धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही जिंदगी,गुजरात में खुले कारखाने
By: Dilip Kumar
5/26/2020 2:01:27 PM
लॉकडाउन-4 में गुजरात सरकार और सूरत प्रशासन ने कंटेनमेंट एरिया को छोडकऱ अन्य जॉन में मिल कारखाने शुरू करने की छूट दी है। इसके चलते सभी कारखानों के मालिक धीरे-धीरे अपना यूनिट शुरू करने के प्रयास में जुट गए हैं। शहर के सचिन जीआईडीसी, अंजनी इंडस्ट्रियल एस्टेट, पांडेसरा आदि कई क्षेत्रों में टेक्सटाइल्स कारखाने शुरू हो गए हैं। इसके चलते बीते सप्ताह शहर के प्रोसेसिंग मिल के संचालकों की मीटिंग हुई थी। मीटिंग में प्रोसेसिंग यूनिट को भी चालू करने के लिए चर्चा हुई। कुछ उद्यमियों का कहना था कि बड़ी संख्या में श्रमिक पलायन कर गए हैं।
जॉबवर्क भी ज्यादा नहीं है। ऐसे में यूनिट किस तरह शुरू कर पाएंगे। लेकिन ज्यादातर उद्यमियों का मानना था कि यदि यूनिट शुरू नहीं किए तो, रहे श्रमिक भी अपने वतन चले जाएंगे और कारखाने शुरू करने में दिक्कत होगी। शहर के पांडेसरा, सचिन, कडोदरा, जोलवा सहित अन्य क्षेत्रों में लगभग 325 मिलें है जो कि 2 महीने से बंद है। सोमवार को यूनिट हुए लेकिन कारखानों में श्रमिकों की समस्या की समस्या तथा अन्य कई कारणों से उत्पादन ज्यादा नहीं हो सकेगा। इसके बावजूद प्रोसेसिंग यूनिट संचालकों में 40 प्रतिशत श्रमिकों के साथ यूनिट शुरू कर दिए हैं। इस सिलसिले में संचालकों ने कमिश्नर और कलेक्टर को जानकारी दे दी है।
कफ्र्यू के दौरान भी खुले रहेंगे कारख़ाने
मिली जानकारी के अनुसार शाम के 7:00 बजे से सुबह 7:00 बजे तक करफ्यू घोषित किया गया है। इसलिए कारखाना मालिकों ने श्रमिकों को शाम के 7:00 बजे के पहले ही मिल में आज आने को कहा है। साथ ही कफ्र्यू के समय से बाहर नहीं निकले इसके लिए भी सूचना दे दी है। अभी तक यूनिट 24 घंटे चलते थे। इसलिए शाम 6:00 बजे ही मिल में आ जाते थे। सबेरे 7:00 बजे के पहले ही छोड़ दिए जाएंगे।श्रमिकों को सोशल डिस्टेंस का पालन करना पड़ेगा। संचालकों को उनके लिए सैनेटाइजर तथा मास्क की व्यवस्था करनी पड़ेगी।
कपड़ा बाज़ार खुले बिना लाभ नही
कपड़ा उद्यमियों का मानना है के जब तक कपड़े दुकानें नहीं खुलेंगी तब तक यूनिट शुरू करने का कोई लाभ नहीं है।जिन मिल मालिकों के पास जॉब के लिए माल गया था वह अभी तक उनके स्टाॉक में पड़ा है। जब तक व्यापारियों का माल नहीं बिकेगा तब तक नया नहीं बनाएंगे। इसलिए यदि अभी प्रोसेसिंग यूनिट शूरू भी हो जाते हैं तो, इसका कोई लाभ नहीं दिख रहा है। बड़ी संख्या में उद्यमियों का कहना है कि जब तक मार्केट नहीं खुले तब तक डाइंग यूनिट खोलने से भी विशेष लाभ नहीं होगा।
सभी घटक खुले तो बात बनें
कुछ कपड़ा उद्यमियों का मानना है कि जब तक कपड़ा उद्योग से जुड़े सभी घटक नहीं शुरू हो जाते तब तक पूरे इंडस्ट्री को बंद ही मानना चाहिए। जैसे कि वीवर, व्यापारी, प्रोसेसिंग,यार्न व्यापारी आदि सभी एक दूसरे से जुड़े हुए घटक है। जब तक सभी घटक एक साथ नहीं शुरू होंगे तब तक कोई लाभ नहीं होगा। शहर में 170 कपड़ा मार्केट में मार्केट में 12 ही शुरू हो सकी है। इसके अलावा श्रमिकों की भयंकर समस्या है। ऐसे में सिर्फ डाइंग यूनिट से लाभ नहीं होगा। जब तक व्यापारी दुकान नहीं खोलेंगे तब तक माल नहीं बिकेगा।
1 जनवरी तक शुरू होंगे यूनिट
साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर एसोसिएशन के प्रमुख जीतू वखारिया ने मीडिया को बताया कि फिलहाल कपड़ा बाजार बंद है। प्रोसेसर के पास जितना जॉबवर्क है इसके अनुसार धीरे-धीरे यूनिट शुरू करने के लिए प्रयास किया जा रहा है। आगामी 1 जून तक शुरू हो जाने की उम्मीद है।
श्रमिकों की समस्या गंभीर
कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि भले लूम्स और विभिन्न उद्योग शुरू हो रहे हैं लेकिन लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में श्रमिक पलायन कर चुके हैं। सूरत में से अब तक 1000000 से अधिक श्रमिक अपने गांव जा चुके हैं। इसलिए आने वाले दिनों में श्रमिकों की संख्या उद्यमियों को परेशान कर सकती है। अभी भी श्रमिकों का पलायन जारी है। परिस्थिति को देखते हुए आशंका है कि आने वाले दिनों में श्रमिकों की कमी के कारण यूनिट बंद करने पड़ सकते हैं।