कोरोना से राहत मिली तो एटा में पहुंच गया चिकन पॉक्स

By: Dilip Kumar
3/27/2022 7:04:56 PM

एटा (डॉ. रामबाबू उपाध्याय)। कोरोना से राहत मिली तो एटा के कई गांवों में गर्मी से पहले ही चिकन पॉक्स फैलने लगा है। अस्पतालों में इन दिनों चिकन पॉक्स के रोगी बढऩे लगे हैं। एटा शहर के शांतिनगर,वनगांव, प्रेमनगर, भगीपुर,नयी बस्ती और आसपास के गांवों में छह से 10 साल तक के कई बच्चे चिकन पॉक्स से संक्रमित मिले हैं। चिकन पॉक्स बीमारी लगातार पांव पसार रही है जिसके उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास दवा नहीं है । इस बीमारी से पीडि़त रोगी दवा लेने होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जाता है तो डॉक्टर सावधानी बरतने के लिए मरीजों व उनके परिवार वालों को सलाह दे कर विदा कर देते हैं।

इस खतरनाक बीमारी का उपचार आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाइयों से किया जाता है परंतु जिले के आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक मेडिसिन स्वास्थ्य विभाग के सेंटरों पर न मिलने के कारण मरीज परेशान हैं। होम्योपैथिक डॉक्टर आरपी सिंह का कहना कि फरवरी माह में स्टोर में आग लगने से दवाएं जलकर राख हो गयी थी। इस संबंध में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी उमेश कुमार त्रिपाठी एटा से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि मेरे संज्ञान में नहीं है। यदि चिकनपॉक्स के मरीज है तो दवा उपलब्ध करा दीं जाएगी। देखना यह कि मुख्य चिकत्सा अधिकारी कब तक दवा उपलब्ध करा पाएंगे। जिला अस्पताल में रोजाना बच्चों को लेकर माता -पिता पहुंच रहे है।

गौरतलब है कि आमतौर पर तेज गर्मी में यह बीमारी पनपती है। यह संक्रामक रोग है जो एक से दूसरे में फैल जाता है। शिशु रोग विशेषज्ञों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चों में चिकनपॉक्स फैल रहा है। शुरुआत में त्वचा पर लाल रंग के दाने निकलते हैं। यह संक्रामक रोग है जो एक से दूसरे में फैल जाता है। जिन बच्चों की माताओं को बचपन में यह बीमारी नहीं हुई है उन्हें बच्चों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। बच्चों को आइसोलेट कर मास्क लगाकर रहना चाहिए। सावधानी बरतने से संक्रमण को रोका जा सकता है। विशेषज्ञों ने बताया कि यह बीमारी छींकने, खांसने, संपर्क में आने से फैलती है। इसके प्रमुख लक्षण बुखार के साथ शरीर पर छोटे दाने दिखाई देना है। यह लक्षण दिखाई देने पर बच्चे को स्कूल नहीं भेजकर आईसोलेट करना चाहिए।

चिकन पाक्स: चिकन पाक्स का दूसरा रूप है यह। आमतौर पर यह जानलेवा नहीं होता। तेज बुखार, सिर दर्द, आंख, कान से पानी बहना और शरीर में पानी भरे दाना निकलना इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं। इससे बचाव का मुख्य उपाय टीकाकरण है। पंद्रह माह से ऊपर के बच्चों को इसके टीके लगवाना जरुरी होता है।

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मिजिल्स : चिकन पाक्स का तीसरा प्रकार मिजिल्स है। इसे छोटी माता कहते हैं। इसका प्रकोप बच्चों में अधिक होता है। तीन-चार दिन तक तेज बुखार आने के बाद पूरे शरीर में छोटे-छोटे दाने निकल जाते हैं। आंखें लाल होने के साथ ही पानी भी निकलने लगता है। कुपोषित बच्चे इससे अधिक प्रभावित होते हैं। ऐसे बच्चे निमोनिया, कान बहना और डायरिया की गिरफ्त में आ जाते हैं। इन बच्चों में टीबी के कीटाणु अधिक प्रभावित करते हैं।
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चिकन पाक्स को भारत में क्यों कहते हैं 'माता'? काफी रोचक है इसका कारण

भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देशों में कई प्रकार के अंधविश्वास फैले हुए है। अंधविश्वास से जुड़ी ये मान्यताएं सालों पहले से चली आ रही हैं जिनकी हकीकत किसो को नहीं पता। भारत में हजारों ऐसी मान्यताएं हैं जिसके पीछे का कारण कोई नहीं जानता। मान्यताएं ही नहीं, बीमारियां भी हैं जिसे लोग अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं। ऐसी ही एक बीमारी है चिकन पॉक्स या चेचक। इंडिया में चिकन पॉक्स को माता कहा जाता है मगर इसके पीछे का कारण बहुत कम लोग जानते हैं।

क्यों कहा जाता है माता?

अब सवाल ये उठता है कि जब ये पूरी तरह वायरस से फैलने वाली बीमारी है तो इसे भगवान का रूप क्यों बताया गया है. दरअसल, चेचक को शीतला माता से जोड़ा जाता है। शीतला माता को दुर्गा का ही रूप माना गया है और उन्हें बीमारियों हर लेने वाली देवी के तौर पर जाना जाता है। शीतला माता के एक हाथ में झाड़ू है और दूसरे में पवित्र जल का पात्र है। झाड़ू से वो इंसानों को सजा देने के लिए बीमारियां देती हैं और पवित्र जल से बीमारियों का नाश कर देती हैं।

एक असुर से जुड़ा है किस्सा

शास्त्रों के अनुसार, ज्वारासुर नाम का एक असुर हुआ करता था बच्चों को तेज बुखार देकर मार देता था। तब माता कात्यायनी ने शीतला माता का रूप लिया और बच्चों के शरीर में प्रवेश कर गईं। उनके प्रवेश करते ही शरीर पर चकत्ते आ गए और अंदर से उन्होंने बच्चों को ठीक किया। तब से माना जाता है कि चिकन पॉक्स होने पर माता इंसान के शरीर में खुद प्रवेश कर जाती हैं और अंदर से ठीक करती हैं।


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