नहीं रहीं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, 81 साल की उम्र में निधन

By: Dilip Kumar
7/20/2019 5:12:13 PM
नई दिल्ली

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित का निधन हो गया है। बताया जा रहा है कि शीला दीक्षित काफी समय से बीमार चल रही थीं और तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आज दोपहर दिल्ली के एस्कॉर्ट्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। शीला दीक्षित 81 वर्ष की थीं और वर्तमान में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का पद संभाल रहीं थी। शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। वो लगातार 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं थी और 2014 में उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया था। हालांकि कुछ समय बाद ही उन्होंने राज्यपाल के पद से इस्तीफा देकर दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हो गईं थी।

उनके निधन के बारे में जानकारी देते हुए एस्कॉर्ट हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. अशोक सेठ ने बताया, 'अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम उनकी हालत पर लगातार नजर बनाए हुए थी। दोपहर 3:15 बजे उन्हें फिर से दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। दोपहर को 3 बजकर 55 मिनट पर उनका निधन हो गया।' हाल ही में 2019 के लोकसभा चुनाव में वो दिल्ली की उत्‍तर-पूर्व दिल्‍ली सीट से चुनाव लड़ीं थी। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

शीला दीक्षित के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शोक जाहिर किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'शीला दीक्षित जी के निधन से गहरा दुख हुआ। एक ऊर्जावान और मिलनसार व्यक्तित्व के साथ उन्होंने दिल्ली के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।' वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा, 'दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और एक वरिष्ठ राजनीतिक हस्ती श्रीमती शीला दीक्षित के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। सीएम रहते हुए उनका कार्यकाल राजधानी के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तन का काल था, जिसके लिए उन्हें याद किया जाएगा। उनके परिवार और सहयोगियों के प्रति संवेदना।'

कांग्रेस पार्टी की तरफ से उनके निधन पर दुख जाहिर करते हुए कहा गया है, 'शीला दीक्षित के निधन की खबर सुनकर हम दुखी हैं। आजीवन कांग्रेस की सदस्य और तीन बार मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने विकास के मामले में दिल्ली का चेहरा बदल दिया था। उनके परिवार और मित्रों के प्रति हमारी संवेदना। दुख के इस भारी समय में ईश्वर उन्हें सहने की शक्ति दे।'

वहीं पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'मैं कांग्रेस पार्टी की एक प्यारी बेटी शीला दीक्षित जी के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुखी और निराश हूं, जिनके साथ मैंने एक करीबी व्यक्तिगत संबंध महसूस किया। इस दुख की घड़ी में मैं उनके परिवार और दिल्ली के नागरिकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं, जिन्हें उन्होंने निस्वार्थ भाव से तीन बार सीएम रहते हुए अपनी सेवाएं दी।'दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने उनके निधन पर दुख जाहिर करते हुए कहा, 'अभी अभी शीला दीक्षित जी के निधन के बारे में बेहद दुखद खबर का पता चला।

यह दिल्ली के लिए बहुत बड़ी क्षति है और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी संवेदना। उनकी आत्मा को भगवान शांति दे।' हाल ही में शीला दीक्षित ने एक बड़ा फैसला लेते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी में तीन कार्यकारी अध्यक्षों को नई जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसे लेकर पार्टी में विवाद भी हुआ था। उनके इस फैसले को लेकर दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको ने आपत्ति दर्ज कराई थी।

शीला दीक्षित का एक परिचय

शीला दीक्षित का जीवन कई राज्यों में बीता. उनका जन्म पंजाब के कपूरथला में 31 मार्च 1938 को हुआ था. लेकिन उनकी पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में हुई. दिल्ली के जीसस एंड मैरी स्कूल से उन्होंने शुरुआती शिक्षा ली. इसके बाद मिरांडा हाउस से उन्होंने मास्टर्स ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की. शीला दीक्षित युवावस्था से ही राजनीति में रुचि लेने लगी थीं. उनकी शादी उन्नाव के रहने वाले कांग्रेस नेता उमाशंकर दीक्षित के आईएएस बेटे विनोद दीक्षित से हुई. विनोद से उनकी मुलाकात दिल्ली यूनिवर्सिटी में इतिहास की पढ़ाई करने के दौरान हुई थी. उन्हें 'यूपी की बहू' भी कहा जाता है.

शीला दीक्षित ने राजनीति के गुर अपने ससुर से सीखे थे. उमाशंकर दीक्षित कानपुर कांग्रेस में सचिव थे. पार्टी में धीरे-धीरे उनकी सक्रियता बढ़ती गई और वे पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू के करीबियों में शामिल हो गए. जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहीं तो उमाशंकर दीक्षित देश के गृहमंत्री थे. ससुर के साथ-साथ शीला भी राजनीति में उतर गईं. एक रोज ट्रेन में सफर के दौरान उनके पति की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. 1991 में ससुर की मौत के बाद शीला ने उनकी विरासत को पूरी तरह संभाल लिया.उनके दो बच्चे संदीप और लतिका हैं.

शीला दीक्षित जल्द ही गांधी परिवार के भरोसेमंद साथियों में शुमार हो गईं. इसका उन्हें इनाम भी मिला. वह 1984 में कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ीं और संसद पहुंच गईं. राजीव गांधी कैबिनेट में उन्हें संसदीय कार्यमंत्री के रूप में जगह मिली. बाद में वह प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री भी बनीं. राजीव गांधी के निधन के बाद सोनिया गांधी ने भी उनके ऊपर पूरा भरोसा जताया. 1998 में उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का चीफ बनाया गया. तब भी कांग्रेस की हालत बेहद पतली थी. कांग्रेस के टिकट पर वह पूर्वी दिल्ली से चुनाव मैदान में उतरीं, लेकिन बीजेपी के लाल बिहारी तिवारी ने उन्हें शिकस्त दी. बाद में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में उन्होंने जोरदार जीत हासिल की और वह मुख्यमंत्री बन गईं.

2013 में उन्हें आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के हाथों शिकस्त मिली. हार के बाद वे राजनीति में एक तरह से दरकिनार कर दी गईं. बाद में उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया. लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और दिल्ली लौट आईं. इसके बाद उन्होंने दमदार वापसी की और पूर्व कांग्रेस चीफ राहुल गांधी ने भरोसा जताते हुए उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी. 2019 लोकसभा चुनावों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चाहते थे कि कांग्रेस और आप का गठबंधन हो जाए. लेकिन शीला दीक्षित ने इसका खुलकर विरोध किया और आखिरकार उनकी ही मानी गई.


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