विकास मित्तल का कॉलम : छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा सम्बन्धी तनाव दूर करने के उपाय
By: Dilip Kumar
3/4/2024 12:46:02 PM
परीक्षा का मौसम एक बार फिर शुरू हो चुका है विभिन्न स्कुलो मे वार्षिक परिक्षाए या तो शुरु हो चुकी है या शुरु होने वाली है। ज्यादातर छात्र और छात्राओ के सामने एक प्रश्न आता है, क्या करु? क्या न करु? ये कैसी मुश्किल हाय? जिसके चलते अधिकतर बच्चे परीक्षा के बुखार की चपेट में आ रहे हैं, कुछ को परिक्षा के भुत का डर सता रहा है।अनुभवी अध्यापको का कहना है कि इस तरह का बुखार से बच्चे अक्सर हर महीने चक्रीय परीक्षाओ (cycle test) के दौरान भी पीडित होते है लेकिन अपनी चरम सीमा पर आने का इसका सही समय यही सितम्बर-अक्तूबर या फरवरी-मार्च के महीने होते है जब यह बुख़ार सभी छोटे बड़े बच्चो के सर चढ़कर बोलता है। लेकिन फिर भी छात्र और छात्राए इस मौसम के आने से पहले सब कुछ जानते हुए भी इस रोग की चपेट में आने से बच नहीं पाते और पलक झपकते ही सारा समय हाथ से निकल जाता है। परन्तु बच्चों को इससे हताश एवं निराश नही होना चाहिए क्योकि इसका भी उपचार संभव है। शिक्षाविद् आर्यवीर लायन विकास मित्तल बताते है कि इस बुखार से पीड़ित सभी बच्चों के लिए एक दवा की खोज वर्षो पहले हो चूकी है और केवल यही दवा इस भयानक रोग से मुक्ति दिलवा सकती है। अक्सर बच्चे दवाई कडवी होने की वजह से खाते नही है परन्तु यही दवाई उनकी इस बीमारी को ठीक कर सकती है।
क्या आप जानना चाहेंगे उन दवाईयो का नाम ?
उन दवाइयों का नाम है "पढना", "याद करना" और "लिखना"(READ, LEARN & WRITE) जिनका सेवन पूरी ईमानदारी के साथ ध्यान लगाकर करना होता है। परन्तु बच्चे अक्सर पहली दोनो दवाइयों का सेवन तो करते है परन्तु तीसरी दवाई सेवन उतनी ईमानदारी से नही करते है जितना उन्हें करना चाहिए। साथ ही इस तीसरी दवा की सबसे अहम और अच्छी बात यह है कि बाकी दवा की तरह इसके सेवन का तरीका बिलकुल उल्टा है अर्थात जो इस दवा का जितना ज्यादा सेवन करेगा उस पर इस बुखार का असर उतना ही कम होगा। इसलिए देर न करें, अभी भी वक्त है। जितनी जल्दी हो सके इन दवाओ का सेवन आरंभ करें। यह दवाएं हर घर में हर बच्चे के पास उपलब्ध है बस इसके इस्तेमाल के दौरान कुछ खास सावधानियाँ रखनी बहुत जरूरी है। याद रहे जितनी ज्यादा सावधानियाँ रखी जाएगी, दवाओं का परिणाम उतना ही अच्छा आयेगा। तो आइये इसी सिलसिले से जुड़े कुछ सावधानियों पर एक नज़र डालते है :-
1. कृपया इस परीक्षा के बुखार रुपी भूत भगाने के लिए टीवी, मोबाइल, लैपटोप, पामटोप,कम्प्यूट इंटरनेट आदि चीजों से दूर रहिए।
2. जहां तक हो सके इन दिनों हल्का भोजन ग्रहण करें, ताकि ज्यादा नींद न आए,पेय पदार्थ जैसे दुध, चाय एवं कॉफी का सेवन रोज़ की तुलना में थोड़ा बढा दें। जिससे आप बिना सोए लम्बे समय तक पढाई कर सकते हैं। परीक्षा के दौरान इन बातों का ध्यान रखें विद्यार्थी।
3. परीक्षा को जीवन का हिस्सा मानें।
ज्यादा देर तक पढ़ाई करने की बजाए छोटे-छोटे समयान्तराल लेकर पढ़ाई करें।
4. पाठयक्रम से ज्यादा अंको के पाठो को छांटकर पहले उनको तैयार करे और फिर उसके बाद कम अंको के पाठो को तैयार करे। किताब की बजाए छोटे-छोटे नोट्स तैयार करके पढ़ाई करें।
5. परीक्षा में दूसरों की नकल न करके खुद की योग्यता के अनुसार उत्तर दें।
6. समय से पहले स्कुल या कालेज पहुँचकर परीक्षाकक्ष मे समय पर पहुंचे। जिससे बिना हड़बड़ाहट के आप परीक्षा दें सके। वैसे आजकल लिखित परीक्षा शुरू होने से पहले 15 मिनट का समय प्रश्नपत्र पढने के लिए मिलता है। जिसका उपयोग पेपर को अच्छी तरह से पढ़ने मे करें।
7. प्रश्नों के उत्तर उनके नम्बरों के मुताबिक दे और उत्तर के विशेष पक्तियों को अंडर लाइन या बोल्ड करें।
8. पढ़ाई से बोर होने पर शरीर और मन को तरो ताजा करने के लिए
कुछ देर मैडीटेशन और हल्की योगा जरुर करें।
9.पाठयक्रम पुरा करने के बाद परीक्षा से पूर्व एक बार आवश्यक रूप से पुर्णावृत्ति जरुर करें।
10. परीक्षा से पूर्व रात्री को पूर्ण रूप से आराम कर के जाएं और साथ ही साथ परीक्षा सम्बन्धी आवश्यक सामग्री जैसे पैन ,पैन्सिल आदि पहले दिन तैयार करले।
11. परीक्षा के दिनो में ऐसे खेलो से परहेज रखे , जिनसे शरीर को थकावट महसूस हो। साथ ही साथ अपना आत्मविश्वास बनाये रखें। याददाश्त बढाने वाली किसी दवाई के सेवन से बचें ।
परीक्षा के दौरान माता पिता क्या करें:-
1.यह ऐसा कठिन समय है कि जिसमें आपके बच्चो को आपके सहयोग की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। ऐसे में बच्चे का तनाव कम करने और आत्मविश्वास बढाने के लोए आप उनका हौसला अफजाई करत रहेे।
2.परीक्षा के दिनों में अपने बच्चे के लिर एक समयसारणी बनानी जरूरी है। कितनी देर पढ़ना है, कितनी देर आराम करना है, कब खाना है और कब सोनाहै, में से किसी भी गतिविधि के साथ बच्चे को समझौता न करने दें। इससे बच्चा तनाव रहित रहेगा।
3.परीक्षा के दिनों में बच्चे की मेहनत को दिमाग मे रखकर उनके खान पान का विषेश ध्यान रखना चाहिए ।
4.हर बच्चा अपनेआप में स्पेशल होता है माता पिता को चाहिए कि वे पड़ोसियों के बच्चो सें अपने बच्चे की तुलना कतई न करें। इससे उसकी क्षमता बढने की बजाए बच्चों मे सिर्फ तनाव ही बढ़ेगा। बच्चों पर पढ़ाई के लिए अनावश्यक दबाब नहीं बना चाहिए। परीक्षा के दौरान माता पिता को बच्चों की विशेष देखभाल करनी चाहिए।
यह सब कुछ पढकर बच्चे यह सोचेंगे कि “जीयें तो भला जीयें कैसे” तो जनाब यदि कुछ पाना है तो कुछ तो खोना ही पड़ेगा ना ….
सभी विद्यार्थियों को मेरी और से परीक्षा हेतु अनेक अनेक शुभकामनाएं।
आर्यवीर लायन विकास मित्तल
शिक्षाविद् और संयोजक
पलवल डोनर्स क्लब