकमलों में श्रद्धापूर्वक समर्पित किया गया।
यह भव्य समर्पणोत्सव, पर्याय श्री पुत्तिगे श्रीकृष्ण मठ, उडुपी के पीठाधीश परम पूज्य श्री श्री सुगुणेन्द्र तीर्थ स्वामीजी एवं उनके शिष्य श्रीपद परम पूज्य श्री श्री सुष्रीन्द्र तीर्थ स्वामीजी की पावन उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस सुवसर पर हरिद्वार के निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर परम पूज्य कैलाशानंद गिरी महाराज विशेष रूप से इस अवसर पर उडुपी पधारे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री मधु पंडित दास, चेयरमैन एवं मेंटर, ग्लोबल हरे कृष्ण मूवमेंट, चेयरमैन अक्षय पात्र फाउंडेशन तथा अध्यक्ष, इस्कॉन बेंगलुरु ने की। इस अवसर पर श्री चंचलापति दास, वाइस चेयरमैन एवं सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, इस्कॉन बेंगलुरु समूह के वरिष्ठ प्रचारक, तथा देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला 2025 के दौरान इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य परम पूज्य ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद को ‘विश्वगुरु’ की प्रतिष्ठित उपाधि से सम्मानित किया था। परम पूज्य कैलाशानंद गिरी महाराज एवं अन्य अखाड़ों के महामंडलेश्वरों ने सनातन धर्म और मानवता के लिए श्रील प्रभुपाद के अतुलनीय योगदान को सम्मानित किया।
श्रीकृष्ण समर्पणोत्सव का आयोजन परम पूज्य श्री श्री सुगुणेन्द्र तीर्थ स्वामीजी के मार्गदर्शन में हुआ, जिन्होंने पिछले वर्ष ऐतिहासिक रूप से चौथी बार पर्याय पीठ का आरोहण किया। उनके पर्याय काल में गीता उत्सव, सुवर्ण रथ (स्वर्ण रथ यात्रा) जैसी अनेक आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पहलों को प्रारंभ किया गया है, जो पंच प्रधान योजनाओं का हिस्सा हैं। वे इस्कॉन बेंगलुरु और अक्षय पात्र के दीर्घकालिक शुभचिंतक रहे हैं तथा समाज सेवा के उनके कार्यों का निरंतर समर्थन करते रहे हैं।श्रील प्रभुपाद श्री ब्रह्मा-माध्व–गौड़ीय संप्रदाय के एक सशक्त वैष्णव आचार्य थे। उन्होंने भारत की शाश्वत आध्यात्मिक ज्ञान परंपरा, संस्कृति और जीवनशैली को विश्वभर में पहुँचाया। भगवान श्रीकृष्ण के संदेश के प्रचार में उनके अग्रणी प्रयासों ने विश्वभर में लाखों लोगों के जीवन को रूपांतरित किया। श्री माध्वाचार्य द्वारा प्रतिष्ठित एवं पूजित उडुपी श्रीकृष्ण को ‘विश्वगुरु’ उपाधि समर्पित करना, समस्त वैष्णवों एवं सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहा।
समारोह का शुभारंभ गीता पारायण, हरिनाम संकीर्तन एवं दासरा पदगलु (कन्नड़ वैष्णव संत-कवियों द्वारा रचित भक्ति गीतों) से हुआ। श्रील प्रभुपाद द्वारा यह सम्मान उडुपी श्रीकृष्ण को अर्पित करते हुए दर्शाने वाली प्रतीकात्मक छवि से युक्त एक सुंदर पट्टिका का अनावरण किया गया। भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्रील प्रभुपाद के योगदान की सराहना करते हुए दिए गए संदेशों एवं महाकुंभ कार्यक्रम की झलकियों का वीडियो भी प्रदर्शित किया गया। श्रील प्रभुपाद को परंपरागत सम्मान स्वरूप देवता के पवित्र अलंकरण एवं भव्य रत्नजटित मुकुट से विभूषित किया गया। श्री माध्वाचार्य एवं श्रील प्रभुपाद पर पुष्पवृष्टि तथा गुरुवाष्टकम (गुरु की स्तुति में अष्ट श्लोकों का संस्कृत स्तोत्र) का सामूहिक पाठ इस अवसर का प्रमुख आकर्षण रहा।
इस अवसर पर डॉ. कब्बिनाले वसंत भारद्वाज, कर्नाटक तुलु साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध विद्वान द्वारा रचित ‘श्रील प्रभुपाद चरितामृतम् : कन्नड़ महाकाव्य’ का विमोचन किया गया। यह अपने प्रकार का पहला कन्नड़ महाकाव्य है, जो अष्टादश पदी छंद में रचित है और प्राचीन व आधुनिक कन्नड़ का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। विद्वानों एवं बुद्धिजीवियों ने इस ग्रंथ की सराहना की है। उडुपी मठ की रंगीन एवं आध्यात्मिक पत्रिका ‘श्री तुलसी’ का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम का समापन गुरु पूजा, पुत्तिगे मठ के दीवानों के सम्मान तथा सभी भक्तों को श्रीकृष्ण प्रसाद वितरण के साथ हुआ।
यह उल्लेखनीय है कि इस्कॉन बेंगलुरु द्वारा गीता जयंती माह में एक लाख भगवद्गीता वितरण (लक्ष गीता दान) किया जा रहा है, जो श्रील प्रभुपाद की भगवान कृष्ण के संदेश को सर्वत्र पहुँचाने की अभिलाषा के अनुरूप है। ये प्रयास परम पूज्य श्री सुगुणेन्द्र तीर्थ स्वामीजी की उस संकल्पना से भी मेल खाते हैं, जिसके अंतर्गत उनके ऐतिहासिक चौथे पर्याय को ‘विश्व गीता पर्याय’ घोषित किया गया है - उद्देश्य है हर घर में गीता और हर हृदय में गीता।
वक्तव्यों के अंश
परम पूज्य श्री श्री सुगुणेन्द्र तीर्थ स्वामीजी ने कहा, “जब भगवान के भक्तों की महिमा होती है, तब भगवान श्रीकृष्ण अत्यंत प्रसन्न होते हैं। मैं मानता हूँ कि स्वयं श्रीकृष्ण ने अपना ‘विश्वगुरु’ का शीर्षक अपने प्रिय भक्त श्रील प्रभुपाद को प्रदान किया। आज का दिन अत्यंत पावन है, जब श्रील प्रभुपाद इस सम्मान को उडुपी श्रीकृष्ण को समर्पित करने यहाँ आए हैं। कलियुग में भगवान ने अपने सशक्त प्रतिनिधि श्रील प्रभुपाद को संपूर्ण विश्व में अपना संदेश फैलाने के लिए भेजा। मुझे हर्ष है कि मेरे पर्याय काल में श्रील प्रभुपाद को यह सम्मान प्राप्त हुआ। परम पूज्य कैलाशानंद गिरी महाराज की उपस्थिति से उडुपी हरिद्वार के समान हरिहर क्षेत्र बन गया है। उत्तर भारत देवभूमि है और दक्षिण भारत आचार्य भूमि-भारतवर्ष में सदैव एकता और शांति बनी रहे।”
परम पूज्य कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा, “उडुपी, भगवान श्रीकृष्ण और श्री माध्वाचार्य की पवित्र भूमि है। मुझे भगवान ने यह सौभाग्य दिया कि मैं उनके प्रिय सेवक श्रील प्रभुपाद को ‘विश्वगुरु’ सम्मान प्रदान कर सका। यह सम्मान बहुत पहले मिलना चाहिए था। यह अवसर अत्यंत दुर्लभ है और समस्त विश्व के भक्त इससे हर्षित हैं।”
श्री मधु पंडित दास ने कहा, “मैं परम पूज्य श्री सुगुणेन्द्र तीर्थ स्वामीजी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने इस ऐतिहासिक स्थल पर श्रीकृष्ण समर्पणोत्सव का आयोजन किया। श्रील प्रभुपाद हमारे सभी सेवा कार्यों की प्रेरणा हैं। गीता जयंती के इस पावन माह में यह आयोजन अत्यंत शुभ है। मैं डॉ. कब्बिनाले वसंत भारद्वाज को उनके अद्वितीय साहित्यिक योगदान के लिए बधाई देता हूँ।”
विश्वगुरु श्रील प्रभुपाद के बारे में
श्रील प्रभुपाद का जन्म 1896 में कोलकाता में एक भक्त परिवार में हुआ। उन्होंने आदर्श गृहस्थ जीवन जिया और बाद में संन्यास आश्रम स्वीकार कर श्री ब्रह्मा–माध्व–गौड़ीय वैष्णव परंपरा के 32वें आचार्य बने। 69 वर्ष की आयु में उन्होंने पश्चिम की यात्रा कर भारत की आध्यात्मिक संस्कृति को विश्वभर में फैलाया। उन्होंने भगवद्गीता एवं श्रीमद्भागवत पर प्रामाणिक भाष्य लिखे, 100 से अधिक इस्कॉन मंदिर स्थापित किए, हरिनाम संकीर्तन एवं अन्नदान परंपरा को विश्वव्यापी बनाया और 1977 में अपने दिव्य प्रस्थान तक संपूर्ण मानवता पर भगवान कृष्ण की कृपा बरसाई।
आयोजन स्थल का महत्व
उडुपी कर्नाटक के तटीय क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन नगर है, जिसकी सांस्कृतिक विरासत हजारों वर्षों पुरानी है। इस पवित्र भूमि की महानता प्राचीन ग्रंथों जैसे पुराणों में भी देखने को मिलती है। उडुपी का “कृष्ण मठ” कृष्ण भक्ति का विश्व प्रसिद्ध केंद्र है, जो पूरी दुनिया से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। यह कृष्ण मठ लगभग 800 वर्ष पहले महान संत श्री माध्वाचार्य द्वारा स्थापित किया गया था। वे स्वयं श्री मुख्यप्राण के अवतार माने जाते हैं। श्री माध्वाचार्य ने “तत्त्ववाद” का दर्शन फैलाया, जो बाद में द्वैत दर्शन के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
कृष्ण मठ में, उन्होंने भगवान कृष्ण की 5000 वर्ष पुरानी मूर्ति की स्थापना की, जो द्वारका, गुजरात के तट से नाव द्वारा उडुपी के मलपे तक लाई गई थी। यह संभवतः इस बात का प्रमाण है कि भगवान कृष्ण ने अपने परम भक्त श्री माध्वाचार्य को अत्यधिक अनुग्रह प्रदान किया। श्री माध्वाचार्य ने कृष्ण मठ में धार्मिक कर्मकांडों का संचालन और समर्थन करने के लिए आठ मठों की स्थापना की। श्री पुथिगे मठ उन्हीं में से एक है।
श्री माध्वाचार्य के सबसे प्रमुख शिष्य श्री उपेन्द्र तीर्थ थे, जिनका नाम “श्री समुद्र्ध्व विजय” (श्री माध्वाचार्य का जीवनी ग्रंथ) में उल्लेखित है। उनके माध्यम से जो मठ हमारे समय तक आया है, उसे श्री पुथिगे मठ कहा जाता है। वर्तमान में मठ के प्रमुख श्री सुगुणेंद्र तीर्थ स्वामीजी हैं, जिन्हें केवल बारह वर्ष की आयु में श्री मठ का 30वाँ पीठाधीश्वर नियुक्त किया गया। स्वामीजी ने श्री विद्यामण्य तीर्थ स्वामीजी के अधीन अध्ययन किया, जो आधुनिक समय के महान वेदान्त विद्वानों में से एक माने जाते हैं।
उडुपी श्रीकृष्ण मठ में चल रहे विश्व गीता पर्याय के अंतर्गत श्री पुत्तिगे श्रीकृष्ण मठ ..Read More
कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। BMW Group India ने गुरुग्राम के सेक्टर 29 स्थित ..Read More
कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। मैनेज्ड ऑफिस स्पेस क्षेत्र की तेज़ी से बढ़ती कं ..Read More
भारत के एक सबसे भरोसेमंद और अभिनव कंज्यूमर इलेक्ट्रिकल ब्रांड, क्रॉम्पटन ग्रीव्स ..Read More
कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के अध्यक्ष ..Read More
SquadStack.ai, a pioneer in Al-led sales and CX transformation, today announced the la ..Read More
The Associated Chambers of Commerce and Industry of India (ASSOCHAM) has submitted its ..Read More
कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। दिल्ली के प्रेस क्लब में असम सहित पूर्वोत् ..Read More
कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। त्योहारों और छुट्टियों के मौसम में खरीदारी ..Read More