“यदि विश्व साहित्य है, तो भारत कहानी है”

By: Dilip Kumar
7/11/2025 11:53:01 PM
नई दिल्ली

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् एवं हिन्दी अकादमी, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में परिवार केंद्रित कहानी विषयक संगोष्ठी एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन गुरुवार को मालवीय स्मृति भवन, नई दिल्ली में संपन्न हुआ। मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मनोज कुमार ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज दुनिया में सर्वाधिक पढ़ी जानेवाली पुस्तकों में रामायण एवं महाभारत अग्रगण्य हैं। इनमें जीवन-मूल्य स्थापित हैं। लेखक दुनिया की सारी भाषाओं में लिखें। नई शैली में लिखें। उन्होंने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी कहानी है-महाभारत। यह पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है। मानवता के हित में भारत के विमर्श को विश्व तक पहुंचाना यह साहित्य का उद्देश्य है। जैसे परिवार जोड़ने का काम करता है, वैसे ही भारत विश्व के देशों को जोड़ता है। यदि विश्व साहित्य है, तो भारत कहानी है यानी कहानी का पर्याय है भारत। कहानी की विधा स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ भारतीय जीवन मूल्यों, भावनाओं, संवेदनाओं, चिंतन एवं विचारों की संवाहक भी है।

विशिष्ट वक्ता के नाते इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. विनोद बब्बर ने कहा कि परिवार भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। यह भारतीय संस्कृति को जीवंत रखने का सशक्त माध्यम है। व्यक्तियों में प्रेम, सहिष्णुता, सद्गुण, संस्कार और नैतिकता का समावेश परिवार से ही होता है। आज के दौर में टूटता परिवार कष्ट का विषय है।अपने वक्तव्य में प्रदेश मंत्री राकेश कुमार ने कहा कि कहानी प्रतियोगिता आरंभ होने के पहले यह संशय था कि बाल कहानीकारों की कहानियां काफी कम संख्या में प्राप्त होंगी क्योंकि ऐसी धारणा बन गई है कि स्मार्ट फोन में सिमटा आज का बालक रील का एक्सपर्ट हो चुका है, लेखन में उसकी रुचि नहीं है किंतु प्रतियोगिता के दौरान भ्रम टूट गया। बाल कहानीकारों की कहानियां अच्छी संख्या में प्राप्त हुईं जो कथा शिल्प, संवाद और कथेतर संदेशों से लबालब था।

कार्यक्रम में हिन्दी अकादमी, दिल्ली के सचिव संजय कुमार गर्ग का सान्निध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि परिवार व्यवस्था संस्कृति एवं संस्कारों का केंद्र है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के अध्यक्ष प्रो. अवनिजेश अवस्थी ने कहा कि विकसित भारत के लिए परिवार सबसे महत्वपूर्ण इकाई है। भारत को विकसित बनाने में लघुतम इकाई परिवार महत्वपूर्ण है जिसके आधार पर ही राष्ट्र का निर्माण संभव हो सकेगा। परिवार से व्यक्ति और समाज में सद्गुणों का समावेश होता है। यह चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण की प्राथमिक पाठशाला है।

विदित हो कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद् से संबद्ध इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा अप्रैल-मई माह में परिवार केंद्रित कहानी प्रतियोगिता चार वर्गों में आयोजित की गई थी। कुल 157 कहानीकारों की कहानियां प्राप्त हुई थीं। प्रत्येक वर्ग में प्रथम पुरस्कार (5000 रु., प्रमाण-पत्र एवं प्रतीक चिह्न), द्वितीय पुरस्कार (3000 रु., प्रमाण-पत्र एवं प्रतीक चिह्न), तृतीय पुरस्कार (2000 रु., प्रमाण-पत्र एवं प्रतीक चिह्न) एवं पांच सांत्वना पुरस्कार (1000 रु., प्रमाण-पत्र एवं प्रतीक चिह्न) निर्धारित किए गए थे। कार्यक्रम में कुल 24 साहित्यकारों को पुरस्कृत किया गया।

पहले वर्ग (कक्षा 8वीं से 12वीं तक के विद्यार्थी) में द्वितीय पुरस्कार ‘छोटी बहू’ कहानी के लिए पीहू यादव को प्राप्त हुआ जो गीता बाल भारती सीनियर सेकेंडरी स्कूल की विद्यार्थी हैं जबकि तृतीय पुरस्कार महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा गोराक्षी को कहानी ‘अपनों की छांव’ के लिए प्रदान किया गया। इस वर्ग में पांच बाल कहानीकारों- श्रुति वर्मा, सान्वी भदौरिया, सक्षम धीमान, पुष्पम कुमार एवं आरव मान को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।

दूसरे वर्ग (महाविद्यालीय, विश्वविद्यालीय एवं शोधार्थी) में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र रवि कुमार झा को कहानी ‘केवलपुर का सूरज’ के लिए प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ जबकि दिल्ली टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी की छात्रा अपूर्वा चौमाल को उनकी कहानी ‘खतरे के निशान से ऊपर बहती नदी’ के लिए द्वितीय और तृतीय पुरस्कार लेडी श्रीराम कॉलेज की छात्रा अमृता चौहान को उनकी कहानी ‘चिट्ठियों वाला घर’ के लिए प्रदान किया गया। इस वर्ग में पांच युवा कहानीकारों- नेहा शुक्ला, पीयूष प्रखर, करन कुशवाहा, अंजली सिंह एवं रिशिता को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।

तीसरे वर्ग (35 वर्ष तक की आयु वाले) में एस एंड पी ग्लोबल संस्थान में कार्यरत कहानीकार सुरम्या शर्मा को उनकी कहानी ‘सबसे बड़ा सुख’ के लिए प्रथम पुरस्कार प्रदान किया। चौथे वर्ग (35 वर्ष से अधिक आयु के कहानीकार) में दिल्ली-एनसीआर के ख्यातिलब्ध कहानीकारों की भागीदारी रही। इस वर्ग में वरिष्ठ साहित्यकार रवि शर्मा ‘मधुप’ को उनकी कहानी ‘सिमटते संबंध’ के लिए प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया जबकि द्वितीय पुरस्कार इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की प्राध्यापक कहानीकार रंजना किशोर को उनकी कहानी ‘चल खुसरो घर अपने’ और तृतीय पुरस्कार मिरांडा हाउस महाविद्यालय की प्राध्यापक कहानीकार अनु कुमारी को कहानी ‘डिनर टेबल’ के लिए प्रदान किया गया। इस वर्ग में दौलत राम महाविद्यालय की प्राध्यापक कुसुम लता, अमरजीत सिंह, वीरसेन जैन ‘सरल’, सुनीता राजीव और ग्रिजेश सिंघल को सांत्वना पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप-प्रज्वलन के बाद सरस्वती वंदना एवं परिषद् गीत से हुआ। अतिथियों का स्वागत अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर की पुस्तक ‘तत्त्वमसि’, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न से किया गया। इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के संरक्षक तिलक चांदना ने स्वागत वक्तव्य, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने संस्था परिचय एवं इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती की कार्यकारिणी सदस्य डॉ. रजनी मान ने रिपोर्ट प्रस्तुत किया। मंच संचालन इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के महामंत्री संजीव कुमार सिन्हा एवं धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने किया। समापन राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के सामूहिक गायन से हुआ।

कार्यक्रम में केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व उपाध्यक्ष अनिल जोशी, इंद्रप्रस्थ साहित्य परिषद् के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रामशरण गौड़, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की राष्ट्रीय मंत्री प्रो. नीलम राठी, इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती की उपाध्यक्ष प्रो. ममता वालिया, संयुक्त महामंत्री बृजेश गर्ग, मंत्री डॉ. सुनीता बुग्गा, कोषाध्यक्ष अक्षय अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य पूनम माटिया, प्रतियोगिता संयोजक प्रो. नरेन्द्र मिश्र सहित बड़ी संख्या में साहित्यकारों एवं साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।


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