क्या तेलंगाना में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी भाजपा?

By: Dilip Kumar
10/5/2018 8:19:13 PM
नई दिल्ली

भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की उसकी रणनीति राज्य में उसे अपनी वास्तविक शक्ति को आंकने का मौका देगी. पार्टी का कहना है कि महाराष्ट्र एवं असम जैसे राज्यों में अपनी प्रगति से प्रेरणा लेते हुए वह अकेले लड़ने की दिशा में आगे बढ़ेगी. भाजपा ने 2014 में तेलंगाना और अविभाजित आंध्र प्रदेश में एन चंद्रबाबू नायडू नीत टीडीपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था.

लेकिन भाजपा ने कुछ सालों बाद तेलंगाना में टीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ लिया था. खुद को तेलंगाना राज्य की पक्षधर बताते हुए सत्ता में आयी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) अक्सर टीडीपी को 'आंध्र पार्टी' बताती है. भाजपा की तेलंगाना इकाई के प्रवक्ता कृष्ण सागर राव ने कहा कि दशकों तक अविभाजित आंध्र प्रदेश और फिर तेलंगाना में 'गठबंधन के बोझ' के चलते पार्टी को अपने ‘कार्यकर्ताओं’ को उम्मीदवार के तौर पर उतारने का मौका नहीं मिल पाया.

राव ने कहा, 'और हमारी असली ताकत कभी सामने नहीं आ पाई और यहां तक कि इन बीते दशकों में पार्टी भी अपनी वास्तविक शक्ति को नहीं आंक सकी.' उन्होंने कहा, 'फिलहाल हम इसे भाजपा के लिए ऐतिहासिक अवसर के तौर पर देख रहे हैं जहां विधानसभा चुनावों में वह अपने कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार के तौर पर उतार सकेगी और यह एक मौका अपने आप में ही हमें संगठन के तौर पर बहुत खुशी देगा कि हम अपने दम पर खड़े हो सकते हैं और लड़ सकते हैं.'

वहीं दूसरी तरफ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने ऐलान किया है कि अगले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ न तो गठबंधन करेगी और न ही उसका समर्थन करेगी. टीआरएस के नेता एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के टी रामा राव ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि क्षेत्रीय पार्टी धर्मनिरपेक्ष है और दोनों पार्टियों के बीच 'बहुत मतभेद हैं.'

कार्यवाहक मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख के.चंद्रशेखर राव के बेटे रामा राव ने राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस, टीडीपी और कुछ अन्य पार्टियों के बीच प्रस्तावित महागठबंधन को 'महा घटिया बंधन' बताया. सोशल मीडिया मंच ट्विटर पर गुरुवार को बातचीत के दौरान उन्होंने यह टिप्पणी की.

रामा राव ने कहा, 'हमारी पार्टी बहुत धर्मनिरपेक्ष है जो समाज के सभी वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलती है. हम सामुदायिक या विभाजित करने वाले अन्य किसी मानदंड के आधार पर ध्रुवीकरण करने में विश्वास नहीं रखते. इसलिए भाजपा के साथ हाथ मिलाने या उसका समर्थन करने का सवाल ही नहीं उठता.'  वह अगले लोकसभा चुनाव में टीआरएस के भाजपा को समर्थन दिए जाने के संबंध में पूछे गए प्रश्न का उत्तर दे रहे थे.

 


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