तेजस ने विमानवाहक पोत से टेकऑफ और लैंडिंग का परीक्षण एक ही उड़ान में पास किया

By: Dilip Kumar
10/1/2019 6:07:48 PM
नई दिल्ली

स्वदेश में बने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) प्रोटोटाइप-2 यानी तेजस ने टेकऑफ और लैंडिंग का अहम परीक्षण पास कर लिया। तेजस ने विमानवाहक पोत से सभी तकनीक संबंधी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए। अधिकािरयों के मुताबिक, पहले तेजस ने यह परीक्षण अलग-अलग किए थे, लेकिन सोमवार को फाइटर जेट ने एक ही उड़ान में दोनों टेस्ट पास किए। परीक्षण गोवा में आईएनएनस हंसा पर किया गया था, यहां खासतौर पर बनाए गए स्कीजंप प्लेटफॉर्म पर विमान टेकऑफ और लैंडिंग की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ, एडीए, एचएएल और भारतीय नौसेना को बधाई दी है। रक्षा विभाग के सचिव, अनुसंधान एवं विकास तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश ने भी डीआरडीओ, एडीए, एचएएल और भारतीय नौसेना को बधाई दी है।

तेजस ने 13 सितंबर को नौसेना में शामिल होने के लिए एक बड़ा परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया था। डीआरडीओ और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के अधिकारियों ने गोवा की तटीय टेस्ट फैसिलिटी में तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग कराई थी। तेजस यह मुकाम पाने वाला देश का पहला एयरक्राफ्ट बन गया था। इस लड़ाकू विमान को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ने डिजाइन और विकसित किया। तेजस भारतीय वायुसेना की 45वीं स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग ड्रैगर्स’ का हिस्सा है।

नौसेना में शामिल किए जाने विमानों के लिए दो चीजें सबसे जरूरी होती हैं। इनमें एक है उनका हल्कापन और दूसरा अरेस्टेड लैंडिंग। कई मौकों पर नेवी के विमानों को युद्धपोत पर लैंड करना होता है। चूंकि, युद्धपोत एक निश्चित भार ही उठा सकता है, इसलिए विमानों का हल्का होना जरूरी है। इसके अलावा आमतौर पर युद्धपोत पर बने रनवे की लंबाई निश्चित होती है। ऐसे में फाइटर प्लेन्स को लैंडिंग के दौरान रफ्तार कम करते हुए, छोटे रनवे में जल्दी रुकना पड़ता है। यहां पर फाइटर प्लेन्स को रोकने में अरेस्टेड लैंडिंग काम आती है।


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