'नदियां जीवन हैं, जहां कहीं भी नदियां लुप्त हुई हैं वहां सभ्यतायें भी लुप्त हुई हैं'

By: Dilip Kumar
5/24/2018 7:05:26 PM
नई दिल्ली

बुलन्दशहर@रविन्द्र कुमार शर्मा । नदियां हमारे सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित करती हैं। उनके लुप्त होने से मानव जीवन तो क्या सम्पूर्ण जीवन लुप्त होने की आशंका उत्पन्न हो जाती है। अतः नदियों विशेषकर गंगा नदी को बचाने के लिए पूरी ईमानदार और संकल्प के साथ प्रयास करने चाहिए। यह विचार आज गंगा दशहरा के अवसर पर वन विभाग एवं जीवन धारा फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में अवन्तिका देवी मन्दिर परिसर में आयोजित गंगा हरितिमा अभियान के अन्तर्गत आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने व्यक्त किये।

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी श्री झा ने कहा कि प्रदेश की वर्तमान सरकार गंगा नदी के संरक्षण और प्रतिष्ठा के लिए बहुत गम्भीर है। वस्तुतः गंगा के प्रति यह संवेदनशीलता समय की आवश्यकता है चंूकि नदियां हमारा जीवन हैं जहां कहीं भी नदियां लुप्त हुई हैं वहां जीवन लुप्त हुआ है और सभ्यतायें भी लुप्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि बहुत सारे जीव जन्तु हैं, जो नदियों का इको सिस्टम नष्ट हो जाने के कारण लुप्त हो गये हैं और इनसे सम्पूर्ण मानव जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

जिलाधिकारी श्री झा ने कहा कि आज इस बात पर बहुत गम्भीरता से विचार करने की आवश्यकता है कि नदियों को कैसे बचाया जाए? श्री झा ने फतेहपुर जनपद की ससुर खदेरी और महोबा के उदाहरण रखते हुए कहा कि अधिकांशतः डार्क जोन वाले इन जनपदों में ’’अपना तालाब’’ जैसे अभियान चला कर तथा नदियों के किनारे बड़े गढढे बनाकर तथा सघन वृक्षारोपण के जिरिये जल स्तर को बढाने और नदियों को बचाने के सफल प्रयास किये गये हैं। जनपद में इस माॅडल को अपनाकर न केवल गंगा नदी को बल्कि अन्य नदियों को भी लुप्त होने से बचाया जा सकता है।

जिलाधिकारी ने कहा कि नदियों के सरक्षण के दो ही तरीके हैं - एक तो यह कि नदी किनारे अधिक से अधिक तालाब/गढढे बनाये जाए दूसरा यह कि ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाये जाए। जिलाधिकारी ने कार्यशाला में उपस्थित जन समुदाय एवं ग्राम प्रधानों का आवाहन करते हुए कहा कि आज इस कार्यशाला को औपचारिकता न समझें और सभी लोग सप्ताह में एक बार गंगा कि स्वयं अपने हाथों से सफाई करने तथा न्यूनतम एक वृक्ष लगाने का संकल्प लें। यदि गंगा के सरक्षण के लिए गम्भीरता व ईमानदारी से काम किया जाये तो इस जीवनदायनी नदी को निश्चित ही लुप्त होने से बचाया जा सकता है।

इससे पूर्व कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्य विकास अधिकारी ईशा दुहन ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमे गंगा नदी के साथ वही व्यवहार करना चाहिए जो हम अपनी मां के साथ करते हैं। गंगा तट पर बसे सभी ग्रामों के ग्राम प्रधानों का दायित्व प्रदूषण रोकना और गंगा के किनारे हरियाली बढ़ाना है और गंगा नदी के प्रति संवेदनशीलता भीतर से आनी चाहिए। कार्यशाला को के0के0शर्मा, हरिओम शर्मा, जीव वैज्ञानिक संदीप शर्मा, राजीव चैधरी एवं जूना अखाड़ा हरिद्वार की साध्वी मुनीश्वरी गिरी द्वारा भी सम्बोधित किया गया। इस अवसर पर जिला वन अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी सहित विभिन्न अधिकारियों द्वारा अपनी विभागीय योजनाओं की जानकारी दी गयी।

कार्यशाला की अध्यक्षता साध्वी मुनीश्वरी गिरी द्वारा की गयी एवं संचालन जीवन धारा फाउण्डेशन के हरिओम शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्राम प्रधान, महिलाए, पत्रकार एवं बुद्धिजीवी उपस्थित थे।


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