कामधेनू गौशाला में भागवत कथा का छठा दिन : बाल कलाकारों ने श्रद्धालुओं का मन मोहा

By: Dilip Kumar
11/20/2018 9:53:06 PM
नई दिल्ली

गुरुग्राम@ कामधेनु गौशाला कामधेनु गौशाला में श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कथावाचक आचार्य श्री कृष्ण मुरारी जी ने कहा कि हमें भगवान श्री कृष्ण के दिखाए हुए मार्ग पर चलना चाहिए। आज भगवान श्री कृष्ण के ऊपर जो छोटे-छोटे कलाकारों ने रूपांतर पेश किया वह श्रीमद् भागवत गीता में गीता में लिखा है कि जो व्यक्ति भगवान का हो गया वह सब कष्टों से दूर हो गया। जिसने भागवत में आकर सेवा की वह मोक्ष को प्राप्त हो गया। श्रीमद् भागवत सुनने मात्र से ही कष्ट दूर हो जाते हैं। जीवन सत्य की राह पर चलता है हमें अपने जीवन को एक आदर्श के रूप में समाज को समर्पित करना चाहिए।

आचार्य श्रीकृष्ण मुरारी ने आगे कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की पहचान उसकी योग्यता उसकी वाणी पर निर्भर करती है। हमारा शरीर भी वैसा ही है जैसा हम चाहते हैं। हम इसको अच्छा और निरोगी बनाएंगें तो उतना ही अच्छा होगा। आचार्य श्री कृष्ण मुरारी जी ने कहा कि गौ माता की सेवा सर्वोपरि है। जिसने गौ माता की सेवा की उसने एक तरह से तीर्थ कर लिया। हमारी संस्कृति का प्रतीक गाय माता है। गाय हमारे वास्तु दोष को दूर करती है। इसके साथ-साथ हमें अपनी धरोहर अपनी माता-पिता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। उनकी पूजा करनी चाहिए और उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलना चाहिए। उनके अलावा संसार में कुछ भी नहीं है। जिसने माता-पिता की सेवा की उसने भी मोक्ष की प्राप्ति की है। जिसने माता-पिता का अपमान किया है।

वह भी क्षमा के लायक नहीं है, लेकिन आज इस श्रीमद् भागवत गीता के माध्यम से श्री कृष्ण जी ने जब कुरुक्षेत्र में युद्ध चल रहा था तो अर्जुन को एक संदेश दिया था। आज ना कोई तेरा भाई है, ना कोई तेरा परिवार का है। आज यह लड़ाई तुझे एक अच्छाई के लिए लडऩी है। विजय के लिए लडऩी है सत्य के लिए लडऩी है। सत्य की खोज में बड़े बड़े लोग कहां से कहां तक चले गए, लेकिन सत्य की खोज वह नहीं कर पाए। सत्य की खोज केवल मन के अंदर होती है। जिस व्यक्ति ने मन के अंदर दृढ़ निश्चय ले लिया है कि मुझे यह करना है वह करेगा हमें आलोचकों से बचना चाहिए बुराई से बचना चाहिए निंदा से बचना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में उपदेश दिया आज हमें में अपने जीवन में लागू करना चाहिए उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलना चाहिए सत्य पर चलना चाहिए। हमें उन के दिखाए हुए रास्ते पर चलना चाहिए हमें अपनी वाणी पर विराम लगाना चाहिए। हमें औरतों की इज्जत करनी चाहिए औरत ही लक्ष्मी का रूप होती है जिस घर में औरत दुखी होती है वहां तरक्की नहीं होती इसलिए हमें अपनी बहन बेटी औरत की इज्जत करनी चाहिए। किसी भी शास्त्र में कहीं भी नहीं लिखा कि हमें इस पर अत्याचार करना चाहिए हर जगह लिखा मिलेगा कि हमें उनका आदर करना चाहिए। उनके आशीर्वाद से ही हर प्रकार की बीमारियों से निजात मिलती है और व्यक्ति विशेष अलग से निखर कर आता है।


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