जननी अम्मा के नाम से विख्यात पद्मश्री नरसम्मा का निधन

By: Dilip Kumar
12/25/2018 8:06:19 PM
नई दिल्ली

कर्नाटक की 98 वर्षीय कृषि मजदूर सुलगत्ती नरसम्मा ने बिना चिकित्सकीय सुविधा के 15000 से ज्यादा प्रसव कराए. उन्हें इस उल्लेखनीय कार्य के लिए पद्मश्री से नवाजा गया. कहा जाता है कि गर्भवती महिलाओं का पेट छूकर वह गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य जान लेती थीं.  जननी अम्मा के नाम विख्यात कर्नाटक की कृषि मजदूर, पद्मश्री सुलगत्ती नरसम्मा का 98 वर्ष की आयु में बेंगलूरू में निधन हो गया. समाज के गुमनाम नायकों में से एक सुलगत्ती नरसम्मा को इसी वर्ष राष्ट्रपति ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था. उन्होंने बगैर किसी मेडिकल सुविधा के कर्नाटक के पिछड़े क्षेत्रों में प्रसव सहायिका के तौर पर सेवाएं दी और 15000 से ज्यादा निशुल्क प्रसव कराए. समाज में उनके योगदान के लिए टुमकुर विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी थी.

पदमश्री सुलगत्ती नरसम्मा सांस की लंबी बीमारी के चलते 29 नवंबर से बेंगलूरू के बीजीएस अस्पाल में भर्ती थीं और पिछले पांच दिनों से वेंटिलेटर पर थीं. अल्पताल प्रशासन के मुताबिब उन्होंने मंगलवार को 3 बजे अंतिम सांस ली. नरसम्मा के परिवार में चार बेटे, तीन बेटियां और 36 पौत्र और प्रपौत्र हैं. मौत की खबर सुनते ही पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अस्पताल पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजली दी.

कर्नाटक के टुमकुर जिले के कृष्णापुरा गांव की रहने वाली सुलगत्ती नरसम्मा एक निरक्षर कृषि मजदूर थीं. लेकिन पिछड़े इलाकों में प्रसव सहायिका के तौर पर उन्होंने बिना किसी चिकित्सकीय व्यवस्था के निशुल्क प्रसव कराने का उल्लेखनीय कार्य करते हुए एक नजीर पेश की. उनके इसी काम को देखते हुए उन्हें जननी अम्मा कहा जाने लगा. सुलगत्ती नरसम्मा के बारे में कहा जाता था कि वे गर्भ में पल रहे बच्चे की नब्ज चेक कर सकती थीं. कर्नाटक के जिन गावों में उन्होंने सेवा दी थी उन लोगों का मानना था कि वे पेट छूकर गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य का हाल जान लेती थीं.


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