हंदवाड़ा एनकाउंटर / बुलंदशहर के रहने वाले थे कर्नल आशुतोष

By: Dilip Kumar
5/3/2020 6:04:42 PM
नई दिल्ली

जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में शनिवार हुए एनकाउंटर में सेना की 21 राष्ट्रीय रायफल्स (आरआर) के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा समेत पांच जवान शहीद हो गए। कर्नल आशुतोष उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के परवाना गांव के रहने वाले थे। उन्हें वीरता के लिए दो बार सेना मेडल भी मिल चुका है। तकरीबन 8 साल पहले अपने बड़े भाई की नौकरी के चलते मां, भाई-भाभी व पत्नी-बच्चों सहित जयपुर शिफ्ट हो गए थे। गांव में चाचा का परिवार रहता है। बचपन से ही उनका सेना में जाने का सपना था। फौजियों की कहानियां बड़े बुजुर्गों से सुनते रहते थे। शहादत की खबर मिलते ही उनके रिश्तेदार जयपुर रवाना हुए हैं। 

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फौजियों की कहानियां बड़े बूढ़ों से खूब सुनते थे आशुतोष

कोरोना संकट के बीच रविवार सुबह सेना के जवान कोरोना वॉरियर्स का हौसला बढ़ा रहे थे, तभी हंदवाड़ा से आरआर रायफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा के शहादत की खबर उनके पैतृक गांव परवाना पहुंची। इससे पूरा गांव में शोक में डूब गया। फोन पर चचेरे भाई सोनू पाठक ने कहा- भैया आशुतोष बचपन से ही सेना में जाने की सोच रहे थे। हमेशा देशभक्ति फिल्में देखना और गाने सुनना उन्हें पसंद था। फौजियों की कहानियां बड़े बूढ़ों से खूब सुनते।

इंटरमीडिएट तक गांव में हुई पढ़ाई

बुलंदशहर के डीएवी कॉलेज से उनकी इंटरमीडिएट तक पढ़ाई हुई और वह सीडीएस की तैयारी करते रहे और सेलेक्ट हो गए। हमारे पूरे खानदान में सिर्फ दो फौजी ही हुए हैं। जिसमें एक भैया (आशुतोष) हैं, और एक और रिश्तेदार हैं जो कोस्टगार्ड में डीआईजी के पद पर तैनात हैं। सोनू कहते हैं कि, चाची की मौत होने पर भैया तकरीबन 3 साल पहले गांव आए थे। भले ही परिवार जयपुर शिफ्ट हो गया हो, लेकिन माता जी अभी भी आती जाती हैं। दरअसल, खेती बाड़ी अभी गांव पर है तो उसकी देखरेख के लिए आना जाना होता रहता है। सोनू पाठक ने बताया कि, भाई की ससुराल जयपुर में ही है। भाभी पल्लवी का आर्मी बैकग्राउंड है। उनकी शादी गायत्री परिवार रीति रिवाज से देहरादून में हुई थी। उनकी दस साल की बेटी कुहू है। बता दें कि, शहादत के बाद सेना ने पल्लवी को उनकी ससुराल भेज दिया है।

दो बार मिल चुका था सेना मेडल

कर्नल आशुतोष शर्मा की वीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, उन्हें दो बार सेना मेडल मिल चुका था। बताया जाता है कि, एक बार कश्मीर में सेना के जवान सड़क पर तैनात थे। एक आतंकी कश्मीरी फिरन पहने उनकी ओर बढ़ रहा था। कर्नल आशुतोष की पैनी नजर उस आतंकी पर पड़ी और उन्होंने नजदीक जाकर यानी प्वाइंट ब्लैंक रेंज से उसे गोली मार दी। कर्नल आशुतोष ने तब ऐसा कर वहां तैनात अपने और जम्मू कश्मीर पुलिस के कई जवानों की जान बचा ली थी। वे तकरीबन ढाई साल से 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे। कमांडिंग ऑफिसर रहते ही उन्हें पिछले साल इस जांबाजी के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। इससे पहले भी उन्हें एक बार और सेना मेडल दिया जा चुका है।

दरअसल, हंदवाड़ा के जंगली इलाकों से 3 किमी दूर छाजीमुल्लाह गांव के एक घर में कुछ आतंकियों ने लोगों को बंधक बना लिया था। सुरक्षाबलों ने बंधकों को छुड़वाने के लिए ऑपरेशन शुरू किया। टीम का नेतृत्व 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिग ऑफिसर आशुतोष शर्मा खुद कर रहे थे। उनके साथ एक मेजर और जम्मू-कश्मीर के पुलिस जवानों को मिलाकर 5 लोगों की टीम थी। जब जवान घर के भीतर गए तो आतंकी पास में बने गाय के बाड़े में छिपे थे। सुरक्षाबलों ने घर से लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। तभी आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। इस बीच सुरक्षाबलों से कोई भी खबर आनी बंद हो गई। कई घंटे तक सुरक्षाबलों से संपर्क कटा रहा। माना जा रहा है कि आतंकियों ने सुरक्षाबलों की कम्युनिकेशन डिवाइस ले ली थी। पूरी रात बारिश भी होती रही। रविवार सुबह 7 बजे के आसपास फायरिंग रुकी। इसके बाद सेना ने घर की छानबीन की। तब पता चला कि सेना की कार्रवाई में दो आतंकी मारे गए, लेकिन इस दौरान कर्नल आशुतोष शर्मा समेत 5 जवान शहीद भी हो गए।




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