सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर नहीं था 'फर्जी'

By: Dilip Kumar
12/21/2018 8:00:44 PM
नई दिल्ली

सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। स्पेशल सीबीआइ जज ने अपने आदेश में कहा कि साजिश और हत्या साबित करने के लिए मौजूद सभी गवाह और प्रमाण संतोषजनक नहीं हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि परिस्थिति संबंधी साक्ष्य भी पर्याप्त नहीं है। स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने कहा कि सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति की हत्या एक साजिश के तहत हुई, यह बात सच नहीं है। सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है।

सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले में लगभग 13 साल बाद फैसला आ गया है। साल 2005 के इस मामले में 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे थे, जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं। यहां की एक विशेष सीबीआई अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही है।
इस मामले पर विशेष निगाह इसलिए भी रही है, क्योंकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आरोपियों में शामिल थे। हालांकि, उन्हें 2014 में आरोप मुक्त कर दिया गया था। शाह इन घटनाओं के वक्त गुजरात के गृह मंत्री थे। बता दें कि मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए। इस महीने की शुरुआत में आखिरी दलीलें पूरी किए जाने के बाद सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने कहा था कि वे 21 दिसंबर को फैसला सुनाएंगे।

कोर्ट ने सीबीआई के आरोपपत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया था। इनमें अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पीसी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा शामिल हैं। सीबीआइ के मुताबिक, आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगेस्टर सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की दरम्यानी रात में हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे।

गुजरात एटीएस और राजस्थान एसटीएफ ने अहमदाबाद के नजदीक एक एनकाउंटर में मध्य प्रदेश के अपराधी सोहराबुद्दीन शेख को मार गिराया था। इसके कुछ सालों बाद सोहराबुद्दीन के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को भी एक मुठभेड़ में मार गिराया गया था। 2010 से इस मामले की जांच सीबीआई कर रहा था।

 


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