इलाहाबाद के बाद शिमला का नाम बदलने की चर्चा

By: Dilip Kumar
10/21/2018 12:49:00 PM
नई दिल्ली

बीजेपी सरकार में शहरों के नाम बदलने की होड़ लगने वाली है. उत्तर प्रदेश में मुगलसराय और इलाहाबाद का नाम बदलने के बाद बीजेपी के अन्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कदमों पर चलने की कोशिश कर रहे हैं. हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक अब हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का नाम बदलने की चर्चा है. शिमला का नाम बदले जाने को लेकर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने संकेत दिए हैं. ठाकुर शिमला का नाम बदलकर श्यामला करना चाहते हैं.

शुक्रवार शाम दशहरा मनाने जखु मंदिर पहुंचे सीएम जयराम ठाकुर ने अपने भाषण में कहा कि ब्रिटिश राज से पहले शिमला को श्यामला के नाम से जाना जाता था. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार शिमला का नाम बदलने के संबंध में जनता से राय लेगी. भाजपा नेता एवं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों के पौराणिक आधार पर नाम थे, उन नामों को फिर रखने में कोई बुराई नहीं है .शिमला का नाम श्यामला करने को लेकर जारी बहस के बारे में उन्होंने कहा कि इसके बारे में अगर लोगों की राय बनती है, तब इस पर विचार करने में कोई बुराई नहीं है . 

उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से शिमला का नाम बदलने को लेकर अलग अलग पक्ष सामने आ रहे हैं. कुछ लोग इसके पक्ष में हैं तो कुछ विरोध भी कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरभजन सिंह भज्जी ने शिमला का नाम बदलने की कवायद पर सवाल उठाते हुए पूछा, ‘ इसका औचित्य क्या है ?’ उन्होंने कहा कि शिमला का नाम बिल्कुल नहीं बदला जाना चाहिए . यह ऐतिहासिक शहर है और ऐसे नाम बदलने से तो ऐतिहासिक चीजें खत्म हो जायेंगी .

भज्जी ने कहा कि शिमला नाम में क्या बुराई है ? नाम बदलने से क्या विकास हो जायेगा ? नाम बदलने की कवायद छोड़कर सरकार विकास पर ध्यान दे . विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी अमन पुरी के अनुसार, श्यामला को शिमला किया गया, क्योंकि अंग्रेज श्यामला नहीं बोल पाते थे. उन्होंने इसका नाम ‘सिमला’ कर दिया, जो बाद में शिमला हो गया . अंग्रेजों ने 1864 में इस शहर को बसाया था. अंग्रेजों के शासनकाल में शिमला ब्रिटिश साम्राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी . सन् 1947 में आजादी मिलने तक शिमला का यही दर्जा रहा. शिमला को बसाए जाने में सी. प्रैट कैनेडी की अहम भूमिका रही. कैनेडी को अंग्रेजों ने पहाड़ी रियासतों का पॉलिटिकल ऑफिसर नियुक्त किया था. सन 1822 में उन्होंने यहां पहला घर बनाया जिसे ‘कैनेडी हाउस’ के नाम से जाना गया.


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